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जलवायु संकट: जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म वर्ष होगा 2024, वैज्ञानिकों ने जताई 55 फीसदी आशंका

डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल  इस बात की 55 फीसदी आशंका है कि 2024 जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म साल होगा। वहीं 2024 के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की 99 फीसदी आशंका है। यह जानकारी नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। गौरतलब है कि कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के बाद अब एनओएए ने...

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1050 वर्ग फ़ीट में उगाते हैं मशरूम, हर महीने होती है 30 हज़ार की कमाई

-द बेटर इंडिया, पिछले साल देश में जब कोरोना महामारी के मामले बढ़ने लगे और लॉकडाउन की अटकलें लगने लगीं, तो दूसरे शहरों में नौकरी करनेवाले बहुत से लोग, नौकरियां छोड़कर अपने घर लौट आए। ऐसे लोगों में, झारखंड के जमशेदपुर निवासी राजेश कुमार भी शामिल थे। 41 वर्षीय एमबीए ग्रैजुएट राजेश, असम में एक कंपनी में काम कर रहे थे। लेकिन फरवरी 2020 में, बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए,...

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पैकेज बिना सब सूना

-आउटलुक, “मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार दूसरा राहत पैकेज कोरोना का वैक्सीन आने के बाद, लेकिन पैकेज को अनिश्चितता से जोड़ना कितना उचित” विक्रम देकाते की औरंगाबाद में डेक्सन कास्टिंग नाम की कंपनी है, जो दोपहिया वाहनों के लिए एल्युमिनियम कास्टिंग करती है। उन्होंने प्रॉपर्टी के एवज में एक एनबीएफसी से कर्ज ले रखा था। लॉकडाउन के दौरान कैशफ्लो घट गया तो इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत वर्किंग कैपिटल लोन...

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कोरोना संकट ने सबसे ज्यादा नुकसान जिन क्षेत्रों का किया है शिक्षा उनमें सबसे आगे है

-सत्याग्रह, जुलाई का महीना नई कक्षा, नई किताब-कॉपियों की खुशबू के साथ नए बस्ते, यूनिफॉर्म और जूतों की रंगत और कुछ नए चेहरों से दोस्ती का मौसम होता है. बरसात की आमद कन्फर्म हो चुकने के बाद, इस सीलन-उमस भरे मौसम का मिज़ाज कुछ ऐसा हुआ करता है कि सालों पहले पढ़ाई खत्म कर चुकने वालों को भी इन दिनों स्कूल से जुड़ा नॉस्टैल्जिया रह-रह कर सताता है. लेकिन 2020 किसी...

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तालाबंदी से खुला अनचाहे गर्भ का रास्ता!

-इंडिया टूडे, मुरादाबाद के हरपाल नगर चौराहे पर होप हॉस्पिटल ऐंड मैटरनिटी सेंटर में डॉ. शाजिया मोनिस ऑपरेशन थिएटर से मुस्कराते हुए निकलती हैं और बताती हैं, ‘‘आज तीन दिन बाद एक डिलिवरी हुई है.'' लॉकडाउन से पहले इस मैटरनिटी सेंटर में हर रोज तीन-चार डिलिवरी होती थी और लगभग इतना ही लीगल एबोर्शन या गर्भपात के मामले होते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद अचानक जच्चा-बच्चा के मामले आने कम हो...

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