जनता से रिश्ता, 12 जनवरी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जैविक उत्पादों, बीजों और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर की तीन नई बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का निर्णय लिया। बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर की सहकारी जैविक समिति, सहकारी बीज समिति एवं सहकारी निर्यात समिति का पंजीकरण किया जायेगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था...
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क्या हमारे देश के किसान अपनी उपज एपीएमसी मंडियों में ही बेचते हैं?
जब तीन कृषि कानूनों में से एक, यानी कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 (द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020) को पिछले साल अधिनियमित किया गया था, तो इसके समर्थकों द्वारा यह तर्क दिया गया था कि कानून फसल कटाई के बाद किसानों को अपनी उपज (और व्यापारियों को उस उपज को खरीदने के लिए) को कृषि उपज मंडी समिति-एपीएमसी मंडियों...
More »बात बोलेगी: जिन्हें कहीं नहीं जाना, उन्हें यहीं पहुंचना था…!
-जनपथ, राजनीति कला है, विज्ञान है, धर्म है, सेवा है या वैभव और प्रतिष्ठा का एक अक्षय स्रोत? अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ इसकी व्याख्या तमाम ऐतिहासिक संदर्भों में, इसके उद्भव, विकास आदि आदि के बारे में अलग-अलग नज़रिये से हमें समझाते रहे हैं कि राजनीति एक कला है या विज्ञान है या धर्म है या सेवा है। दरकार अब ऐसे विशेषज्ञों की है जो हमें यह समझाएं कि राजनीति इन सब...
More »मिर्ज़ापुर: यूपी में मुकदमे बने हथियार!, सियासत गरमाई
-न्यूजक्लिक, उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में योगी सरकार के निर्देश पर पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी, उनके पिता पूर्व एमएलसी राजेशपति त्रिपाठी और हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गिरधर मालवीय समेत 42 लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने के बाद पूर्वांचल की सियासत गरमा गई है। इन पर भारतीय दंड विधान की धारा-419, 420, 467, 468 और 471 के तहत धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप हैं। मिर्ज़ापुर के...
More »पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम
इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...
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