-द वायर, सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद का हिस्सा रहे पूर्व निदेशक आलोक वर्मा, राकेश अस्थाना और एके शर्मा तथा उनके परिजनों के नंबर लीक हुई उस सूची में पाए गए हैं, जिनकी इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी करने की संभावना जताई गई है. ये सब उस समय हुआ जब 23 अक्टूबर 2018 की आधी रात को मोदी सरकार ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष...
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शासकीय नैतिकता का आख़िरी झीना पर्दा भी जाता रहा
-सत्यहिंदी, जोसेफ स्टोरी की 200 साल पहले कही गयी बात सही साबित हो रही है। पार्टी में आ जाएँ तो सात खून माफ़ लेकिन सरकार के ख़िलाफ़ जाएँगे तो ‘देशद्रोह’। संदेश साफ़ है ‘पाला बदलो या सीबीआई को झेलो और जेल भोगो’। क्या इस सन्देश का तार्किक विस्तार यह नहीं हो सकता कि ‘हमारे ख़िलाफ़ होने का मतलब सीबीआई/ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट या इनकम टैक्स की चाबुक झेलने को तैयार रहो। संविधान, क़ानून...
More »सीवीसी को 123 भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मंज़ूरी का इंतज़ार
नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को 123 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई के लिए विभिन्न संगठनों की मंजूरी का इंतजार है. चार महीने से अधिक समय से सीवीसी इन अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवा अधिकारी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इन आरोपियों...
More »सीवीसी के ख़िलाफ़ शिकायतों से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं: केंद्र
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के खिलाफ शिकायतों की निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. उनके खिलाफ किसी शिकायत पर तभी कार्रवाई की जा सकती है जब दिशानिर्दश तय हो जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने यह जानकारी 9 जनवरी को एक आरटीआई जवाब में दी. यह जानकारी भारतीय वन सेवा अधिकारी और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संजीव...
More »आजाद मीडिया के पक्ष में तर्क-- मृणाल पांडे
देश के हर चौराहे, चायखाने, पान की दुकान और शिक्षा परिसर में आजकल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर चिंता जतायी जा रही है, नाना अटकलें लगायी जा रही हैं. और इन अटकलों का स्रोत मीडिया है, पारंपरिक या सोशल मीडिया. आजादी के सत्तर वर्षों बाद देश जनता को जागृत करनेवाली ताकत के रूप में मीडिया को पहचान रहा है, जिसके विमोचन के लिए गांधी जी ने ‘नवजीवन' नामक साप्ताहिक...
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