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जलवायु लक्ष्य व जस्ट ट्रांजिशन के लिए घातक साबित हो रहे हैं गुजरात के पेट्रोकेमिकल उद्योग

डाउन टू अर्थ, 09 जनवरी गुजरात के भरूच जिले के दहेज औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री के गोल्डन कॉरीडोर से गुजरते हुए कोयले की काली धूल और राख की परत चारों तरफ देखी जा सकती है। सड़क, मकान, दुकान, कपड़े, बर्तन यहां तक की अपनी सांस में भी लोग कोयले के बारीक कण उतरने की शिकायत करते हैं। भरूच जिले के वागरा तालुका में  दहेज पोर्ट को जोडने वाला, गोल्डर...

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झारखंड में मिड डे मील में प्याज, लहसुन, अंडा बंद, केंद्रीकृत किचन व्यवस्था पर उठे सवाल

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चार प्रखंडों के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) के लिए लागू केंद्रीकृत किचन व्यवस्था फेल रही है। स्कूली बच्चे इस व्यवस्था से त्रस्त हो गए हैं और पुरानी मध्याह्न भोजन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने...

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ओडिशा में जेएसडबल्यू के प्रोजेक्ट पर एनजीटी ने लगाई रोक, प्रदर्शनकारियों को राहत

मोंगाबे हिंदी, 26 जुलाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप बंदरगाह पर जिंदल स्टील वर्क्स की सहायक कंपनी जेएसडब्ल्यू उत्कल की परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी/EC) पर इस साल 20 मार्च को रोक लगा दी। इस अदालती आदेश से पीड़ित समुदायों को कुछ राहत मिली। वहीं  24 मार्च को ओडिशा उच्च न्यायालय से एक और आदेश आया। इसमें वन अधिकारों से जुड़े मुद्दे हल...

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केंद्रीय बजट में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने पर जोर लेकिन चुनौतियों से निपटना जरूरी

मोंगाबे हिंदी, 2 मार्च एक फरवरी , 2023 को केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की बहुप्रतीक्षित घोषणा की। मिशन के तहत, सरकार की 2030 तक 5 मिलियन मेट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की योजना है। ‘ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ बजट में की गई उन घोषणाओं में से एक है जो देश को कार्बन मुक्त करने के रास्ते पर ले जाने...

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भगवान ने हमको छप्पर फाड़कर दुख दिया है

पारी , 23 फरवरी  बसंत बिंद कुछ दिनों के लिए घर आए थे. वह जहानाबाद ज़िले के सलेमांपुर गांव से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित पटना में बीते कुछ महीनों से खेतिहर मज़दूरी कर रहे थे. संक्रांति का त्योहार निपट जाने के बाद, अगले दिन, यानी 15 जनवरी को वह काम पर लौटने वाले थे और बगल के गांव चंधरिया से कुछ मज़दूरों को बुलाने के लिए गए थे. इन मज़दूरों...

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