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उत्तर प्रदेश : जहाँ स्वतंत्र पत्रकारिता करना अपराध है

गांव सवेरा,09 अगस्त ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 27 जून के दिन एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया। पुलिस का आरोप था कि इस ट्वीट से कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए 39 वर्षीय पत्रकार को सभी छह मामलों में जमानत दे दी। ये सभी मामले उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ दायर किये थे।...

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मता-ए-लौह-ओ-कलम 370 के बाद कश्मीर में कत्ल की जाती पत्रकारिता

-कारवां, 15 जनवरी को दोपहर 1.45 बजे कश्मीर प्रेस क्लब परिसर में एक बख्तरबंद काफिला दनदनाता हुआ घुसा. श्रीनगर के लाल चौक के पास पोलो व्यू पर स्थित प्रेस क्लब कश्मीर के पत्रकारों की नुमाइंदगी करता है. इससे एक दिन पहले से ही क्लब में पुलिस की मौजूदगी बढ़ा दी गई थी और बाहर सड़क पर गश्त थी. काफिला पहुंचने से पहले एक पुलिस अधिकारी ने गश्त के बारे में संवाददाताओं से...

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भारत के कमजोर होते लोकतंत्र से गंभीर बनता दिल्ली का वायु प्रदूषण

-कारवां, जैसे-जैसे सर्दियां दस्तक देने लगी थीं, वैसे-वैसे दिल्ली का अपना ही जहरीली हवा का मौसम शुरू होने लगा था. यह जहरीली हवा का मौसम दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध के खुले उल्लंघन के कारण और विषाक्त हो जाता है. प्रेस और दिल्ली के लिबरल शहरियों का आक्रोश और लाचारी का सालाना अनुष्ठान भी इसी मौसम के साथ आरंभ हो जाता है. पर्यावरणविद सरकार की यदा-कदा होने वाली और अप्रभावी कार्रवाई...

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केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

-न्यूजक्लिक, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को देश भर में किसानों ने "विश्वासघात दिवस" मनाया और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठनों ने इसमें भागीदारी की है। किसान संगठनों ने दावा किया कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया गया है। जिसमें बड़ी सभाएं और जुलूस शामिल थे, जहां प्रदर्शनकारियों ने जिला...

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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख

-जनपथ, प्रस्‍तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्‍शन सेंटर (पीस), दिल्‍ली द्वारा बीते वर्ष अक्‍टूबर में संवैधानिक मूल्‍यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्‍याख्‍यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्‍य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्‍याय, पत्रकारिता और कला व संस्‍कृति के फैलोज़ को इस व्‍याख्‍यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...

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