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साक्षात्कार | घोर किसान विरोधी है मोदी सरकार: योगेंद्र यादव
घोर किसान विरोधी है मोदी सरकार: योगेंद्र यादव

घोर किसान विरोधी है मोदी सरकार: योगेंद्र यादव

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published Published on Oct 13, 2016   modified Modified on Oct 13, 2016
आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं ‘स्वराज इंडिया' के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसान हितैषी नहीं हैं।

लाइव इंडिया डिजिटल से योगेंद्र यादव ने कई अहम विषयों पर की खास बातचीत।

सवाल: स्वराज इंडिया नाम से आपने एक राजनीतिक पार्टी बनाया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि आपकी पार्टी अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव और नई दिल्ली में एमसीडी चुनाव में उतरेगी। क्या कहेंगे?


जवाब: हां पार्टी बनाई है तो चुनाव लड़ेगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की जहां भी चुनाव होंगे वहां चुनाव पार्टी लड़ेगी। ना ही कहीं वोट कटुआ की भूमिका निभाएंगे। ऐसा भी नहीं है की चुनाव ही हमारा लक्ष्य है। डेढ़ साल स्वराज अभियान चलाने के बाद हमने पार्टी बनाई है। स्वराज अभियान अपना काम करता रहेगा। चाहे वह किसान को लेकर कोई काम हो, भ्रष्टाचार विरोध का काम हो, शिक्षा एवं विद्यार्थियों का काम हो। स्वराज इंडिया पार्टी में कोई एक व्यक्ति निर्णय नहीं लेता। एक अध्यक्ष हैं लेकिन उसके साथ एक अध्यक्ष मंडल है जिसमे 17 लोग हैं। अगले 3-4 दिनों में वह 17 लोग मिल रहे हैं, फिर चुनाव को लेकर रणनीति तय होगी। हम लोग चाहते हैं कि जहां भी हमारी पार्टी चुनाव लड़े वहां कम से कम हमारा संगठन मजबूत हो, न्यूनतम ताकत हो, एक वैकल्पिक एजेंडा हो। जहां यह नहीं है वहा चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं है। आप पार्टी से अलग होकर हम लोग पार्टी बनाएं हैं। बहुत लोगों को लगता होगा कि हम लोग उनका खेल अब बिगाड़ेंगे। लेकिन साफ कर देना चाहता हूं कि आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की राजनीति हम लोग नहीं करेंगे। जहां हम सार्थक विकल्प दे सकते हैं वहीं चुनावी मैदान में उतरेंगे।

 

सवाल: अगर आपकी पार्टी पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ेगी तो क्या वह मुख्य मुद्दे होंगे जिसको ध्यान में रखकर आपकी पार्टी चुनाव में उतरेगी?

जवाब: मुझे लगता है कि पंजाब की जनता बादल सरकार से किसी भी तरह से छुटकारा पाना चाहती है। लेकिन जो 2 विकल्प उसके सामने हैं जैसे कांग्रेस और आप पार्टी, दोनों में विकल्प बनने लायक कुछ भी नहीं है। इसलिए पंजाब को एक चौथे या सच्चे विकल्प की आवश्यकता है। वह विकल्प हम यहां दिल्ली में बैठकर बनाए वह सही नहीं होगा। अगर पंजाब में हमें कोई वैकल्पिक और दमदार ताकत दिखाई देती है तो निश्चित ही हम उसे राजनीतिक और नैतिक सहारा देंगे। स्वराज अभियान अपने दमपर पंजाब में विकल्प होने का दावा नहीं कर रहा है। अगर कोई सच्चा विकल्प निकलता है जैसे सांसद डॉ धर्मवीर गांधी। इन लोगों के नेतृत्व में अगर पंजाब में कोई विकल्प बनता है तो हम उनका सपोर्ट जरुर करेंगे। लेकिन ऐसा कोई दावा हम नहीं कर रहे कि आज की तारीख में हम पंजाब में अपने आप में विकल्प बन चुके हैं।

 

सवाल: आप किसान नेता के रुप में भी पूरे देशभर में जाने जाते हैं। आपके नजर में यूपीए के शासनकाल में किसानों के उत्थान के लिए ज्यादा अच्छे कदम उठाए गए या मोदी सरकार के शासन में उठाए जा रहे हैं?

जवाब: पिछले 50 सालों में जिसकी भी सरकारें बनी, सब गांवों के प्रति उदासीन और किसान विरोधी रही हैं। हर तरह की नीतियां किसान के खिलाफ बनी। मुझे लगता है कि यूपीए 1 के दौरान मतलब साल 2005 से 2009 के बीच न्यूनतम सर्मथन मुल्य कुछ ठीक तरीके से बढ़ाया गया था और यूपीए की सरकार ने किसानों का कर्जा माफ करने का काम किया था। इसके अलावा यूपीए के शासनकाल में किसानों के भलाई के लिए कोई काम नहीं हुआ। जहां तक मोदी सरकार की बात है तो नरेंद्र मोदी की सरकार भारत के इतिहास में सबसे किसान विरोधी सरकार है। यह वह सरकार है जो किसानों का न्यूनतम समर्थन मुल्य बढ़ाने के अपने लिखित वायदा से मुकर गई। यह वह सरकार है जिसके आने के बाद यूरिया की पहली बार किल्लत हुई। मोदी सरकार के मंत्री गांव और खेती के प्रति इतने उदासीन और अंजान हैं कि मंच पर खड़े होकर बोलते हैं कि इस देश में यूरिया का संकट हुआ है, वह यह भूल गए की उनकी ही पार्टी की सरकार के समय संकट खड़ा हुआ। किसान की एकमात्र संपत्ति बची है उसकी जमीन, यह वह सरकार है जो उसको पिछले दरवाजे से छिनने का कानून बनाना चाहती है। यह वह सरकार है जिसने आने के बाद खेती एवं किसानी मद में बजट जितना भी था उसको घटा दिया। बजट चाहे कृषि सिंचाई का हो, कृषि विभागों का हो, सब को घटा दिया गया। यह वह सरकार है जिसके शासनकाल में उपभोक्ता दाल 150- 200 रुपए प्रति किलो खरीदता है। विदेश से दाल 120 रुपए में इम्पोर्ट की जाती है और देश में किसानों को उसके लिए 50 रुपए दिया जाता है। तो यह आजतक की देश की घोर किसान विरोधी सरकार है।

 

सवाल: ऐसी कहावत है कि राजनीति में कोई भी स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। क्या ऐसा हो सकता है कि आप और अरविंद केजरीवाल फिर से साथ हो जाएं?

जवाब: यह सवाल आपको अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहिए। इसलिए नहीं की फैसला उनके हाथ में हैं, फैसला हमारे हाथ में था और आज भी है। जो पथ तय करके हम रामलीला मैदान से चले थे, हम आज भी उसी पथ पर चल रहे हैं। जो उस पथ को छोड़ गए प्रश्न तो उनसे पूछा जाना चाहिए की वापस वह सच्चाई और इमानदारी के पथ पर आना चाहते हैं? उसी सिद्धांत पर वापस आना चाहते हैं? छल-कपट, मक्कारी, ड्रामेबाजी को छोड़कर, वापस संजीदा राजनीति करना चाहते हैं? वैसे अरविंद इन सब चीजों का मतलब ही भूल गए हैं। मैं जब आम आदमी पार्टी में था तब मैंने अरविंद केजरीवाल को कहा था कि आपको एक किताब पढ़नी चाहिए तो उन्होंने कहा था कौन सी किताब? तो मैंने कहा था उस किताब का नाम है 'स्वराज' और उसका लेखक हैं अरविंद केजरीवाल। वैसे अब साथ फिर से आना संभव नहीं।

 

सवाल: आपको अपनी स्वराज इंडिया पार्टी से कितनी उम्मीदें हैं?

जवाब: उम्मीद है तभी तो पार्टी बनाई है। उम्मीद है तभी तो राजनीति करते हैं क्योंकि राजनीति का नाम ही उम्मीद है। जिसे उम्मीद नहीं है उसे राजनीति नहीं करनी चाहिए। वह उपन्यास, कविता लिख सकता है। जिसे उम्मीद होती है कि दुनिया बदली जा सकती है और मैं कुछ कर सकता हूं, साथियों के साथ मिलकर कुछ कर सकता हूं। वही राजनीति करता है। उसी को राजनीति करनी चाहिए। उम्मीद मुझे सिर्फ वोट की संख्या की नहीं है। यह पार्टी हमने 6 महीने के लिए नहीं बनाई है। इस देश की कम से कम 50 साल की दृष्टि बनाकर चलेंगे। उम्मीद करते हैं कि जो हमारे विरोधी होंगे वह भी हमारी दृष्टि स्वीकार करेंगे। उम्मीद है की सारी जनता नहीं तो कम से कम जो नई पीढ़ी के आदर्शवादी लोग हैं उनके लिए स्वभाविक घर बन जाएगी स्वराज इंडिया पार्टी। जैसे एक जमाने में राष्ट्रीय आंदोलन के समय कांग्रेस होती थी, एक जमाने में उत्तर भारत में समाजवादी होते थे, कही कम्यूनिस्ट होते थे। यह एक ऐसी पार्टी बन जाएगी की जो लोग देशभर में जनआंदोलन जहां-जहां कर रहें होंगे वह इसे अपना एक स्वभाविक राजनीतिक मंच के रुप में देखना शुरु कर देंगे। इसके साथ-साथ चुनाव में भी सफलता मिलेगी। लेकिन मैं इस पार्टी के भविष्य को सिर्फ चुनावी वोटों तक ही नहीं देखता हूं।

( उपरोक्त साक्षात्कार साभार-- लाइव इंडिया से) 


http://liveindia.live/postdetail/index/id/100259/yogendra-yadav-attack-on-modi-govt


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