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कानून‌ और इन्साफ | आपदा और राहत
आपदा और राहत

आपदा और राहत

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गृहमंत्रालय ,भारत सरकार द्वारा प्रकाशित डिजास्टर मैनेजमेंट इन इंडिया नामक दस्तावेज के अनुसार- http://www.unisdr.org/eng/mdgs-drr/national-reports/India-
report.pdf
:

. • विशिष्ट भौगोलिक बनावट के कारण देश में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बनी रहती है। बाढ़, सूखा, भूकंप और भूस्खलन की घटनाएं अकसर सुनने को मिलती हैं। देश का 60 फीसदी हिस्सा अलग अलग तीव्रता के भूकंप का आशंकित क्षेत्र है। ठीक इसी तरह देश के 4 करोड़ हेक्टेयर खेतिहर इलाके  में बाढ़ आने की आशंका रहती है, देश के 8 फीसदी इलाके में चक्रवात और 68 फीसदी इलाके में सूखे की आशंका होती है।

 • साल 1990-2000 के बीच हर साल औसतन 4344 लोगों ने प्राकृतिक आपदा से जान गंवायी।

• संयुक्त राष्ट्रसंघ ने साल 1989 में साल 1990-2000 को अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा नियंत्रण दशक घोषित किया था ताकि विश्व बिरादरी प्राकृति आपदा में होने वाले जान-माल की और सामाजिक-आर्थिक ढांचे में होने वाली क्षति को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाये।

 • ओडिसा में आया साल 1999 का चक्रवात और भुज(गुजरात) का साल 2001 का भूकंप वैकासिक कामों और योजनाओं में प्राकृतिक आपदा की चुनौती से निपटने के लिए बहुमुखी प्रयास करने की जरुर रेखांकित करता है।

• भारत के संघीय ढांचे में प्राकृतिक आपदा की सूरत में राहत कार्य करने और पुनर्वास के काम चालू करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों को दी गई है।

 • नदियों के तट जब भारी वर्षा के बाद विपुल जलराशि को थामने में नाकाम हो जाते हैं तो बाढ़ आती है। जिन इलाको में जलनिकासी की व्यवस्था उत्तम नहीं है वहां बारिश की अधिकता से भी बाढ़ आती है। बाढ़ का एक कारण नदियों द्वारा लायी गई गाद से नकी तलहटी का भरते जाना भी है।   .  

• फिलहाल देश की विभिन्न नदियों के इलाके में कुल 166 की संख्या में बाढ़ की पूर्वचेतावनी देने वाले केंद्र काम कर रहे हैं।

 • साल 1987 में भयंकर सूखा पडा था। इसके अनुभवों के आलोकम में सरकार ने सूखे से निपटने के लिए दीर्घावधि की गई योजनाएं शुरु की। इसमें शामिल है ड्राऊट प्रोन एरिया प्रोग्राम, डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम, नेशनल वाटरशे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फॉर रेनफेड एरियाज् और वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम फॉर शिफ्टिंग कल्टीवेशन आदि।

• यूएनडीपी, यूएसएआईडी, योरोपियन यूनियन की मदद से एक आपदा प्रबंधन कार्यक्रम साल 2002 के अक्तूबर में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों सहित 17 सूबों के 169 सर्वाधिक आपदा आशंकित क्षेत्रों में शुरु किया गया। इसका समापन की तारीख साल 2007 का दिसंबर है। इस कार्यक्रम के तहत 3500 गांवों, 250 ग्राम पंचायतों, 60 प्रखंडों और 15 जिलों के लिए आपदा प्रबंधन के कार्यक्रम तैयार किए गए। इसके तहत पंचायती राज संस्थाओं के तकरीबन 8000 कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।

• राष्ट्रीय स्तर के द नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट का उन्नयन नेशनल इस्टीट्यूट ऑव डिजास्टर मैनेजमेंट के रुप में किया गया है। इसे एशिया की सर्वश्रेष्ठ संस्था के रुप में विकसित किया जा रहा है।




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