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कानून‌ और इन्साफ | भ्रष्टाचार
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सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडी 2018 : 2015 टू 2018 हाऊ वेल आर स्टेट प्लेस्ड?नामक अध्ययन के मुख्त तथ्य 

 

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  • सीएमएस-आईसीएस 2018 के सर्वेक्षण में 13 राज्यों के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों को शामिल किया गया. सर्वेक्षण 11 सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित भ्रष्टाचार विषयक धारणा के आकलन के लिए किया गया. 
  • सर्वेक्षण में 75 फीसदी परिवारों ने कहा कि बीते 12 महीनों में सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार या तो बढ़ा है या फिर पहले ही की तरह है, उसमें कमी नहीं आयी है.
  • सीएमएस के 2005 के सर्वेक्षण में 52 फीसद परिवारों ने कहा था उन्हें सर्वेक्षण में शामिल 10 सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में एक ना एक रुप में भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा. साल 2018 में ऐसा कहने वालों की तादाद घटकर 27 प्रतिशत हो गई है.
  • तेलंगाना के 73 प्रतिशत, तमिलनाडु के 38 प्रतिशत, कर्नाटक के 36 प्रतिशत, बिहार के 35 प्रतिशत, दिल्ली के 29 प्रतिशत, मध्यप्रदेश के 23 प्रतिशत, पंजाब के 22 प्रतिशत तथा राजस्थान के 20 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में उन्हें रिश्वतखोरी का सामना करना पड़ा या किसी बिचौलिए का सहारा लेना पड़ा. 
  • बीते 12 महीनों में जिन सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में परिवारों को सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा उनमें शामिल हैं परिवहन(21 प्रतिशत), पुलिस(20 प्रतिशत), जमीन संबंधी दस्तावेज/आवास( 16 प्रतिशत), अस्पताली सेवा(10 प्रतिशत). बैंकिंग सेवाओं को हासिल करने में 1 प्रतिशत से भी कम परिवारों को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा.  
  • सर्वेक्षण में शामिल 99 फीसद उत्तरदाताओं के पास आधार कार्ड था लेकिन इनमें 7 प्रतिशत को आधार-कार्ड हासिल करने के लिए रिश्वत देना पड़ा. सर्वेक्षण में शामिल 92 फीसद उत्तरदाताओं के पास मतदाता पहचान पत्र मौजूद था लेकिन 3 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें मतदाता पहचान पत्र हासिल करने के लिए रिश्वत चुकानी पड़ी. 
  • सार्वजनिक सेवाओं को हासिल करने में होने वाले भ्रष्टाचार के आकलन से संबंधित सीएमएस के 2017 के अध्ययन में 41 प्रतिशत परिवारों ने कहा था कि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार कम करने के अपने प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है, 2018 के सर्वेक्षण में ऐसा कहने वाले परिवारों की तादाद घटकर 31 प्रतिशत हो गई है. 
  • सार्वजनिक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर लोगों में प्रचलित धारणा तथा अनुभवों के आधार पर राज्यों का समूह बनायें तो सर्वेक्षण से एक निष्कर्ष यह निकलता है कि तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, गुजरात तथा राजस्थान भ्रष्टाचार कम करने के अपने प्रयासों में सबसे पीछे रहने वाले राज्य हैं जबकि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश तथा बिहार ने इस सिलसिले में अच्छा प्रदर्शन किया है. 

 


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