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कानून‌ और इन्साफ | मानवाधिकार
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What's Inside

 

मानवाधिकार आयोग,भारत सरकार के वार्षिक रिपोर्ट(२००४-०५) के अनुसार-

 

(http://nhrc.nic.in/Documents/AR/AR04-05ENG.pdf):

 

हिरासत में मौत की घटनायें-

 

  • आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने आयोग को हिरासत में हुई मौतों की जानकारी भेजी है। साल २००४-०५ में आयोग को हिरासत में मौत की १४९३ घटनाओं की सूचना मिली। इसमें १३६ मौतें पुलिस हिरासत में हुईं जबकि १३५७ मौत न्यायिक हिरासत में।
  • आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, उड़ीसा, दिल्ली,झारखंड और उत्तराखंड में पुलिस हिरासत में हुई मृत्यु की संख्या में बढोतरी हुई है।
  • आयोग ने साल २००३ के २ दिसंबर को संशोधित दिशानिर्देश जारी किये। इसके जवाब में आयोग को विभिन्न राज्य सरकारों से मुठभेड़ में हुई मृत्यु की घटनाओं के बारे में १२२ सूचनाएं हासिल हुईं। इसमें ६६ सूचनाएं उत्तरप्रदेश से थीं, १८ आंध्रप्रदेश से, ९ दिल्ली से और पांच-पांच की संख्या में महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश से। आयोग को फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने के बारे में ८४ शिकायतें मिलीं।

 

 

कैदियों की तादाद

 

  • जेलों में बंद कुल कैदियों की तादाद ३.३६,१५१ है जबकि क्षमता के लिहाज से फिलहाल जेलों में २,३७,६१७ कैदियों को ही रखा जा सकता है। इस तरह जेलों में धारण-क्षमता से ४१ फीसदी ज्यादा कैदी रखे गये हैं। ग्यारह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों-बिहार, छ्त्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, सिक्किम ,त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में कहीं जेलों में कैदियों की तादाद ५२ फीसदी से ज्यादा है तो कहीं २२४ फीसदी।
  • जेलों में धारण-क्षमता से अधिक कैदियों की रखने के मामले में दिल्ली सबसे अव्वल है। यहां जेलों में कैदियों की तादाद धारण-क्षमता से २२४ फीसदी ज्यादा है। इसके बाद झारखंड(१९५फीसदी), छ्तीसगढ़(१११ फीसदी) और गुजरात(१०४ फीसदी) का नंबर है। जेलों की धारण क्षमता के अनुकूल कैदी रखने वाले राज्यों के नाम हैं-जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, नगालैंड, राजस्थान, उत्तराखंड,पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, दमन और दीऊ, दादरा और नगर हवेली तथा लक्षद्वीप।
  • देश में कैदियों की कुल तादाद में ७१.१४ फीसदी हिस्सा विचाराधीन कैदियों का है। कुल ग्यारह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विचाराधीन कैदियों की संख्या ८० फीसदी से भी ज्यादा है।इन राज्यों और केंद्रशासित प्रेदशों के नाम हैं- दादरा और नगर हवेली (१००फीसदी), मेघालय(९४.७१ फीसदी), मणिपुर(९२.५१ फीसदी), जम्मू-कश्मीर(८८.९० फीसदी), बिहार(८५.६६फीसदी), दमन और दीऊ(८४.१५ फीसदी), नगालैंड(८३.३१ फीसदी), उत्तरप्रदेश(८२.४७ फीसदी), दिल्ली(८१.४५ फीसदी), चंड़ीगढ़(८०.४२ फीसदी) और पश्चिम बंगाल(८०.२० फीसदी)। छ्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहां विचाराधानी कैदियों की संख्या कुल कैदियों की संख्या के ५० फीसदी से कम है। 
  • देश में मौजूद कुल कैदियों की तादाद में महिलाओं की संख्या ३.९७ फीसदी है। सबसे ज्यादा महिला कैदियों की संख्या उत्तराखंड(११.६९ फीसदी)  में है।इसके बाद महिला कैदियों की संख्या के मामले में मिजोरम(१०.४५फीसदी) तमिलनाडु(९.२५ फीसदी). चंडीगढ़(६.४७ फीसदी)आंध्रप्रदेश(५.७७ फीसदी) पश्चिम बंगाल(५.७१ फीसदी) और पंजाब(५.६८ फीसदी) का नंबर है।
  • माताओं के साथ जेल में बंद बच्चों की कुल तादाद १५४४ है। इस मामले में उत्तरप्रदेश सबसे आगे है जहां ३८५ बच्चे अपनी माताओं के साथ जेल में हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल(१६३) महाराष्ट्र(१४३), झारखंड(१४२) और मध्यप्रदेश(१२७) का नंबर है।

 



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