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भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!

भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!

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published Published on Oct 7, 2022   modified Modified on Nov 1, 2022

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 44,762 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशी के साथ तीन माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह योजना 1 अक्टूबर, 2022 से 31 दिसम्बर, 2022 तक की अवधि तक यथावत रहेगी.
यह योजना का सातवा चरण है. सातवें चरण तक योजना का कुल खर्च 3.45 लाख करोड़ रूपए से बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रूपए हो जाएगा.
कोविड महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई थी.

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के एक हिस्से के रूप में अप्रैल 2020 में इस योजना को शुरू किया गया था.

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच की ओर से जारी एक सर्वे के अनुसार विश्व में आर्थिक मंदी बढ़ रही है. जिसके कारण "जीने की लागत" में बढ़ोतरी हो सकती
है. 
सर्वे के अनुसार जहाँ एक ओर मंहगाई बढ़ रही हैं तो वहीं दूसरी ओर लगातार वास्तविक मेहताना में गिरावट आ रही है. और यह गिरावट वर्ष 2023 तक जारी रह सकती है. ऐसे में जरूरतमंद नागरिकों के खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होना जरुरी है. जिम्मेदारी कल्याणकारी राज्य पर आ जाती है.
कल्याणकारी राज्य की जिम्मेदारी निभाते हुए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को तीन महीने और बढ़ा दिया गया है. 

कौन हैं इस योजना के लाभार्थी-

इस योजना के लाभार्थी वो ही हैं जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आते हैं. दायरे में आने वाले व्यक्तियों को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज (चावल/गेहूं) निशुल्क दिया जाता है. 
इस योजना के शुरुआत में एक किलोग्राम दाल भी निशुल्क दी जाती थी जिसे बाद के चरणों में बंद कर दिया गया. 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून-
वर्ष 2013 में भारतीय संसद ने 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम' पारित किया था. जिसका उद्देश्य गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए जरूरतमंद लोगों की खाद्य
सुरक्षा सुनिश्चित करना है. और यह खाद्य सुरक्षा रियायत दर पर उपलब्ध हो.
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनुसार रियायत दर पर खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने वाले लोगों में ग्रामीण आबादी का 75% और शहरी आबादी का 50% भाग शामिल है. समग्रता से पूरे भारत की आबादी का 67% भाग शामिल है.
67% लाभार्थियों का यह आंकड़ा 2011 की जनगणना पर आधारित है. अंकगणित में जिसका मान 81 करोड़ आता है.

पीछे मुड़ कर तो देखा ही नहीं!

हुकूमत के अनुसार कोविड काल में जरुरतमंदो की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की. गरीब कल्याण योजना के तहत प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज और पांच किलो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिल रहा था.(अन्त्योदय परिवारों को 35 किलोग्राम प्रति परिवार )

लेकिन प्रश्न यह है कि क्या सभी जरुरतमंदों को अनाज मिल रहा था?

  • वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए 2011 की जनसँख्या को आधार बनाया गया है. उसके बाद आंकड़ों को संशोधित नहीं किया गया. इन आंकड़ों की पड़ताल रीतिका खेड़ा और ज्यां द्रेज ने एक शोध में की. जिसके अनुसार लगभग10 करोड़ जरुरतमंद ऐसे हैं जिनके पास किसी भी योजना से अनाज का एक दाना भी नहीं पहुंचा.
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड धारकों को पांच किलो प्रति व्यक्ति अनाज रियायत दर पर दिया जा रहा है. साथ ही कोविड काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत निशुल्क पांच किलो प्रति व्यक्ति अनाज दिया जाने लगा.
  • सरकार ने इस बात का कोई सर्वेक्षण नहीं करवाया कि निशुल्क अनाज के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क तो नहीं लिया गया है.
  • दूसरी और जरुरी बात, निशुल्क का पांच किलो प्रति व्यक्ति वाला अनाज राशनकार्ड धारकों तक पहुंचा या नहीं इस बात के लिए भी कोई निगरानी तंत्र सरकार के पास नहीं था.

खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सार्वजानिक वितरण प्रणाली को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया था. अब इस प्रणाली को और सुलभ बनाने के क्रम में वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम को लागू किया गया है.

वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा 2018–19 में की गई थी. जिसे अगस्त 2019 में लागू किया गया.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम' के तहत लाभार्थी उसी उचित कीमत की दुकान से अनाज प्राप्त कर सकता था, जहां से वो पंजीकृत है. लेकिन भारत में 
रोजगार के लिए प्रवासन (माइग्रेशन) होता है. और यह प्रवासन मुख्यत: मौसमी (सीजनल) प्रकार का होता है. इन प्रवासियों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित
करने में वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम कारगर साबित हो सकती है 
क्योंकि एक राशन कार्ड के माध्यम से देश की किसी भी उचित मूल्य की दुकान से 
खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं.


डेलबर्ग की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार– प्रवासन के कारण परिवार के सदस्य अलग–अलग ठिकानों पर रहते हैं. वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम, राशन
कार्ड से जुड़े सभी सदस्यों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर देगी. 

लेकिन कैसे? 
राशन कार्ड से जुड़ा प्रत्येक सदस्य, आधार सत्यापन के द्वारा अपने हिस्से की खाद्य सामग्री को अलग–अलग उचित मूल्य की दुकानों से खरीद सकेगा.

वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम पर डेलबर्ग ने कई अन्य संस्थाओं के सहयोग से अध्ययन कर एक रिपोर्ट जारी की है.
यह अध्ययन पांच राज्यों के 6,750 लाभार्थियों पर किया गया है. साथ ही इस अध्ययन में 1,540 पीडीएस व्यापारियों को भी शामिल किया गया है.
यह सर्वे 20 अगस्त, 2021 से 20 सितंबर, 2021 के बीच किया गया था.
कुछ लाभार्थियों को छोड़ अन्य सभी लाभार्थियों के साथ यह सर्वे मोबाइल से की गई बातचीत के आधार पर पूरा किया गया है.
सैंपल के नमूनों में 25 प्रतिशत लाभार्थी प्रवासी मजदूर थे जो वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम का प्रयोग कर रहे थे.

आइए जानते हैं रिपोर्ट की प्रमुख बातें
पांच राज्यों में रहने वाले राशन कार्ड धारकों का अनुभव–
करीब 12% परिवारों के पास पोर्टेबल राशन कार्ड था. वहीं 20% प्रवासी परिवारों के पास पोर्टेबल राशन कार्ड था.
ऐसे 6% राशन कार्ड धारक परिवार भविष्य में राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी का प्रयोग करना चाहते हैं.
लगभग 20% ऐसे परिवार भी हैं जिन्हें इस योजना (जिससे राशन कार्ड पोर्टेबल हो जाता है) के बारे में जानकारी नहीं है.
करीब 73% पीडीएस व्यापारी इस बात से रूबरू थे कि अंतरराज्यीय राशन पोर्टेबिलिटी संभव है.


यह सफ़र नहीं आसां
राशन कार्ड ही नहीं बना– 77% निम्न आय वाले परिवार राशन कार्ड बनाने की कोशिश करते हैं परंतु कई कारणों का रोड़ा बना कर उन्हें राशन कार्ड की पहुंच से दूर ही रखा जाता है. 
इनमें से कई परिवारों के शामिल न हो पाने के पीछे का कारण आधार सत्यापन का नहीं हो पाना था.


आधार (कार्ड) ही आधार नहीं बन पा रहा है!
वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार जरूरी है. डेलबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार आधार आधारित सत्यापन प्रणाली सफल हुई है लेकिन सीएजी की ओर जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आधार सत्यापन न हो पाने के कारण कई लोगों को राशन से वंचित रहना पड़ा.

आधार में संशोधन और नए आधार कार्ड के बनने में आ रही बाधाएं, स्कीम की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है. डेलबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार तलाकशुदा महिला को नया राशन कार्ड बनवाने के लिए अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. वहीं नवविवाहित महिला का तब तक राशन कार्ड में नाम नहीं जुड़ेगा जब तक कि वो शादी का प्रमाण पत्र न बनवा दे.

पीडीएस के तहत मिलने वाले अनाज पर कई राज्यों के द्वारा भी सब्सिडी दी जाती है. इस कारण रियायत दरें और कम हो जाती है. रियायत दरों में आया यह अंतर भी वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम की सफलता में एक बाधा है.
 

सन्दर्भ-

Fulfilling the promise of One Nation One Ration Card: A frontline perspective from 5 Indian states, Dalberg and Omidyar Network India, please click herehere, and here to access 

National Food Security Act (2003), please click here to access 

Press release: Cabinet approves extension of PMGKAY for another 6 months (April-September, 2022), Cabinet, Press Information Bureau, 26 March, 2022, please click here to access  

One Nation, One Ration Card, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, 3 November, 2021, please click here to read more   

Press release: ONORC now successfully operational in 34 states, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, 28 August, 2021, please click here to access  

Press Note: Implementation of 'One Nation, One Ration Card' Scheme, released by Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, Press Information Bureau, dated 20th March, 2020, please click here to access   

One Nation One Ration Card, Nationwide Portability of Ration: Reforms in Public Distribution System, please click here to read more

Press Note: Government all set to implement "One nation-one ration card" scheme throughout India by 30th June, 2020: Union Minister Shri Ram Vilas Paswan, released by Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution, 29th June, 2019, Press Information Bureau, please click here to access

Annavitran website, Distribution of Foodgrains through ePoS devices, Department of Food and Public Distribution, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, please click here to access  

Integrated Management of Public Distribution System (IM-PDS), Department of Food and Public Distribution, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, please click here to access

'One Nation One Ration Card' a success in 5 states: Study, IANS/ TheHansIndia.com, 7 April, 2022, please click here to access  

One nation one ration card: How many know about it -Vivek Mishra, Down to Earth, 6 April, 2022, please click here to access 

Push the policy needle forward on migrant support -Mukta Naik and Varun Aggarwal, The Hindu, 5 April, 2022, please click here to access 

56 crore ration card portability transactions since launch of ONORC -Dilasha Seth, Livemint.com, 9 February, 2022, please click here to access 

SC Order Towards Making ‘Food For All’ A Reality -Dipa Sinha, OutlookIndia.com, 2 July, 2021, please click here to read more

Coronavirus Lockdown: As Hunger Grows, the Fear of Starvation Is Real -Kabir Agarwal, TheWire.in, 16th April, 2020, please click here to access

‘More than 100mn excluded from PDS as govt uses outdated Census 2011 data’, IndiaSpend, 16th April, 2020, please click here to access 

100 million Indians fall through gaps in food safety net, economists urge rethink on Covid-19 relief, Scroll.in, 15 April, 2020, please click here to access

PM-GKAY Pulses not to be part of PM-GKAY scheme by Businessline. Please click here to access.

Global recession increasingly likely as cost of living soars: WEF survey. - PTI/ The Hindu Business Line. Please click here to access.

Chief Economists Outlook BY World Economic Forum. Please click here to access.

Eight Hurdles the ONORC Has to Cross Before It Can Be Called 'Successful, The WIRE By Shambhu ghatak. Please click here to access.
 


Image Courtesy: Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana By INDIA BRAND EQUITY FOUNDATION, please click here to access 


 


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