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चर्चा में.... | आरटीआई में बदलाव की कोशिश से जनता में रोष

आरटीआई में बदलाव की कोशिश से जनता में रोष

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published Published on Aug 14, 2013   modified Modified on Aug 14, 2013

सूचना के अधिकार कानून के घेरे में राजनीतिक पार्टियों को लाने के केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले को पलटने के लिए यूपीए सरकार इस कानून में संशोधन का विधेयक लाने जा रही है। सरकार के इस कदम की जनता में व्यापक आलोचना जारी है और लोग इस सरकारी पहल के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। (इस मसले को विस्तार से जानने के लिए कृपया नीचे दी गई लिंक को चटकायें)
 
कानून में संशोधन के खिलाफ नेशनल कंपेन फॉर पी’पलस् राइट टू इन्फॉरमेशन ने एक ऑनलाइन अर्जी डाली गई है और इस अर्जी पर अबतक तकरीबन साढे चार हजार लोगों के हस्ताक्षर हो चुके हैं। लोगों में इस बात की चिन्ता बढ़ रही है कि संसद के चालू सत्र में सरकार सूचना के अधिकार कानून में संशोधन के प्रयास करेगी।

देश के विभिन्न कोनों में लोग सूचना के अधिकार कानून में प्रस्तावित संशोधन के विरुद्ध रोष प्रकट कर रहे हैं। नागरिक-संगठनों की ओर से इस मुद्दे पर सांसदों से अपील की जा रही है। कानून की ताकत को कम करने के किसी भी प्रयास के विरुद्ध जमीनी स्तर पर लोगों को लामबंद किया जा रहा है। नागरिक-संगठन 15 अगस्त को प्रतीकवत विरोध-दिवस के रुप में मनाने की योजना बना रहे हैं।

मंत्रिमंडल से सूचना के अधिकार कानून में बदलाव के लिए पिछले हफ्ते मंजूरी दे दी गई।कहा जा रहा है कि कानून में बदलाव करते हुए सार्वजनिक संगठन की परिभाषा को इस भांति बदला जाएगा कि जनप्रतिनिधित्व की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल सूचना के अधिकार कानून के घेरे में ना आयें।

नेशनल कंपेन फॉर पी’पलस् राइट टू इन्फॉरमेशन की अर्जी में आशंका व्यक्त की गई है कि कानून में बदलाव पर अगर संसद की मंजूरी की मोहर लग जाती है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे, केंद्रीय सूचना आयोग का खास फैसला तो खैर निरस्त होगा ही। गौरतलब है कि आयोग का फैसला एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मस् की अपील पर आया था। एसोसिएशन ने साल 2010 के अक्तूबर महीने में केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की थी। यह एसोसिएशन लगातार तर्क देता रहा है कि आयोग का फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि नागरिकों के पास पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग सहित उनके कामकाज के बारे में जानकारी जुटाने के लिए सूचना के अधिकार के अलावा और कोई साधन मौजूद नहीं है।

सारे दलों के राजनेता इस बात से इनकार कर रहे हैं कि सूचना के अधिकार कानून में बदलाव की पहल पार्टियों को कामकाज को लोगों की नजर में आने से बचाने के लिए की जा रही है। बहरहाल, राष्ट्रीय जनतादल के राजनेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने बड़ी साफगोई से कहा है कि सूचना के अधिकार कानून के घेरे में आने से पार्टियों के इनकार पर वे शर्मिन्दा हैं।

इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक चटकायें

NCPRI Press Release dated 5 August, 2013 (please click here)

 

FAQs-Political Parties under RTI: Myths Busted, please click here

 

Bangalore-RTI Amendment Press Conference Press Release, 6 August, 2013, http://www.im4change.org/latest-news-updates/bangalore-rti
-amendment-press-conference-press-release-22237.html
 

 

Landmark judgement of CIC (June 3, 2013), please click here

 

Myths about RTI & political parties, http://adrindia.org/media/adr-in-news/myths-about-rti-poli
tical-parties


Global Corruption Barometer 2013 prepared by Transparency International,
http://www.im4change.org/law-justice/corruption-35.html?pgno=2

Why the CPI says no to RTI -S Sudhakar Reddy, The Indian Express, 10 July, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/why-the-cpi-s
ays-no-to-rti-s-sudhakar-reddy-21876.html

 

 

Amendments to RTI Act: Aruna Roy slams UPA government, DNA, 6 August, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/amendments-to
-rti-act-aruna-roy-slams-upa-government-22228.html

 

 

Enough transparency without RTI: Govt
The Telegraph, 3 August, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/enough-transp
arency-without-rti-govt-22205.html


Accounting for accountability, The Hindu, 3 August, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/accounting-fo
r-accountability-22200.html


Government moves to keep political parties off RTI radar -Deepshikha Ghosh, NDTV, 30 July, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/government-mo
ves-to-keep-political-parties-off-rti-radar-deepshikha-g
ho sh-22162.html

 

 



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