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चर्चा में.... | इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

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published Published on Jan 28, 2013   modified Modified on Jan 28, 2013

हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के आठ पत्रकारों का चयन विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) द्वारा दी जाने वाली इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप के लिए हुआ है। चयनित पत्रकार देश के छह राज्यों से हैं। खोजी और सार्थक पत्रकारिता की श्रेष्ठ परंपरा का निर्वाह करते हुए चयनित फैलो ग्रामीण समुदाय की चिन्ताओं और समस्याओं को जन-सामान्य के बीच लाने और उस दिशा में नीतिगत हस्तक्षेप की जमीन तैयार करने के लिए, उनके बीच कुछ समय बितायेंगे।

फैलोशिप के अभ्यर्थियों का चयन एक निर्णायक-मंडल ने किया जिसके सदस्य थे- श्री कृष्णा प्रसाद (एडीटर इन चीफ, आऊटलुक), श्री अरविन्द मोहन, (पूर्व वरिष्ठ / कार्यकारी संपादक, हिन्दुस्तान और अमर उजाला), श्री गिरीश निकम ( वरिष्ठ संपादक और एंकर, राज्यसभा टीवी), डा. सुमन सहाय (कन्वीनर, जीन कंपेन और सामाजिक कार्यकर्ता) तथा श्री परंजय गुहाठाकुर्ता(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और टीवी एंकर)। निर्णायक-मंडल ने लंबी चर्चा और गहन चयन-प्रक्रिया से गुजरकर सर्व-सम्मति से इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप-2013 के लिए आठ अभ्यर्थियों का चयन किया जिनके नाम हैं:

 

1. श्री पुष्यमित्र, पंचायतनामा, प्रभात खबर, रांची झारखंड ( बिहार के खगडिया जिले में बाढ़-प्रभावित गांवों में विस्थापन और न्याय के मसले पर केंद्रित अध्ययन)

 2. सुश्री रश्मि कुमारी शर्मा, दैनिक जागरण, रांची, झारखंड ( झारखंड की आदिवासी महिलाओं के आप्रवास, जीविका और खेती के मसले पर केंद्रित अध्ययन)

3. श्री बाबूलाल नागा, राजस्थान पत्रिका, जयपुर, राजस्थान ( राजस्थान के बारां जिले के खैरुआ और सहरिया जनजाति के बीच भुखमरी और कुपोषण पर केंद्रित अध्ययन)

 4. श्री शंकर सिंह भाटिया, हिन्दुस्तान, देहरादून, उत्तराखंड ( मध्य हिमालयी जिले रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में खेतिहर अर्थव्यवस्था के संकट, जीविका और पलायन की समस्या पर केंद्रित अध्ययन)

 5.श्री विवियन फर्नान्डिस, सीएनएन-आईबीएन, दिल्ली ( गुजरात के आदिवासी विकास मॉडल की आलोचनात्मक समीक्षा तथा बहुराष्ट्रीय निगमों और खाद्यनिगम के बरक्स किसानों के मोलतोल कर पाने की शक्ति पर केंद्रित अध्ययन)

 6. श्री बिश्वजित बनर्जी, पॉयनियर, लखनऊ, उत्तरप्रदेश ( इन्सेफ्लाइटिस के विरुद्ध निर्धन-जन के संघर्ष तथा पूर्वी उत्तरप्रदेश में बच्चों के पुनर्वास पर केंद्रित अध्ययन)

 7. सुश्री मनीषा भल्ला, आऊटलुक, हिन्दी, दिल्ली ( हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश के खाप-पंचायतों के वर्चस्व वाले जिलों में अगम्यागमन, बलात्कार, लिंगानुपात और ऑनर-कीलिंग के मसले पर केंद्रित अध्ययन)

 8.श्री प्रवीण मालवीय, पत्रिका, भोपाल, मध्यप्रदेश ( नर्मदा के जलडमरुमध्य सरीखे भू-भाग के बाढ़ प्रभावित गांवों में खेतिहर भूमि के अधिकार तथा वहां जारी आपत्तिजनक सरकारी नीति पर केंद्रित अध्ययन)

 

फैलोशिप के लिए अभ्यर्थियों के नामों का चयन बहुत कठिन था क्योंकि प्रासंगिक, सुचिन्तित और सुगढ़ आवेदन बड़ी संख्या में आये। निर्णायक-मंडल को अपने निर्णय के पक्ष में राय बनाने के लिए प्रत्येक प्रस्ताव, प्रस्तुत स्टोरी आयडिया, सिफारिशी पत्र, कथा के प्रकाशन के अनुमति-पत्र, प्रकाशित रचनाओं के भेजे गए नमूनों तथा अभ्यर्थियों के अन्य विवरणों को कई-कई दफे देखना पडा ताकि बहुत से अभ्यर्थियों को हासिल समान अंकों के बीच किसी एक या दूसरे के पक्ष में निर्णय लिया जा सके। अभ्यर्थियों का अंतिम रुप से चयन मुख्य तौर पर भेजे गए प्रस्ताव की प्रासंगिकता, स्पष्टता, विचारों के नयेपन, प्रकाशन के लिए चुने गए माध्यम की पहुंच, प्रस्तुत प्रस्ताव के प्रति आग्रह और लगन तथा लेखन और अभिव्यक्ति-कौशल को आधार बनाकर किया गया। बहरहाल, निर्णायक-मंडल के सदस्यों ने चयन-प्रक्रिया के तहत अंतिम निर्णय पर पहुंचने में अपनी पत्रकारीय सूझ और विशेषाधिकार का भी उपयोग किया। निर्णायक-मंडल का मानना था कि अन्य बहुत से प्रस्ताव चयन के मुस्तहक थे लेकिन फैलोशिप की सीमित संख्या के कारण प्रतिस्पर्धा बहुत कठिन हो गई।

 

इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप देने का उद्देश्य मीडियाकर्मियों को इस विशाल देश के ग्रामीण-समुदाय से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करना है ताकि वे ग्रामीण-संकट पर अपनी विशेष समझ बना सकें, ग्रामीण-समुदाय की समस्याओं को करीब से देखें और उनपर लिखें तथा कालक्रम मे भारत के ग्रामीण-संकट के किसी खास पहलु पर विशेषज्ञता को प्राप्त करें।इन्कूलिसिव मीडिया परियोजना का एक मुख्य उद्देश्य मुख्यधारा की मीडिया में ग्रामीण भारत के बहुमुखी संकट की समझ को धारदार बनाना और उसकी कवरेज को बढ़ाना है। इस साल तीन फैलोशिप जीन कंपेन / सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सहयोग से दिये जा रहे हैं। इसका उद्देश्य भुखमरी / कुपोषण के मसले को उजागर करना और जमीनी स्तर पर सकारात्मक पहलकदमी और नवाचार के जरिए इस समस्या का उन्मूलन करना है। फैलोशिप के नियम-कायदों की जानकारी im4change.org पर उपलब्ध है।

 

 इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज परियोजना के तहत भारत के ग्रामीण संकट से संबंधित विचारों, सूचनाओं और विकल्पों का एक वेब-संसाधन आधारित भंडारघर im4change.org के नाम से चलाया जाता है। इसमें 30 से ज्यादा गहन-गंभीर बैकग्राऊंडर और 20000 से ज्यादा वेबलिंक मौजूद हैं। इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज परियोजना के तहत मीडिया-रिसर्च और पंचायत तथा विकेंद्रित नियोजन के जरिए सकारात्मक हस्तक्षेप पर केंद्रित कार्यशालाओं के आयोजन का भी काम होता है।

 



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