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चर्चा में.... | घट रहा है कुपोषण, रफ्तार में तेजी की जरुरत..
घट रहा है कुपोषण, रफ्तार में तेजी की जरुरत..

घट रहा है कुपोषण, रफ्तार में तेजी की जरुरत..

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published Published on Nov 24, 2014   modified Modified on Nov 24, 2014

कुपोषण के मोर्चे से एक अच्छी खबर! भारत केंद्रित एक सर्वेक्षण के शुरुआती निष्कर्ष हैं कि पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण का स्तर साल 2005-06 से 2013-14 के बीच घटा है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2014 में संकलित किए गए हैं। (देखें नीचे दी गई लिंक और बिन्दुवार तथ्य)


रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन नाम का यह सर्वेक्षण नागरिक संगठनों, स्वास्थ्य और खाद्य-सुरक्षा विशेषज्ञों की निरंतर मांग को देखते हुए किया गया है। कुपोषण से संबंधित इससे पहले के आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के हैं जो साल 2005-06 में प्रकाशित हुए थे। गौरतलब है कि कुपोषण के निवारण के लिए सुसंगत नीति बनाने और इस समस्या के समाधान की पैरोकारी के लिए नवीनतम आंकड़ों का होना बहुत जरुरी है।


इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2014: एक्शन्स एंड अकाऊंटबिलिटी टू एक्सिलीरेट द वर्ल्ड्स प्रोग्रेस ऑन न्यूट्रीशन नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005-06 में 5 साल के कम उम्र के 47.9 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग के शिकार यानि मानक से कम लंबाई के थे, ऐसे बच्चों की संख्या साल 2013-14 में घटकर 38.8 प्रतिशत हो गई है। नतीजतन स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 5.82 करोड़ से घटकर साल 2013-14 में 4.38 करोड़ रह गई है।


स्टंटिंग के घटने की सालाना दर 2.6 प्रतिशत है जबकि भारत के लिए वांछित सालाना दर 3.7 प्रतिशत है। लेकिन यह दर पिछले सर्वे के अनुमान( तब स्टंटिंग के घटने की दर 1.7 बतायी गई थी) से ज्यादा है। ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2014 के अनुसार भारत में स्टंटिंग की परिघटना में आयी कमी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में भारी कमी हो सकती है।


ठीक इसी तरह रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005-06 में 5 साल के कम उम्र के 20.0% बच्चे वेस्टिंग के शिकार थे यानि ऐसे बच्चे का वज़न उनकी लंबाई के लिए मान्य वज़न से कम था। ऐसे बच्चों की संख्या साल 2013-14 में घटकर 15.0%  हो गई है। नतीजतन स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 2.43  करोड़ से घटकर साल 2013-14 में 1.69  करोड़ रह गई है।


रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने अभी तक इस सर्वेक्षण के आंकड़ों तथा अपनायी गई पद्धति का पुनरावलोकन नहीं किया है। इस वजह से नये सर्वेक्षण के तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटाबेस में अभी शामिल नहीं हो पाये हैं। लेकिन अगर कुपोषण से संबंधित भारत सरकार के नये आंकड़ों का अंतिम रुप भी वही रहता है जैसा कि प्रारंभिक गणना से संबंधित रिपोर्ट में है तो फिर भारत में कुपोषण घटाने के संदर्भ में वर्ल्ड हैल्थ असेंबली द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने को लेकर और भी ज्यादा आशावान हुआ जा सकता है।

ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट का यह तथ्य भी गौरतलब है कि साल 2005-06 से 2013-14 यानि आठ सालों की अवधि में स्तनपान की परिघटना में सालाना 5.5 प्रतिशत( 46.4 से 71.6 प्रतिशत) की दर से बढोत्तरी हुई है— यह दर वर्ल्ड हैल्थ असेंबली द्वारा साल 2025 के लिए निर्धारित लक्ष्य (भारत के लिए 1.5 प्रतिशत) से ज्यादा है।


इस रिपोर्ट से पहले ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2014 में कहा गया था कि साल 2005-06 से 2013-14 के बीच पाँच साल से कम उम्र के मानक से कम वज़न वाले बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कहा गया था कि साल 2005-06 में मानक से कम वज़न वाले बच्चों(पाँच साल से कम उम्र के) की संख्या 43.5 प्रतिशत थी जो साल 2013-14 में घटकर 30.7 प्रतिशत हो गई। कुपोषण में हुई इस कमी के कारण भारत 76 देशों के बीच 55 वें स्थान(बांग्लादेश और पाकिस्तान से ऊपर लेकिन नेपाल से नीचे) पर पहुंच गया है।


रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-


• साल 2005-06 में 5 साल के कम उम्र के 47.9 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग के शिकार यानि मानक से कम लंबाई के थे, ऐसे बच्चों की संख्या साल 2013-14 में घटकर 38.8 प्रतिशत हो गई है। नतीजतन स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 5.82 करोड़ से घटकर साल 2013-14 में 4.38 करोड़ रह गई है।


• साल 2005-06 में 5 साल के कम उम्र के 20.0% बच्चे वेस्टिंग के शिकार थे यानि ऐसे बच्चे का वज़न उनकी लंबाई के लिए मान्य वज़न से कम था। ऐसे बच्चों की संख्या साल 2013-14 में घटकर 15.0%  हो गई है। नतीजतन स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 2.43  करोड़ से घटकर साल 2013-14 में 1.69  करोड़ रह गई है।



• स्टंटिंग के घटने की सालाना दर 2.6 प्रतिशत है जबकि भारत के लिए वांछित सालाना दर 3.7 प्रतिशत है। लेकिन यह दर पिछले सर्वे के अनुमान( तब स्टंटिंग के घटने की दर 1.7 बतायी गई थी) से ज्यादा है।



• साल 2005-06 से 2013-14 यानि आठ सालों की अवधि में स्तनपान की परिघटना में सालाना 5.5 प्रतिशत( 46.4 से 71.6 प्रतिशत) की दर से बढोत्तरी हुई है— यह दर वर्ल्ड हैल्थ असेंबली द्वारा साल 2025 के लिए निर्धारित लक्ष्य (भारत के लिए 1.5 प्रतिशत) से ज्यादा है।



• दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले देशों में दूसरे नंबर पर कायम भारत से संबंधित आंकड़ों के संकेत हैं कि वह वर्ल्ड हैल्थ असेंबली द्वारा निर्धारित सूचकांकों पर अपेक्षा से कहीं अधिक तेजी से प्रगति कर रहा है। मिसाल के लिए, अगर प्रारंभिक के दौर के आंकड़ों में अगर बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं होता तो कहा जा सकता है कि स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या भारत में 1 करोड़ से ज्यादा की संख्या में कम की जा चुकी है।



• भारत सरकार ने बच्चों के पोषण से संबंधित एक नया सर्वेक्षण किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने अभी तक इस सर्वेक्षण के आंकड़ों तथा अपनायी गई पद्धति का पुनरावलोकन नहीं किया है। इस वजह से नये सर्वेक्षण के तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के डेटाबेस में अभी शामिल नहीं हो पाये हैं। लेकिन अगर कुपोषण से संबंधित भारत सरकार के नये आंकड़ों का अंतिम रुप भी वही रहता है जैसा कि प्रारंभिक गणना से संबंधित रिपोर्ट में है तो फिर वर्ल्ड हैल्थ असेंबली द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के संदर्भ में और भी ज्यादा आशावान हुआ जा सकता है।



• महाराष्ट्र राज्य के अनुभवों से संकेत मिलते हैं कि अगर 6-12 साल तक लगातार प्रयास किए जायें तो पोषणगत स्थितियों को सुधारने में महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।



• महाराष्ट्र से संबंधित एक नये राजव्यापी सर्वेक्षण (Haddad et al 2014) का निष्कर्ष है कि वहां बच्चों में स्टंटिंग की परिघटना में महज सात सालों के अंदर एक तिहाई की कमी(36.5 से 24.0 प्रतिशत) आई। वहां स्टंटिंग के घटने की सालाना दर 5.8 प्रतिशत रही। स्टंटिंग की घटना में कमी के लिए पोषणगत उपायों के अतिरिक्त, भोजन और शिक्षा की उपलब्धता की स्थिति को बेहतर बनाना तथा गरीबी और प्रजनन दर को कम करना जरुरी है।

 

इस कथा के विस्तार के लिए कुछ जरुरी लिंक-

 

Global Nutrition Report 2014: Actions and Accountability to Accelerate the World's Progress on Nutrition, prepared by IFPRI (please click here to access) 



Global Hunger Index 2014: The Challenge of Hidden Hunger, prepared by International Food Policy Research Institute, Welthungerhilfe and Concern Worldwide (please click here to access) 



2012 Global Hunger Index-The Challenge of Hunger: Ensuring Sustainable Food Security under Land, Water, and Energy Stresses (please click here to access)



Nutrition Barometer: Gauging national responses to undernutrition (2012), Save the Children and World Vision (please click here to access)



NFHS 3 Summary of findings (please click here to access)

 

 



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