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चर्चा में.... | जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक का स्वागत

जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक का स्वागत

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published Published on Oct 31, 2012   modified Modified on Oct 31, 2012

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारत में अगले 10 साल तक जीएम( परिवर्तित आणुवांशिकी वाले) फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगायी जानी चाहिए। पर्यावरणवादी समूहों, नागरिक संगठनों और वैज्ञानिकों ने इस सिफारिश का स्वागत किया है। समिति की सिफारिशों में भोजन के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सारी बीटी-ट्रांसजेनिक फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगानी की बात शामिल है( मूल रिपोर्ट और विस्तृत ब्यौरे के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)।

जीएम-फसल विरोधी कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स तथा अन्य लोगों की याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया था। समिति की सिफारिशों में ठीक वही गूंज  है जो अगस्त महीने में संसदीय समिति ने जीएम फसलों के परीक्षण से संबंधित अपने निष्कर्ष में कहा था। संसदीय समिति ने भी जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगाने की बात कही थी। एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों का स्वागत करने वालों में जीन कंपेन, ग्रीनपीस तथा कॉएलिशन फॉर जीएम फ्री इंडिया का नाम शामिल है। कुल 31 वैज्ञानिकों, संस्थाओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने उक्त समिति के समक्ष अपना निवेदन भेजा था तथा जीएम-प्रौद्योगिकी के नफा-नुकसान के बारे में लिखित प्रस्तुति दी थी। ( कृपया इससे संबंधित ब्यौरे के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)  

पाँच सदस्यीय टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी ने कहा है कि जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण की निगरानी के लिए बेहतर तरीके से काम करने वाला एक ताकतवर नियामक प्राधिकरण बनाया जाना चाहिए तथा जीएम फसलों का आहार और पर्यावरण पर दूरगामी असर जानने के लिए आगे विशेष अध्ययन होना चाहिए। समिति ने यह भी कहा है कि नियामक प्राधिकरण में ताकतवर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और छोटे तथा सीमांत किसानों के हितों की टकराहट की स्थिति में छोटे और सीमांत किसानों की हितरक्षा के लिए व्यवस्था होनी चाहिए।

समिति की अंतरिम रिपोर्ट में एकमत से कहा गया है जब तक निम्नलिखित शर्तों को पूरा नहीं किया जाता तबतक भारत में जीएम फसलों के हर जमीनी परीक्षण पर रोक लगायी जाय:

1. जमीनी परीक्षण के लिए विशेष स्थानों का निर्धारण और प्रमाणीकरण तथा परीक्षण की निगरानी के लिए समुचित व्यवस्था हो।

2. जीएम फसलों से संबंधित जैव-सुरक्षा के आंकड़ों के मूल्यांकन में सिद्घहस्त वैज्ञानिकों की एक टोली बनायी जाय जो जैव-सुरक्षा संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण करे।

3. परीक्षण की निगरानी के लिए बनायी गई संस्था के भीतर हितों की टकराहट का समाधान हो।

4. सिफारिशों में कहा गया है कि जमीनी परीक्षण से पहले एक शुरुआती जैव-सुरक्षा जांच होनी चाहिए जिसमें पता लगाया जाय कि क्या जीएम फसलों का परीक्षण किसी तरह छोटे जीव-जंतुओं में कोई जहरीला असर पैदा कर रहा है।

समिति ने यह भी कहा है कि जिन जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण के लिए हरी झंडी दी जा चुकी है उनके जैव-सुरक्षा संबंधी आंकड़ों की फिर से जांच होनी चाहिए, साथ ही समिति की सिफारिशों के अनुसार जीएम फसलों के परीक्षण की चाहे अनुमति मिली हो या भी मिलनी बाकी हो, उनके दूरगामी असर को जानने के लिए विशेष अध्ययनों की जरुरत है। समिति की यह भी इच्छा है कि जिन जीएम फसलों का उत्पत्ति-स्थल भारत रहा है अथवा जिन जीएम फसलों का विविधीकरण भारत में किया गया है उनके परीक्षण पर भी उपर्युक्त शर्तों के पूरा होने तक रोक होनी चाहिए।

समिति के अनुसार जीएम फसलों के परीक्षण के लिए राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों, इंडियन काउंसिल ऑव एग्रीकल्चर रिसर्च तथा जीएम फसलों के आवेदनकर्ता कंपनी की जमीन में ही परीक्षण किया जाना चाहिए, किसी भी सूरत में ऐसे परीक्षणों के लिए किसी अन्य को अनुबंधित नहीं किया जा सकता अथवा यह काम किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता। समिति ने स्पष्ट कहा है कि जीएम फसलों का परीक्षण कृषि-भूमि में नहीं होना चाहिए और इस चलन को तुरंत रोका जाना चाहिए।  ऐसे कई मामले प्रकाश में आये हैं जब खुले में परीक्षित जीएम फसलों के उत्पाद बगैर किसी जांच के सीधे बाजार में चले आये हैं और स्थानीय लोगों ने गैर-जानकारी में उनका उपभोग करके अपनी सेहत का खतरा मोल लिया है। 

जीएम फसलों से संबंधित बीटी प्रौद्योगिकी का विकास सर्वप्रथम अमेरिकी बायोटेक कंपनी मोंसांटो ने 1986 में किया था और इस प्रौद्योगिकी का भारत में प्रवेश एक तकरीबन दस साल पुराना है जब  कपास-उत्पादन के लिए इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया।तीन साल पहले मोंसांटो का भारतीय साझीदार महाराष्ट्र हायब्रिड सीड कंपनी(माहेको) ने बीटी जीन के इस्तेमाल वाले बैंगन के बीजों का व्यावसायीकरण करना चाहा लेकिन तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मानवीय सेहत एवं पर्यावरण से संबंधित व्यापक चिंताओं के बीच इस पर अनियतकालीन प्रतिबंध की घोषणा की।

 

Technical Expert Committee’s interim report

http://indiagminfo.org/wp-content/uploads/2012/10/SC-TEC-i
nterim-report-oct17th-2012-GMO-PIL.pdf

The Supreme Court Order Setting Up The Tec, Its Constitution And Its Terms Of Reference

http://indiagminfo.org/wp-content/uploads/2012/10/2012_STP
LWeb_294_SC.pdf

 “Cultivation of Genetically Modified Food Crops–Prospects and Effects”, Committee on Agriculture, Fifteenth Lok Sabha, 37th Report, August, 2012, http://164.100.47.134/lsscommittee/Agriculture/GM_Report.pdf

 Interim Report of the Supreme Court Technical Expert Committee in GMOs PIL

http://www.indiaenvironmentportal.org.in/files/file/SC-TEC
-interim-report-oct17th-2012-GMO-PIL.pdf

Bt Cotton in India: A Country Profile by Bhagirath Choudhary and Kadambini Gaur, July, 2010, http://www.isaaa.org/resources/publications/biotech_crop_p
rofiles/bt_cotton_in_india-a_country_profile/download/Bt_C
otton_in_India-A_Country_Profile.pdf

Background Note on Bt Cotton Cultivation in India, http://www.envfor.nic.in/divisions/csurv/geac/bgnote.pdf

Science panel urges halt to GM field trials in India

http://blogs.nature.com/news/2012/10/science-panel-urges-h
alt-to-gm-field-trials-in-india.html

 Indian parliamentary panel slams GM crops

http://blogs.nature.com/news/2012/08/indian-parliamentary-
panel-slams-gm-crops.html

 “Should field trials of GM crops be banned? – NO” – Harish Damodaran

http://www.thehindubusinessline.com/opinion/should-field-t
rials-of-gm-crops-be-banned-no/article4034935.ece?homepage
=true

“Should field trials of GM crops be banned? – YES” – Kavitha Kuruganti

http://www.thehindubusinessline.com/opinion/should-field-t
rials-of-gm-crops-be-banned-yes/article4034938.ece?homepag
e=true

 Boon or curse? Spotlight on Bt brinjal again!

http://www.im4change.org/news-alert/boon-or-curse-spotligh
t-on-bt-brinjal-again-1179.html

 Basudeb Acharia, Chairman of the Parliamentary Standing Committee on Agriculture interviewed by Gargi Parsai, The Hindu, 21 August, 2012,

http://www.im4change.org/interviews/basudeb-acharia-chairm
an-of-the-parliamentary-standing-committee-on-agriculture-
interviewed-by-gargi-parsai-16684.html

 



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