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न्यूज क्लिपिंग्स् | पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना फसलों में रोग नियंत्रण कर सकते हैं मिट्टी के सूक्ष्मजीव

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना फसलों में रोग नियंत्रण कर सकते हैं मिट्टी के सूक्ष्मजीव

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published Published on Jan 22, 2022   modified Modified on Jan 28, 2022

-डाउन टू अर्थ,

कृषि-तकनीक में नई खोज किसानों को फसलों पर लगने वाले रोगों को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह तकनीक वर्तमान में उपयोग होने वाले रासायनिक उपचारों में लगने वाली लागत और पर्यावरणीय क्षति को कम करने का एक अहम तरीका है।

जॉन इन्स सेंटर की टीम ने एक व्यावसायिक आलू के खेत की मिट्टी से स्यूडोमोनास बैक्टीरिया के सैकड़ों वेरिएंटों को अलग किया और उनका परीक्षण किया। फिर इनमें से 69 वेरिएंटों के जीनोम का अनुक्रमण किया गया।

रोग फैलाने की गतिविधि को रोकने के लिए दिखाए गए उन वेरिएंटों के जीनोम की तुलना करके, टीम ने कुछ वेरिएंटों में एक महत्वपूर्ण तंत्र की पहचान की। यह तंत्र आलू की फसल को हानिकारक रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया से बचाती है।  

आनुवंशिकी और पौधों के संक्रमण प्रयोगों का उपयोग करके उन्होंने दिखाया कि चक्रीय लिपोपेप्टाइड नामक छोटे अणुओं का उत्पादन आलू की पपड़ी या पोटैटो स्कैब रोग के नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसे जीवाणु द्वारा फैलने वाला रोग है जो आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है।

इन छोटे अणुओं का रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया पर एक जीवाणुरोधी प्रभाव होता है जो आलू की पपड़ी रोग का कारण बनते हैं। ये सुरक्षात्मक स्यूडोमोनास को चारों ओर घूमने और पौधों की जड़ों में बने रहने में मदद करते हैं।

प्रयोगों से यह भी पता चला कि सिंचाई से मिट्टी में आनुवंशिक रूप से अलग-अलग स्यूडोमोनास आबादी में पर्याप्त बदलाव होता है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ अल्बा पाचेको-मोरेनो ने कहा कि हमने आलू में रोग फैलाने वाले तंत्र की पहचान की है। हमारा अध्ययन जैविक नियंत्रण एजेंटों के विकास में तेजी लाएगा ताकि रासायनिक उपचार को कम किया जा सके जो एनवायरनमेंट के लिए बहुत हानिकारक हैं।

उन्होंने कहा कि हम इस तकनीक को अन्य पौधों की बीमारियों को रोकने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं। यह अध्ययन एक ऐसी विधि बतलाता है जिसके द्वारा शोधकर्ता किसी भी फसल उगाने वाले खेत के माइक्रोबायोम की जांच कर सकते हैं। इसमें अलग-अलग तरह की मिट्टी, कृषि और पर्यावरणीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सकता है। 

आनुवंशिक अनुक्रमण की मदद से बैक्टीरिया के लिए मिट्टी के माइक्रोबायोम की जांच की जा सकती है। इस विधि से यह भी पता लगाया जा सकता है कि रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया को रोकने के लिए कौन से अणुओं का उत्पादन हो रहा है।

वे यह भी दिखा सकते हैं कि ये लाभकारी कीट मिट्टी के प्रकार और सिंचाई जैसे कृषि संबंधी कारकों से कैसे प्रभावित होते हैं। नए काम के तौर पर अगला कदम लाभकारी कीटों को उसी इलाके में अधिक संख्या में मिट्टी माइक्रोबायोम बूस्टिंग उपचार के रूप में वापस रखना है।

जॉन इन्स सेंटर के सह-अध्ययनकर्ता डॉ जैकब मेलोन ने इसके फायदों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण का व्यापक लाभ यह है कि हम बैक्टीरिया के वेरिएंटों का उपयोग कर रहे हैं जो पर्यावरण से लिए गए हैं और उसी जगह वापस रखे गए हैं। ताकि एनवायरनमेंट को कोई नुकसान न हो। इस विधि को स्प्रे के रूप में या ड्रिप सिंचाई के माध्यम से उपयोग किया जा सकता है। 

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


दयानिधी, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/agriculture/farming/soil-microbes-can-control-diseases-in-crops-without-harming-the-environment-81220


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