Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | दलहन के पारंपरिक किसानों का समर्थन करने से मिल सकती है दालों की आत्मनिर्भरता

दलहन के पारंपरिक किसानों का समर्थन करने से मिल सकती है दालों की आत्मनिर्भरता

Share this article Share this article
published Published on Sep 14, 2021   modified Modified on Sep 14, 2021

-डाउन टू अर्थ,

दालों की जमाखोरी हमेशा महंगाई लेकर आती है। दालों की महंगाई जमाखोरी का एक संकेतक बन गई है। शायद इसी भय से बीच-बीच में कानून में फेरबदल और बदलाव होते हैं। स्वतंत्र व कानून मामलों की शोधार्थी व नीति विशेषज्ञ शालिनी भुटानी का यह आलेख इन्हीं परेशानियों की तहें खोल रहा है : 

भारत सरकार स्पष्ट रूप से जमाखोरी को लेकर चिंतित है, जो ऐसे समय में दालों की कीमतों को बढ़ा सकती है जब मुद्रास्फीति बढ़ रही है। पूर्व में भी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट (ईसीए) के तहत निर्धारित अनाज और दालों की स्टॉकिंग सीमा ने जमाखोरी को रोकने में मदद की। यह 2 जुलाई 2021 को पारित आदेश (19 जुलाई को संशोधित आदेश) का स्पष्ट कारण प्रतीत होता है। इस आदेश के तहत स्टॉक सीमा की अवधि  31 अक्टूबर 2021 तक है । 


स्टॉक सीमा का यह आदेश यह उस अवधि से भी मेल खाता है जिसमें मई 2021 से भारत सरकार द्वारा एक ओपन जेनरल  लाइसेंस (ओजीएल) के तहत दालों के आयात की अनुमति दी गई है। इसका तात्पर्य यह है कि दालों को बिना लाइसेंस और बिना किसी प्रतिबंध के स्वतंत्र रूप से आयात किया जा सकता है। हालांकि, 2 जुलाई को दिया गया स्टॉक सीमा पर हालिया आदेश आयातकों द्वारा स्टॉक किये जा सकने वाले माल की मात्रा पर सीमा निर्धारित करता था। 

2 जुलाई, को जारी स्टॉक सीमा आदेश में आयातकों के लिए किया गया प्रावधान 

15 मई 2021 से पहले स्टॉक/आयातित राशि के लिए 200 मिलियन टन और एक किस्म के 100 मिलियन टन से अधिक नहीं।  
15 मई 2021 के बाद आयात किए गए स्टॉक के लिए, सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों के बाद समान स्टॉक सीमा लागू होती है।  
(19 जुलाई को स्टॉक सीमा के संशोधित आदेश में बदलाव किया गया और आयातकों को बाहर निकाल दिया गया।)

कानून और नीतियों में ये लगातार बदलाव अनिश्चितताएं पैदा करते हैं, खासकर आयातकों के लिए। हालाँकि भारत को दालें निर्यात  करने वाले मलावी और म्यांमार जैसे देशों के साथ  सरकार ने जून 2021  में एक समझौता किया जिसके तहत भारत सरकार इन दोनों देशों से अगले पांच वर्षों तक निजी व्यापार के माध्यम से अरहर और उड़द दाल आयात करेगी।  यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये देश घरेलू स्तर पर दाल का उपभोग नहीं करते हैं जैसा कि भारत करता है।

लेकिन शायद सबसे अधिक आवश्यकता दालों के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने की है। भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भले ही केवल 10 राज्य देश की 70 प्रतिशत दाल की खपत करते हैं। क्षेत्र विशिष्ट आवश्यकताएं होने के साथ साथ भारत में  न तो समान खाने की आदतें हैं और न ही समान कृषि पारिस्थितिक वास्तविकताएं। यह विविधता स्वयं एक अधिक गैर-केंद्रीकृत उत्पादन योजना के आयोजन का माध्यम हो सकती है। 

2033 के लिए मांग और आपूर्ति अनुमानों पर नीति आयोग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए क्षेत्र में रबी दालों की क्षमता और उपज विस्तार का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता है।

दालें खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए भारत सरकार की रणनीति का अभिन्न अंग हैं। उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार का  उपभोक्ता मंत्रालय एवं  खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को वितरण के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव के अनुसार: पीएमजीकेएवाई के पहले चरण में, राज्यों की प्राथमिकताएं जो भी थीं (और वे अविश्वसनीय रूप से विविध थीं ) उन सभी दालों की आपूर्ति उन  राज्य सरकारों को की गयी थी। और जुलाई से नवंबर 2020 तक चले कार्यक्रम के अगले चरण में सभी राज्यों को काला चना दिया गया था।  

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


शालिनी भुटानी, https://www.downtoearth.org.in/hindistory/agriculture/government-schemes/supporting-the-traditional-farmers-of-pulses-can-provide-self-sufficiency-in-pulses-78999


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close