Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
चर्चा में.... | यूपी : फसल बीमा वाले किसानों की तादाद राष्ट्रीय औसत से पांच गुना कम
यूपी : फसल बीमा वाले किसानों की तादाद राष्ट्रीय औसत से पांच गुना कम

यूपी : फसल बीमा वाले किसानों की तादाद राष्ट्रीय औसत से पांच गुना कम

Share this article Share this article
published Published on Dec 14, 2015   modified Modified on Dec 14, 2015

सूखे की मार से बुंदेलखंड(यूपी) के बारे में आ रही भुखमरी की खबरों के बीच एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी के तकरीबन सवा दो करोड़ किसानों में केवल 8 लाख किसानों ही फसल का बीमा करवा सके हैं.

 

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट(सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में फसल बीमा वाले किसानों की संख्या राष्ट्रीय औसत से तकरीबन सवा पांच गुना कम है. देश में 20 प्रतिशत किसानों को किसी ना किसी प्रकार का फसल बीमा हासिल है जबकि यूपी में फसल बीमा वाले किसानों की संख्या महज 3.5 प्रतिशत है.(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

गौरतलब है कि कृषि-जनगणना(2011) के अनुसार देश में सबसे ज्यादा किसान( कुल 22167562 ) यूपी में हैं. राज्य में खेतिहर मजदूरों की तादाद सवा करोड़ से ज्यादा (13400911) है.(देखें लिंक)

 

ज्यादातर किसान बीमा-योजनाओं से परिचित नहीं है या फिर परिचित भी हैं तो उन्हें बीमा-योजना के बारे में साफ-साफ जानकारी नहीं है.

 


उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के किसानों, स्थानीय प्रशासन तथा सरकारी अधिकारियों के साक्षात्कार तथा मौआ-मुआयना पर आधारित सीएसई की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अधिकतर किसान फसल बीमा हासिल करने की प्रक्रिया और बीमा-योजना से प्राप्त सुविधाओं के बारे में नहीं जानते कि-" कौन सी योजना उनके इलाके में लागू होगी और किस फसल के लिए प्रीमियम की राशि काटी गई है."

 

बीमा योजनाओं के बारे में जानकारी की कमी के अतिरिक्त फसल-बीमा कराने में एक बड़ी बाधा बीमा के मद में काटी जाने वाली प्रीमियम की राशि है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए.

 

सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर किसान मानते हैं कि आपदा की घड़ी में राहत के तौर पर बड़ी रकम बांटने की जगह "सरकार को चाहिए वह प्रीमियम की राशि का एक बड़ा हिस्सा खुद चुकाये और इस बात को सुनिश्चित करे कि किसानों को संकट की घड़ी में मुआवजे की राशि समय से मिले."

 

गौरतलब है कि अतिवृष्टि और अनावृष्टि जैसी स्थतियों में किसानों को सशक्त बनाने के उपाये पर केंद्रित सीएसई की इस रिपोर्ट के अनुसार यूपी में बेमौसम बारिश के कारण 75 में से कुल 72 जिलों में फसल का 33 प्रतिशत या उससे ज्यादा हिस्सा नुकसान हुआ लेकिन अप्रैल 2015 तक मुआवजे के कुल 11000 दावों का ही निबटारा हो पाया था जबकि फसल-बीमा में नियम यह है कि जिन पंचायतों में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा की फसल-हानि हुई हो वहां 25 प्रतिशत ऑन अकाउंट पेमेंट तत्काल हो जाना चाहिए.

 

बीमा के कुछेक नियमों का व्यावहारिक ना होना भी रिपोर्ट के अनुसार किसानों को फसल-बीमा का फायदा पहुंचा पाने में बाधक है. मिसाल के लिए 2014 के खरीफ के मौसम में सूखे की हालत और 2014-15 में रबी के मौसम में भारी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसल मारी गई और किसान समय पर कर्ज की किश्त अदा नहीं कर सके. रिपोर्ट के अनुसार कर्ज के किश्त की अदायगी समय पर ना होने से किसानों को बीमा का मुआवजा भी नहीं मिला.

 

रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि फसल-बीमा से जुड़े कुछ नियम कठिन और अव्यावहारिक है. मिसाल के लिए आपदा की स्थिति उत्पन्न होने के 48 घंटे के भीतर अगर किसान फसल को हुए नुकसान के बारे में सूचित करना जरुरी है. अगर किसान ऐसा नहीं करता तो फसल-बीमा होने के बावजूद उसे मुआवजे की राशि नहीं दी जाएगी.

 

कृपया इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक चटकायें-

Lived Anomaly: How to enable farmers in India to cope with extreme weather events, Down to Earth, November, 2015, please click here to access

 

 

Deepening agrarian crisis endangers food security, please click here to access 

 

 

Rs 20k crore worth crops lost due to February-April unseasonal rains: Report, The Economic Times, 27 November, 2015, please click here to access 

 

Farm distress: Centre wants states to properly implement its irrigation schemes -Vishwa Mohan, The Times of India, 27 November, 2015, pleaseclick here to access 

 

Millions of farmers don’t have safeguards against climate change impact -Chetan Chauhan, Hindustan Times, 26 November, 2015, please click hereto access 

 

How to enable farmers to cope with extreme weather events, Down to Earth, 25 November, 2015, please click here to access  

 

Rural distress worsens across India -Sayantan Bera, Livemint.com, 25 November, 2015, please click here to access 

 

Lower-cost crop cover on cards, The Financial Express, 18 November, 2015, please click here to access 

 

For drought-hit farmers, higher compensation still a pittance -Sanyantan Bera, Livemint.com, 2 November, 2015, please click here to access 

 

Killing fields, The Hindu Business Line, 11 October, 2015, please click here to access 

 

New crop insurance scheme to charge 2% premium for pulses -Sanjeeb Mukherjee, Business Standard, 12 October, 2015, please click here to access 

 

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार- http://www.clipper28.com/ से 



Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close