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चर्चा में.... | यूपीए-2 बनाम एनडीए-- सेहत पर किसका खर्च ज्यादा?
यूपीए-2 बनाम एनडीए-- सेहत पर किसका खर्च ज्यादा?

यूपीए-2 बनाम एनडीए-- सेहत पर किसका खर्च ज्यादा?

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published Published on Oct 5, 2015   modified Modified on Oct 5, 2015
क्या यूपीए-2 के शासन के पहले साल के मुकाबले एनडीए की सरकार ने शासन के अपने पहले साल में स्वास्थ्य के मद में कम खर्च किया ?

 

हाल ही में जारी नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2015 के तथ्य ऐसा ही संकेत कर रहे हैं. साल 2009-10 में स्वास्थ्य के मद में खर्च होने वाले हर सौ रुपये में केंद्र सरकार ने 36 रुपये का खर्च किया और राज्य सरकारों ने 64 रुपये जबकि साल 2014-15 में केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य के मद में खर्च होने वाले हर सौ रुपये में 30 रुपये का योगदान किया जबकि राज्यों ने 70 रुपये का.(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

गौरतलब है कि यूपीए-2 के शासन के पहले साल यानी 2009-10 के मुकाबले एनडीए के शासन के पहले साल 2014-15 में सेहत पर सरकारी खर्चा तकरीबन दोगुना ( प्रतिव्यक्ति 621 से बढ़कर 1280 रुपये) बढ़ा है लेकिन इस बढ़े हुए खर्चे में केंद्र का योगदान 36 फीसदी से घटकर 30 फीसदी और राज्यों के खर्चे का अनुपात 67 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो गया है.

 

यह तथ्य इस आशंका की पुष्टी करता है कि स्वास्थ्य सहित सामाजिक कल्याण के अन्य खर्चों का ज्यादा से ज्यादा भार केंद्र सरकार राज्यों के जिम्मे डाल रही है. गौरतलब है कि हाल ही में रैपिड सर्वे ऑफ चिल्ड्रेन के निष्कर्षों पर केंद्रित अपने आलेख में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा है कि केंद्र सरकार की "स्वास्थ्य नीति जड़ता और भ्रम के दलदल" में फंसी है और "केंद्र सरकार बड़े कारगर तरीके से सामाजिक कल्याण की नीतियों का भार राज्यों पर डाल रही है."(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

नेशनल हैल्थ प्रोफाइल के अन्य तथ्य भी स्वास्थ्य के मामले में पहले की तुलना में कोई बेहतर तस्वीर पेश नहीं करते.

 

रिपोर्ट के अनुसार बीते दो दशक( 1991-92 से 2014-15) में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या भले ही चार गुणा इजाफा हुआ हो लेकिन देश में अब भी साढ़े ग्यारह हजार( कुल 11528) की आबादी पर एक ही सरकारी एलोपैथिक डाक्टर मौजूद है.

 

ठीक इसी तरह बीते दो दशकों में डेंटल कॉलेज में बीडीएस कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में 13.2 गुना और एमडीएस कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद में 24.5 गुना का इजाफा हुआ है लेकिन देश में 2.2 लाख की आबादी पर बस एक ही सरकारी डेंटल सर्जन मौजूद है.

 

रिपोर्ट के अनुसार सरकारी क्षेत्र में स्वास्थ्य-सेवा प्रदान करने के लिए जरुरी ढांचे का विकास जरुरत के हिसाब से बहुत ही कम है. कुल 1790 लोगों पर सरकारी अस्पतालों में बस एक ही बेड उपलब्ध है. ठीक इसी तरह, नेत्रजनित अशक्तता के शिकार लोगों की संख्या देश में तकरीबन 50 लाख है जो कि शारीरिक अशक्तता के शिकार कुल लोगों का 19 प्रतिशत है लेकिन देश में केवल 249 ही आई-बैंक हैं यानी 20,201 लोगों के लिए केवल 1 एक आई-बैंक.

 

विभिन्न रिपोर्टों के तथ्यों के संकलन के आधार पर नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2015 में बताया गया है कि सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज के मामले में अग्रणी देशों मसलन चीन(3.1 प्रतिशत), दक्षिण अफ्रीका(4.3 प्रतिशत) रुस(3.1 प्रतिशत) और ब्राजील(4.7 प्रतिशत) की तुलना में भारत में सरकार जीडीपी का बहुत कम हिस्सा(1.1 प्रतिशत) स्वास्थ्य के मद में खर्च करती है.

 

स्वास्थ्य के मद में होने वाला प्रतिव्यक्ति खर्च (16 डॉलर) भी भारत में पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका (45 डालर), भुटान ( 66 डॉलर) और मालदीव ( 415 डॉलर) की तुलना में कम है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक खोलें--

 

National Health Profile 2015, produced by the Central Bureau of Health Intelligence, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 

 

Shri J P Nadda releases National Health Profile-2015, Press Information Bureau, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=127098 

 

71st round NSS report: Key Indicators of Social Consumption in India Health (published in June 2015), please click here to access 

 

Rising burden of out-of-pocket health expenditure, please click here to access
 

 

Health expense is a major burden on rural citizenry, please click here to access 

 

National Health Profile 2015: Suicides on a rise, cancer cases may grow by 15 per cent in five years -Karnika Bahuguna, Down to Earth, 23 September, 2015, please click here to access
 

 

Less than 20% of population under health insurance cover: Report -Sushmi Dey, The Times of India, 24 September, 2015, please click here to access 

 

National Health Profile highlights poor doctor-patient ratio -Rukmini S, The Hindu, 22 September, 2015, please click here to access 

 

Respiratory disease cases rose by 5 million since 2012: Government -Sushmi Dey, The Times of India, 23 September, 2015, please click here to access 

 

New Health Policy and Chronic Disease: Analysis of Data and Evidence -Subrata Mukherjee, Anoshua Chaudhuri, and Anamitra Barik, Economic and Political Weekly, Vol-L, No. 37, September 12, 2015, please click here to access  



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