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चर्चा में.... | राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा
राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा

राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा

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published Published on Jan 24, 2020   modified Modified on Jan 24, 2020
साल 2019 बीतते-बीतते प्रमुख राजनीतिक दलों की वित्तीय आय और इलेक्टोरल बॉन्ड यानि चुनाव में चंदे की नई व्यवस्था से जुड़ी कई खबरें और चर्चाएं सुनने को मिलीं. लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने और पत्रकारों ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी चंदा लेने के इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे अपारदर्शी तंत्र पर सवालिया निशान खड़े किए. इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग करते हुए गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और कॉमन कॉज़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की है, जिसकी निरंतर सुनवाई जारी है. 

लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनावों में प्रमुख राजनीतिक दलों के उड़ने वाले हेलिकोप्टरों के शोरगुल के बीच यह सवाल तेज होने लगता है कि चुनाव में खर्च करने के लिए इतना पैसा आता कहां से है. प्रमुख राष्ट्रीय दलों की साल 2019 की वित्तीय आय और उनके खर्च की रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था एडीआर का मानना है कि राजनीतिक दल विभिन्न स्त्रोतों से दान प्राप्त करते हैं इसलिए जवाबदेही और पारदर्शिता उनके कामकाज का महत्वपूर्ण पहलू होना चाहिए. 

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय दलों (एनसीपी को छोड़कर) के कुल आय और खर्च का विश्लेषण किया है जो उन्होंने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए अपने आयकर में भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया. इन राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) (सीपीएम) और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआइटीसी) है. चुनाव आयोग को दलों द्वारा वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की नियमित तिथि 31 अक्टूबर, 2019 थी. बसपा, सीपीएम और एआईटीसी तीनों पार्टियों ने ही अपने ऑडिट रिपोर्ट्स निर्धारित समयसीमा से पहले प्रस्तुत की है, लेकिन बीजेपी ने निर्धारित समयसीमा तिथि के 24 दिन बाद, कांग्रेस और सीपीआई ने 42 दिन बाद अपना ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा करवाया. इतना ही नहीं एनसीपी ने 76 दिन बाद भी अपना ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में प्रस्तुत नहीं किया है.

वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान बीजेपी ने कुल 2410.08 करोड़ रुपये की आय घोषित की है जिसमें से पार्टी ने केवल 1005.33 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 41.71% खर्च किया, वही कांग्रेस ने कुल 918.03 करोड़ रुपये की आय घोषित की है जिसमें से पार्टी ने 469.92 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 51.19% ही खर्च किया. तृणमूल कांग्रेस ने कुल 192.65 करोड़ रुपये की आय घोषित की है जिसमें से पार्टी ने 11.50 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 5.97% खर्च किया है. बसपा ने अपने कुल आय में से 70.04% और सीपीएम ने 75.43% ही खर्च किया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान सीपीआई पार्टी ने 7.15 करोड़ रुपये की आय घोषित की है लेकिन पार्टी का कुल खर्च 5.79 करोड़ रुपये था.

 राष्ट्रीय दल अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताते हैं कि उन्होंने आय पूरे भारतवर्ष से विभिन्न स्त्रोतों से इकट्ठा की है. 7 में से 6 राष्ट्रीय दल के ऑडिट रिपोर्ट सार्वजानिक तौर पर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. इन 6 दलों की कुल आय 3,698.66 करोड़ रुपये (पूरे भारतवर्ष से) है. कुल आय 2410.08 करोड़ रुपये के साथ राष्ट्रीय दलों में से बीजेपी ने सबसे अधिक आय घोषित की है जो इन 6 दलों के कुल आय का 65.16% है, दूसरे स्थान पर कांग्रेस ने 918.03 करोड़ रुपये की आय घोषित की है जो 6 राष्ट्रीय दलों के कुल आय का 24.82% है. सीपीआई ने 7.15 करोड़ रुपये की सबसे कम आय घोषित की है जो वि व 2018-19 के दौरान 6 राष्ट्रीय दलों की कुल आय का मात्र 0.19% है. 
 
  साल 2018-19 में मुख्य राजनीतिक दलों की आय और खर्च

 
स्त्रोत: Annual Audit Report by Political Parties (Recognized National Parties),2018-2019 देखने के लिए यहां क्लिक करें.

वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बीच राष्ट्रीय दलों की कुल आय की तुलना करने पर पाते हैं कि बीजेपी की आय में 134.59% (रु 1382.74 करोड़) की वृद्धि हुई है. बीजेपी ने साल 2017-18 में अपनी आय 1027.34 करोड़ रुपये दर्शायी थी, जोकि 2018-19 में बढ़कर 2410.18 करोड़ रुपये हो गयी है. कांग्रेस की आय में 360.97% (रु 718.88 करोड़) की वृद्धि हुई है. कांग्रेस ने साल 2017-18 में अपनी आय 199.15 करोड़ रुपये दर्शायी थी, जोकि साल 2018-19 में बढ़कर 918.03 करोड़ रुपये हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान, तृणमूल कांग्रेस की आय 5.167 करोड़ रुपये थी जोकि 2018-19 में 3628.47% बढ़कर 187.48 करोड़ रुपये हो गयी है.

राष्ट्रीय दलों ने दान से अधिक धन प्राप्त किया है. बीजेपी ने 2354.02 करोड़ रुपये, कांग्रेस ने 551.55 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस ने 141.54 करोड़ रुपये, सीपीएम ने रु 37.228 करोड़ और सीपीआई ने रु 4.08 करोड़. साल 2018-19 में, बीजेपी को पूरे भारतवर्ष से स्वैच्छिक योगदान से सबसे अधिक रु 2354.02 करोड़ प्राप्त हुए जो पार्टी की कुल आय का 97.67% है. कांग्रेस को सबसे अधिक आय रु 551.55 करोड़ “अनुदान/दान/योगदान" से प्राप्त हुआ है जो कुल आय का 60.08% है.

अगर खर्च की बात करें तो बीजेपी ने 792.39 करोड़ रुपये चुनाव/ सामान्य प्रचार में और 178.35 करोड़ रुपये प्रशासिनक लागत में खर्चा घोषित किया है. कांग्रेस ने सबसे अधिक खर्चा चुनाव खर्च में(रु 308.96 करोड़) और प्रशासिनक और सामान्य व्यय में 125.80 करोड़ रुपये खर्च घोषित किया है. राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित 2018-19 के दौरान, 6 राष्ट्रीय दलों ने सबसे अधिक 83.50% (रु 3088.43 करोड़ ) की आय "स्वैच्छिक योगदान" से अर्जित की है. 6 राष्ट्रीय दलों में से केवल बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को ही इलेक्टोरल बॉन्ड से 1931.43 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की है और 6 राष्ट्रीय दलों ने अन्य योगदान से 1157 करोड़ रुपये की आय वित्तीय वर्ष 2018-19 में दर्शायी है.

इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा दान दाताओं को प्रदान की गई गुमनामी को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान यह राष्ट्रीय दलों का सबसे लोकप्रिय स्त्रोत बनके उभरा है. राष्ट्रीय दलों की वार्षिक आय 52% (रु 1931.43 करोड़) से अधिक दान राशि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से आई है. भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना, राजपत्र अधिसूचना संख्या 20 दिनांक 02 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के लिए बॉन्ड्स जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में दस दिनों की अवधि के दौरान खरीद के लिए उपलब्ध होंगे. केंद्र सरकार द्वारा तीस दिनों की अतिरिक्त अवधि, आम चुनाव के वर्ष में निर्दिष्ट किया जायेगा. यह योजना 15 दिनों की वैधता अवधि प्रदान करती है, जिसके तहत किसी योग्य राजनीतिक दल द्वारा नामंकित बैंक खाते में बॉन्ड को भुनाना/नकदीकरण (Encash/Redeem) किया जा सकता है.

 योजना के अधिसूचना के तहत भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को सभी नामांकित शाखाओं में बॉन्ड जारी करने और नकदीकरण कराने का अधिकार है. जिन दानदाताओं ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दान दिया है उनकी पहचान सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं होती है. अभी तक आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट के अध्ययन से पता चलता है की केवल पांच दलों (बीजेडी, टीआरस, वायएसआर कांग्रेस, जेडीएस और एसडीएफ) को ही रु 490.59 करोड़ का दान इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त हुआ है.

 एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्स (एडीआर) ने सूचना के अधिकार के तहत (आरटीआइ) एक आवेदन एसबीआई को दायर किया, जिसमें बारह चरणों (मार्च 2018 और अक्टूबर 2019 के बीच) के दौरान बेची और नकदीकरण की गई चुनावी बॉन्ड्स की कुल राशि और संख्या की जानकारी शाखावार मांगी थी. आरटीआइ आवेदन के जवाब में एसबीआई द्वारा साँझा किए गए आंकड़ों को नीचे तालिका में दिखाया गया है. इसके अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 में दलों द्वारा 2539.98 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड का नकदीकरण किया गया था. इसमें से 76% छह राष्ट्रीय दलों को प्राप्त हुआ. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित इलेक्टोरल बॉन्ड की कुल राशि अब तक  2422.02 करोड़ रुपये है. गौर करने की बात है कि एनसीपी और कई क्षेत्रीय दलों कि ऑडिट रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. कई पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने भी सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त दान की जानकारी दी है. भविष्य में यदि यह पाया गया कि दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दान मिला है तो इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त दान का कुल हिस्सा और बढ़ सकता है.
 
अगर इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के प्रारंभ से अब तक के आंकड़ों की बात करें तो 2 दिसम्बर, 2019 को प्राप्त एसबीआई के एडीआर की आरटीआइ के जबाव से पता चलता है कि, योजना के प्रारम्भ से 6128.72 करोड़ रुपये के कुल 12313 बॉन्ड्स बेचे गए, इनमें से 6108.47 करोड़ रुपये के 12173 बॉन्ड्स का राजनीतिक दलों द्वारा वैधता अवधि के अंतराल नकदीकरण किया गया है. जैसा की योजना में उल्लेख किया गया है, यदि पंद्रह दिनों की वैधता अवधि के भीतर बॉन्ड्स राशि नकदीकरण नहीं की जाता है तो ऐसी स्थति में बॉन्ड्स धनराशि प्रधानमंत्री राहत कोष (पीएमआरएफ) में जमा कर दिया जायेगा. इसलिए संभावना है कि शेष 140 बॉन्ड से प्राप्त कुल रु 20.25 करोड़ कि धनराशि पीएमआरएफ में जमा किये होंगे. हालाँकि हफिंगटन पोस्ट के पत्रकार नितिन सेठी ने अपने बहुभागीय जाँच रिपोर्ट में यह उजागर किया है की कैसे अज्ञात राजनीतिक दल ने मई 2018 के कर्नाटक विधान सभा चुनाव के बाद समाप्त हो चुके दस करोड़ के चुनावी बांड के नकदीकरण की अनुमति दी गई थी. 

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना कि अधिसूचना के बाद, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने 2 जनवरी, 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री के लिए बारह चक्रों को अधिकृत किया. चुनावी बॉन्ड के पहले चरण कि बिक्री 1 मार्च से 10 मार्च 2018 तक हुई, जबकि अंतिम चरण कि बिक्री 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर 2019 के लिए खुला था. चुनावी बॉन्ड पांच अलग-अलग मूल्यवर्ग ( एक हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रूपये) में उपलब्ध हैं. मार्च 2018 और अक्टूबर 2019 के बीच, इलेक्टोरल बॉन्ड बारह चरणों की अवधि के लिए उपलब्ध थे, मार्च, अप्रैल और मई को छोड़कर प्रत्येक चरण में बिक्री की अवधि दस दिन थी, लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान प्रत्येक चरण में, प्राप्त इलेक्टोरल बॉन्ड का नकदीकरण 15 दिनों तक कर दिया था. सभी बारह चरणों में बिक्री की अवधि के दौरान कुल रु 6128.72 करोड़ के 12313 बॉन्ड ख़रीदे गए. इलेक्टोरल बॉन्ड के कुल मूल्य का 59.10% केवल दो महीनों (मार्च 2019- आठवा चरण और अप्रैल 2019- नौवां चरण) में ख़रीदा गया, इस दौरान लोकसभा 2019 चुनाव हो रहे थे. अप्रैल 2019 में नौवे चरण के दौरान सबसे अधिक रु 2256.37 करोड़ (36.82%) की राशि 4681 बॉन्डों से खरीदे गए, इसके बाद मार्च 2019 में रु 1365.69 करोड़ (2742 बॉन्डों) की खरीददारी हुई जो कुल दानराशि का 22.28% था और पिछले साल मई 2019 में 1187 चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई जिनका मूल्य रु 822.26 करोड़ था जो कुल धनराशि का 13.42% है.  अक्टूबर 2019 में (बारह चरण ) नवीनतम बिक्री अवधि के दौरान 531 बॉन्ड ख़रीदे गये जिसका कुल मूल्य रु 231.93 करोड़ था.
 
 
स्त्रोत: Analysis of Electoral Bonds sold and redeemed during the twelve phases (March 2018 – October 2019) देखने के लिए यहां क्लिक करें. 
 
इलेक्टोरल बॉन्ड पर आरबीआई ने 30 जनवरी, 2017 को विरोध दर्ज कराते हुए सरकार को पत्र लिखा था कि “चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में बदलाव करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका है. लोगों का भारतीय मुद्रा पर भरोसा खत्म होगा और केंद्रीय बैंकिंग कानून के आधारभूत ढांचे को खतरा पैदा हो जाएगा.” इतना ही नहीं, चुनाव आयोग भी इलेक्टोरल बॉन्ड के प्रस्ताव से सहमत नहीं था. वित्त सचिव एससी गर्ग ने 22 सितंबर, 2017 को अरुण जेटली को एक ‘गोपनीय’ नोट लिखकर आपत्ति दर्ज करवाई थी.

एडीआर, कॉमन कॉज़ व पारदर्शिता पर काम करने वाले कई संगठनों का मानना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड चुनावी चन्दे का एक अपारदर्शी तंत्र है, क्योंकि राजनीतिक दलों की आय का अधिकतम प्रतिशत (75 प्रतिशत) अज्ञात स्त्रोतों से आता है, दानदाताओं की पूरी जानकारी, सार्वजनिक जाँच के लिए आम जनता को उपलब्ध होनी चाहिए. भूटान, नेपाल, जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्राजील, बल्गेरिया, अमेरिका तथा जापान जैसे देशों में ऐसा किया जाता है. इलेक्टोरल बॉन्ड्स ने चुनावी फंडिंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को रोककर नागरिकों के मौलिक 'जानने का अधिकार का उल्लंघन किया है. इस तरह कि अपारदर्शिता बड़े सार्वजनिक हित कि कीमत पर है और पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल सिद्धांतों के लिए एक गंभीर झटका है इसलिए इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना, 2018 को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाना चाहिए.

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की निरंतरता की सूरत में ये संगठन चाहते हैं कि, बॉन्ड दानदाता की गुमनामी के सिद्धांत को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 में सार्वजनिक किया जाना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को जो इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दान प्राप्त करते हैं, उन्हें अपने योगदान में दिए गए वित्तीय वर्ष में प्राप्त दान की कुल राशि के साथ प्रत्येक बॉन्ड के अनुसार दानदाताओं के विस्तृत विवरणों, प्रत्येक बॉन्ड की राशि और प्रत्येक बॉन्ड को प्राप्त क्रेडिट के पूर्ण विवरण की घोषणा करनी चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों की वित्तीय स्थिति की एक सच्ची तस्वीर आम जनता के सामने आए, इसके लिए प्रक्रियाओं और रिपोर्टिंग ढांचे को मानकीकृत किया जाना चाहिए.

 इसके अलावा, राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत अपने वित्त सबंधित सभी जानकारी प्रदान करनी चाहिए जो राजनीतिक दलों, चुनावों और लोकतंत्र को मजबूत करेगा. चुनाव आयोग या अन्य संबंधित संस्थान को इलेक्टोरल बॉन्ड के नकदीकरण और दलों द्वारा घोषित बॉन्ड्स के भिन्नता की देखरेख की ज़िम्मेदारी सौपी जानी चाहिए. आईसीएआई के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वाले राजनीतिक दलों को आयकर विभाग द्वारा जाँच किया जाना चाहिए. 
 
References 
Analysis Of Income & Expenditure Of National Political Parties For FY 2018-19, Please click here to access.
 
Analysis of Electoral Bonds sold and redeemed during the twelve phases (March 2018 – October 2019), Please click here to access.
 
Petition challenging the electoral irregularities and to ensure free and fair elections and rule of law, Please click here to access.
 
Annual Audit Report by Political Parties (Recognized National Parties),2018-2019 देखने के लिए यहां क्लिक करें.
 
 
 
 
 
 
 
 


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