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न्यूज क्लिपिंग्स् | आरटीआई एक्ट की सूचना देने से छूट प्राप्त धाराओं का बिना सोचे समझे उल्लेख करना गलत: सीआईसी

आरटीआई एक्ट की सूचना देने से छूट प्राप्त धाराओं का बिना सोचे समझे उल्लेख करना गलत: सीआईसी

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published Published on Jul 8, 2019   modified Modified on Jul 8, 2019
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत सूचना देने से छूट प्राप्त धाराओं का मनमाने तरीके से उल्लेख करना गलत प्रचलन को बढ़ावा देता है.

डीओपीटी आरटीआई कानून को सही तरीके से लागू करने की जिम्मेदारी वाली नोडल एजेंसी है. आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकश बत्रा ने सीआईसी में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि आरटीआई एक्ट को लागू करने की नोडल एजेंसी होने के बावजूद डीओपीटी बिना सोचे समझे आरटीआई एक्ट की सूचना देने से छूट प्राप्त धाराओं का उल्लेख करते हुए सूचना देने से मना कर रहा है.

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि अगर डीओपीटी बार-बार ऐसा करता है तो ये बेहद गलत चलन को बढ़ावा देगा और अन्य सरकारी विभाग भी ऐसा करने लगेंगे. ये सूचना का अधिकार अधिनियम के लिए बेहद बुरा कदम साबित हो सकता है.

केंद्रीय सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने बत्रा की दलीलों से सहमति जताई और डीओपीटी को कड़ी फटकार लगाते हुए आगे से ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी.

दरअसल लोकेश बत्रा ने पिछले साल आठ फरवरी 2018 को आरटीआई दायर कर डीओपीटी और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बीच आदान-प्रदान किए गए उन सभी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां मांगी थी, जिसके आधार पर डीओपीटी द्वारा दो सितंबर 2016 को ‘सीआईसी में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति' के लिए अधिसूचना जारी की गई थी.

डीओपीटी ने आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(आई) का उल्लेख करते हुए सूचना देने से मना कर दिया. जबकि, धारा 8(1)(आई) के तहत कैबिनेट पेपर्स से संबंधित कुछ जानकारियों का खुलासा करने से छूट दी गई है.

बत्रा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि डीओपीटी पारदर्शिता के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है और उन सूचनाओं का भी खुलासा करने से मना कर रहा है जो आम जनता के लिए हैं.

 


http://thewirehindi.com/87411/gujarat-ex-bjp-mp-six-others-convicted-for-murdering-rti-activist-in-2010/


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