Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | कैसे साफ होगी गंगा?

कैसे साफ होगी गंगा?

Share this article Share this article
published Published on Dec 24, 2019   modified Modified on Dec 24, 2019

‘गंगा नदी नहीं, मेरी मां है’, हाल में इस उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री ने गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाए जाने के लिए अपने कोष से सोलह करोड़ तिरपन लाख रुपए दान दिए। गंगा नदी के लिए किसी प्रधानमंत्री ने अपने कोष से इतनी बड़ी राशि दान दी हो, ऐसा पहले कभी देखने में नहीं आया। राष्ट्रीय गंगा परिषद् की कानपुर में हुई समीक्षा बैठक से पहले प्रधानमंत्री ने नमामि गंगे मिशन का सच जांचा-परखा और दस्तावेजों का भी परीक्षण किया। गोमुख से गंगा-सागर तक सफाई का डिजिटल प्रस्तुतिकरण भी देखा। पर प्रधानमंत्री इस काम से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुए। निराशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए 2015-2020 तक के लिए बीस हजार करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया था, ताकि पांच राज्यों में बहने वाली गंगा संपूर्ण रूप से निर्मल हो जाए। किंतु अभी तक सीवरेज संयंत्र बनाने में आठ करोड़ रुपए भी खर्च नहीं हुए हैं। जाहिर है, नमामि गंगे मुहिम को बीते पांच साल में वह सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी।
 
नमामि गंगे परियोजना को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट ने भी निराशा जाताई है। कैग ने आॅडिट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि केंद्र सरकार स्वच्छ गंगा मिशन के लिए आवंटित धनराशि के एक बड़े हिस्से का उपयोग ही नहीं कर पाई है। नतीजतन सफाई अभियान चलाने के बावजूद गंगा की हालत वही है, जो पहले थी। यह रिपोर्ट दो साल पहले आई थी। गंगा सफाई अभियान से लंबे समय से जुड़े आइआइटी कानपुर के प्राध्यापक विनोद तारे भी गंगा को मैली बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) बना कर गंगा के पानी को साफ करना चाहती है, लेकिन गंगा की सहायक नदियों की गंदगी को दूर करने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। ये नदियां और नाले साफ हो जाएंगे तो गंगा बरसात में अपने आप निर्मल होती चली जाएगी। आइआइटी-बीएचयू के प्राध्यापक और गंगा सफाई के लिए प्रतिबद्ध विश्वंभरनाथ मिश्र का कहना है कि एमएलडी नाले का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। बारह से चौदह करोड़ लीटर प्रतिदिन का जो ट्रीटमेंट प्लांट वाराणसी में लगाया गया है, वह पुरानी तकनीक का है, जो इसके हानिकारक जीवाणुओं को खत्म नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा गंदे नाले भी गंगा में बह रहे है। इस योजना के शुरू होने पर 2015 में केंद्र सरकार ने छियानवे एसटीपी निर्माण की अनुमति दी थी, किंतु अक्तूबर, 2018 तक चौबीस फीसद ही संयंत्र बन पाए। उनतीस सयंत्रों पर तो कोई काम ही शुरू नहीं हुआ। ऐसे में 2020 तक निर्मल व अविरल गंगा का लक्ष्य पूरा होना असंभव है।
 
केंद्र के वित्त पोषण से शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य भारतीय सभ्यता, संस्कृति और आजीविका की जीवन रेखा कहलाने वाली गंगा का कायाकल्प कर इसका सनातन स्वरूप बहाल करना है। लेकिन इस योजना को निरापद और निर्बाध रूप से अमल में लाने के परिप्रेक्ष्य में जो आशंकाएं पहले थीं, उनकी पुष्टि कैग ने कर दी है। दरअसल गंगोत्री से गंगासागर तक का सफर तय करने के बीच में गंगा जल को औद्योगिक हितों के लिए निचोड़ कर प्रदूषित करने में चमड़ा, चीनी, रसायन और शराब कारखाने और जल विद्युत परियोजनाएं सहभागी बन रही हैं। गंगा सफाई की इस सबसे बड़ी मुहिम में उन पर न तो नियंत्रण के व्यापक उपाय दिखे हैं और न ही बेदखली के।
गंगा सफाई की पहली बड़ी पहल राजीव गांधी के कार्यकाल में हुई थी। तब शुरू हुए गंगा स्वच्छता कार्यक्रम पर हजारों करोड़ रुपए पानी में बहा दिए गए थे, लेकिन गंगा जस की तस बनी रही। इसके बाद गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए यूपीए सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी घोषित करते हुए, गंगा बेसिन प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन हालत तब भी नहीं बदले। भ्रष्टाचार, अनियमितता, अमल में शिथिलता और जबावदेही की कमी ने इन योजनाओं को दीमक की तरह चट कर दिया। भाजपा ने 2014 के आम चुनाव में गंगा को चुनावी मुद्दा बनाया था। इसके बाद इसके लिए नया मंत्रालय भी बनाया गया और जापान के नदी सरंक्षण से जुड़े विषेषज्ञों की मदद ली गई। उन्होंने भारतीय अधिकारियों और विशेषज्ञों से कहीं ज्यादा उत्साह भी दिखाया। किंतु इसका निराशाजनक परिणाम यह निकला कि भारतीय नौकरशाही की सुस्त और निरंकुश कार्य-संस्कृति के चलते उन्होंने परियोजना से पल्ला झाड़ लिया।
 
पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

प्रमोद भार्गव, जनसत्ता https://www.jansatta.com/politics/jansatta-raajneeti-editorial-will-ganga-clean/1260059/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close