Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | क्लीन गंगा फंड की 80 फीसदी से अधिक राशि अब तक ख़र्च नहीं हुई

क्लीन गंगा फंड की 80 फीसदी से अधिक राशि अब तक ख़र्च नहीं हुई

Share this article Share this article
published Published on Apr 1, 2019   modified Modified on Apr 1, 2019
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा गठित स्वच्छ गंगा निधि (क्लीन गंगा फंड या सीजीएफ) में प्राप्त की गई कुल राशि का अभी तक सिर्फ 18 फीसदी पैसा ही खर्च किया गया है. द वायर द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है.

सितंबर 2014 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा सफाई के लिए स्वच्छ गंगा निधि (सीजीएफ) के निर्माण को मंजूरी दी थी और जनवरी 2015 में गठन किया गया था. इसका उद्देश्य है कि आम जनता, निजी कंपनियां, सरकारी कंपनियां, प्रवासी भारतीय (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) इसमें योगदान देंगे या चंदा देंगे.

सीजीएफ के गठन से लेकर दिसंबर 2018 तक में इसमें कुल 243.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. लेकिन अभी तक सिर्फ 45.26 करोड़ रुपये ही गंगा सफाई के कामों के लिए खर्च किए गए हैं. इस हिसाब से मात्र करीब 18 फीसदी राशि ही खर्च की गई है.

जबकि, दिसंबर 2017 में जारी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इस बात को लेकर सचेत किया गया था कि स्वच्छ गंगा निधि में जितनी राशि प्राप्त हुई है उसका बहुत कम हिस्सा ही खर्च किया गया है. कैग ने कहा था कि गंगा सफाई की दिशा में हो रहे कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए सीजीएफ के पैसे खर्च करने जरूरी हैं.

कैग ने इसके लिए सुझाव दिया था कि एनएमसीजी को स्वच्छ गंगा कोष के वद्धि और उपयोग के लिए कार्य योजना तैयार करना चाहिए. हालांकि कैग द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद भी सीजीएफ की सिर्फ 18 फीसदी राशि ही खर्च की गई है.

बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की मीटिंग न होना है एक बड़ी वजह
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में सीजीएफ के संचालन के लिए के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया था. वित्त मंत्री के अलवा आर्थिक मामलों के मंत्रालय के सचिव, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव, पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, प्रवासी भारतीय मामले विभाग के सचिव और एनएनसीजी के सीईओ इस ट्रस्ट के सदस्य होते हैं.

इस ट्रस्ट का काम गंगा सफाई के कार्यों के लिए सीजीएफ राशि के तहत परियोजनाओं को स्वीकृति देना है. हालांकि आरटीआई के जरिए द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक नहीं होने की वजह से परियोजनाओं को स्वीकृति देने में देरी हो रही है और पैसे खर्च नहीं हो पा रहे हैं.

सीजीएफ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की अभी तक सिर्फ दो बैठकें हुई हैं. पहली बैठक 29 मई 2015 को हुई थी, वहीं दूसरी बैठक मई 2018 में सर्कुलेशन के जरिए की गई थी. द वायर द्वारा प्राप्त किए गए इन बैठकों के मिनट्स से ये पता चलता है कि ट्रस्ट के सदस्यों की अनुपलब्धता की वजह से ये बैठकें नहीं हो पा रही हैं. नियम के मुताबिक हर तीन महीने में इसकी कम से कम एक बैठक होनी चाहिए.

चार मई 2018 को हुई दूसरी बैठक के मिनट्स में लिखा है, ‘29.05.2015 को हुई दूसरी बैठक के बाद 13 फरवरी और 28 फरवरी को वित्त मंत्री की अध्यक्षता में क्लीन गंगा फंड से परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए बैठक कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन प्रशासनिक कारणों से ये नहीं हो सका.'

इसमें आगे लिखा है, ‘बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के सदस्यों के कारण और वित्त मंत्री की व्यस्तता की वजह से बैठक कराने में मुश्किल हो रही है. खासतौर से मीटिंग के लिए जरूरी उपयुक्त स्तर पर न्यूनतम सदस्यों की उपस्थिति नहीं होने के कारण बैठक नहीं हो पा रही है. चूंकि क्लीन गंगा फंड में अच्छी खासी मात्रा में पैसे इकट्ठा हो गए हैं इसलिए गंगा सफाई और इसके संरक्षण के लिए परियोजनाओं की स्वीकृति और पैसे खर्च करने जरूरी हैं.'

चार मई 2018 को हुई बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की दूसरी बैठक के समय क्लीन गंगा फंड से सिर्फ 29.99 लाख रुपये ही खर्च किए जा सके थे. साल 2017 में जारी कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को लेकर चिंता जताई थी की सीजीएफ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बहुत कम बैठकें हो रही हैं और इसके पैसै खर्च नहीं किए जा रहे हैं.

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


http://thewirehindi.com/75926/clean-ganga-fund-more-than-80-percent-fund-is-unspent/


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close