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न्यूज क्लिपिंग्स् | राज्य किल्लत बढ़ाते हैं उत्पादन नहीं

राज्य किल्लत बढ़ाते हैं उत्पादन नहीं

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published Published on May 10, 2011   modified Modified on May 10, 2011

नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। बिजली उत्पादन में कमी के लिए जितनी केंद्र सरकार जिम्मेदार है, उससे कहीं ज्यादा राज्य जिम्मेदार हैं। साल दर साल राज्य बिजली उत्पादन की नई क्षमता जोड़ने में पीछे छूटते जा रहे हैं। इससे देश में बिजली की किल्लत बढ़ रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में भी नई क्षमता जोड़ने के अपने लक्ष्य के महज 43 फीसदी तक पहुंचने में ही राज्य सफल हो पाए। नई क्षमता जोड़ने के मामले में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पंजाब सबसे फिसड्डी राज्यों में शामिल रहे।

राज्यों की यह काहिली देश को 11वीं योजना के लक्ष्य को पाने में भी पीछे धकेल रही है। इतना ही नहीं, इन राज्यों में बढ़ती किल्लत के चलते लोगों को कई-कई घंटे बिजली की कटौती झेलनी पड़ रही है। मसलन, उत्तर प्रदेश को ही लें। राज्य में बिजली की कुल जरूरत 11 हजार मेगावाट की है, लेकिन अपने बिजली प्लांटों और बाहर से खरीदने के बाद भी राज्य सरकार मात्र 9 हजार मेगावाट बिजली ही मुहैया करा पाती है। यही वजह है कि राज्य के कई इलाकों में बिजली कटौती 12-12 घंटे तक पहुंच जाती है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण [सीईसी] के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में राज्यों के लिए 6,905.20 मेगावाट की नई क्षमता जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन पूरे साल में राज्य सिर्फ 2,979 मेगावाट क्षमता जोड़ने में ही सफल हो सके। सूत्र बताते हैं इसमें भी निजी क्षेत्र की भागीदारी अधिक है। राज्यों की अपनी बिजली कंपनियां इस मामले में पिछड़ रही हैं। नई क्षमता जोड़ने के मामले में उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम 1,000 मेगावाट, पश्चिम बंगाल 1,000 मेगावाट और पंजाब पावर कॉरपोरेशन भी 1,000 मेगावाट से पिछड़ गए।

बिजली मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि नई क्षमता जोड़ने में पीछे रहने की मुख्य वजह कंपनियों के खुद के कामकाज का तरीका है। परियोजनाओं के ठेके देने में देरी, खराब निगरानी व्यवस्था और ठेकेदारों की लापरवाही जैसी वजहों से अधिकांश मामलों में नई क्षमता नहीं जोड़ी जा सकी। यही वजह है कि 11वीं योजना के पिछले चार साल में कभी भी राज्य क्षमता जोड़ने के अपने लक्ष्यों को नहीं पा सके।

राज्यों की सुस्त रफ्तार

वर्ष .. लक्ष्य.. वास्तविक

2007-08 6449 5273

2008-09 2359 1821

2009-10 4980 3118

2010-11 6905 2979


http://in.jagran.yahoo.com/news/business/general/1_12_7702355.html


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