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न्यूज क्लिपिंग्स् | 35% परिवारों को ही घर में पेयजल उपलब्ध, जनगणना से निकली 10 साल की तस्वीर

35% परिवारों को ही घर में पेयजल उपलब्ध, जनगणना से निकली 10 साल की तस्वीर

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published Published on Jul 27, 2012   modified Modified on Jul 27, 2012
जयपुर. राजस्थान के महज 35 फीसदी परिवारों को ही परिसर में पेयजल उपलब्ध हो रहा है। शहरी क्षेत्र के 78.2% परिवारों को यह सुविधा है, जबकि गांवों में यह महज 21% है। ग्रामीण इलाकों में 58.3% परिवारों के पास ही बिजली है। मूलभूत सुविधाओं से जूझते हुए भी प्रदेश में आधुनिक सुविधाएं हासिल करने के लिए मशक्कत जारी है। कंप्यूटर अब आदिवासी इलाकों में भी पहुंच रहा है।

प्रदेश के 3.2 फीसदी ग्रामीण अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों में कंप्यूटर उपलब्ध हैं। पिछले दस साल में टेलीविजन 28.1% से बढ़कर 37.6% परिवारों में पहुंच गया है। एससी परिवारों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है, जबकि एसटी परिवार जीवन स्तर के मामले में पिछड़े हैं। ग्रामीण इलाकों में अब भी बड़ी संख्या में लोग घास-फूस की छतों में रह रहे हैं।

जनगणना निदेशालय की ओर से मकान सूचीकरण के गुरुवार को जारी किए आंकड़ों में इस तरह का खुलासा हुआ। सभी प्रकार के परिवारों का नगरीय क्षेत्र में अनुपात 23.4 से बढ़कर 24.6% हुआ है। राज्य के कई परिवार अच्छे या रहने योग्य मकानों में रह रहे हैं, लेकिन ऐसे मकानों में रहने वाले परिवारों की संख्या में कमी आई है। यह गिरावट एसटी में सर्वाधिक है। निदेशालय के सहायक निदेशक अविनाश शर्मा का कहना है कि प्रदेश में क्षेत्र विशेष के लिए विशिष्ट योजनाएं बनाने के लिए मकान सूचीकरण के आंकड़े बेहद उपयोगी साबित होंगे। जिन क्षेत्रों में लोग पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, उन पर सरकार बेहतर ढंग से फोकस कर सकेगी।

राज्य में 75.4 फीसदी परिवार ग्रामीण क्षेत्र में हैं, लेकिन एसटी के महज 7.2 फीसदी परिवार ही शहरी इलाके में रहते हैं। एससी वर्ग में 78.3 फीसदी ग्रामीण और 21.7 फीसदी नगरीय क्षेत्र में रह रहे हैं। अधिकांश परिवार खुद के मकान में रहते हैं। नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में स्वयं के मकान में रहने वालों का प्रतिशत सभी प्रकार के परिवारों में बढ़ा है। केवल एसटी परिवारों का ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिशत लगभग स्थिर है। घरों में बिजली की उपलब्धता के मामले में पिछले दस सालों में आनुपातिक रूप से एससी वर्ग के मुकाबले एसटी वर्ग पिछड़ता रहा है।

http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-families-at-home-drinking-water-3549237.html?C3-JAI=


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