Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | 4 करोड़ में से अब बचे सिर्फ 56 हजार गिद्ध

4 करोड़ में से अब बचे सिर्फ 56 हजार गिद्ध

Share this article Share this article
published Published on Nov 1, 2010   modified Modified on Nov 1, 2010
भोपाल देश में 80 के दशक में करीब 4 करोड़ गिद्ध थे, लेकिन अब 56 हजार ही बचे हैं। इसमें से भी स्लेंडर बिल्ड प्रजाति के गिद्ध करीब १ हजार ही बचे हैं। इसका कारण वैश्विक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निवारक दवा ‘डायक्लोफे नाक’ को माना गया है। पाकिस्तान में २क्क्३ में एक प्रयोग के द्वारा यह बात बताई गई। वहां इस दवा के द्वारा संक्रमित पशु क ो खाने से मात्र तीन घंटे में ही सैकड़ांे गिद्धों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत में २क्क्६ में इस दवा को प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन उसका प्रभाव अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। दूसरा कारण है कि अब मृत पशुओं को खुले में नहीं डाला जाता है, जिसके कारण गिद्धों को भोजन नहीं मिल पाता। इस कारण से भी गिद्ध कम हो रहे हैं।

हरियाणा में ट्रेनिंग..

भारतीय उप महाद्वीप में गिद्धों की संख्या निरंतर कम होने से फरवरी २क्क्६ में पर्यावरण एंव वन मंत्रालय, भारत सरकार ने इनके बचाव तथा संवर्धन के लिए कार्यशाला आयोजित कर देश के ३ केन्द्रों में एक भोपाल के वन विहार को चुना। इसकी ट्रेनिंग के लिए प्रदेश से वन विभाग का तीन सदस्यीय दल हरियाणा के पिंजौर में नवंबर २क्क्६ को गया था। वहां तय अनुसार २क्क्७-क्८ में केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा अधोसंरचना विकास के लिए १.२८ करोड़ रुपए में से ४१ लाख की राशि वन विहार को उपलब्ध करा दी गई थी।

क्या होगा ‘वल्चर कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर’ मंे

वन विहार के अंतर्गत बनने वाले इस सेंटर में २५ जोड़े ‘व्हाइट बैक्ड गिद्ध’ तथा २५ जोड़े ‘लोंग बिल्ड गिद्ध’ पालने की योजना है। यह गिद्ध प्रदेश के मंदसौर, सतना, ओरछा, पेंच से लाए जाएंगे। इसके लिए एक बड़ा तथा ४ छोटे पक्षी घर केरवा के पास मेंडोरा में बना लिए गए हैं। इनको हफ्ते में दो बार बकरे का मांस दिया जाएगा जो कि डायक्लोफे नाक से मुक्त होगा। इन्हें १५ साल तक पालने के बाद बाहर छोड़ा जाएगा। गिद्ध की औसत आयु ५क् वर्ष होती है। सेंटर के संचालन की पूरी व्यवस्था बीएनएचएस को करना है। इसके लिए उसे हर साल २६ लाख रुपए क ी राशि की जरूरत होगी, जो मप्र शासन को देना है।

कहां-कहां हैं सेंटर’

भारत में सबसे पहले २क्क्१ में हरियाणा के पिंजौर में यह सेंटर शुरू हुआ। उसके बाद पश्चिम बंगाल में राजाभटखावा तथा असम में गुवाहटी में यह सेंटर चालू है। साथ ही देश के चार राज्यों में भी एक-एक सेंटर बनना है, जिसमें से मप्र का वन विहार है।


डॉ. विभुप्रकाश, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, बीएनएचएस, मुंबइ
र्

बगैर पैसे के कुछ होता है क्या

?भोपाल में बन रहा ‘गिद्ध संरक्षण ब्रीडिंग सेंटर’ कब तक शुरू होगा?

—जब वन विभाग की तरफ से मार्च-अप्रैल २क्११ में गिद्ध पकड़े जाएंगे उसके बाद यह सेंटर शुरू होगा।

?पहले आप इसका पूरा खर्च देने वाले थे, लेकिन अब मप्र शासन से मांग रहे हैं?

—पहले हमारा जो प्रदेश शासन से करार हुआ था उसमें ५क्-५क् प्रतिशत रनिंग खर्च उठाने की बात थी, लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए अब शासन की मदद से ही यह पूरा होगा।

?वन विहार के संचालक जे.एस. चौहान का कहना है कि हम तो कई बार आपसे बजट प्लान के बारे में कह चुके हैं, लेकिन आप भेज ही नहीं रहे?

—हमने बजट प्लान भेज दिया है, अब आगे की कार्रवाई प्रदेश शासन को करना है।

?अगर शासन बजट के लिए तैयार नहीं हुआ तो क्या सेंटर चालू होगा?


—बगर पैसे के कुछ होता है क्या? अगर हमें राशि नहीं मिलेगी तो हम काम नहीं करेंगे।


डॉ. एच.एस. पाबला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू, वन विभाग

स्पष्ट कर चुके हैं कि मदद नहीं कर पाएंगे

प्रदेश मंे बन रही गिद्ध संरक्षण योजना में क्या हो रहा है?

—हमें बीएनएचएस की तरफ से रनिंग कॉस्ट का प्रपोजल मिल गया है, जो हमने प्रदेश शासन के पास भेज दिया है।

पहले तो इस योजना का खर्च बीएनएचएस को उठाना था?

—हां, हमारे करार में तो यही बात थी, लेकिन अब तो उन्होंने मना कर दिया है। चूंकि यह एक गंभीर मसला है इसलिए हम अभी तो इस योजना के लिए बजट आवंटन की व्यवस्था कर रहे हैं। हमने बीएनएचएस को कह दिया है कि इस योजना को चलाने के लिए सोर्स की तलाश करें। हम ज्यादा समय तक मदद नहीं दे पाएंगे।


कोई जवाब नहीं आया

यह सेंटर फ रवरी 2006 में बनना प्रस्तावित हुआ था। उस समय इसका सारा खर्च राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण एवं रायल सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस, ब्रिटेन के फ ंड से बीएनएचएस, भारत को करना था। वन विहार द्वारा २क्१क् में मेंडोरा में ‘गिद्ध कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेन्टर’ को तैयार कर दिया गया है। इसकी विजिट के लिए बीएनएचएस से विभुप्रकाश तथा ब्रिटेन की रायल सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस से उनके रिप्रेजेंटिव आए थे। विभुप्रकाश ने कहा था कि एक हफ्ते में हम इसका सालाना खर्च का बजट बनाकर भेज देंगे, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

जे.एस. चौहान, संचालक, वन विहार

http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-4-million-of-the-now-remaining-only-56-thousand-vulture-1511406.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close