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न्यूज क्लिपिंग्स् | 49 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए नहीं मिली जमीन

49 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए नहीं मिली जमीन

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published Published on Jan 2, 2012   modified Modified on Jan 2, 2012

छपरा : नाबार्ड के द्वारा जिले में 103 आंगनबाड़ी केंद्र भवन बनाने की योजना के लिए सबसे बड़ी बाधा भूमि की अनुपलब्धता बन गयी है. जिले में अब तक महज 16 आंगनबाड़ी केंद्र ही बन पाये हैं.

कुछ का काम समाप्ति की स्थिति में है. कुल 49 आंगनबाड़ी केंद्र भूमि की अनुपलब्धता के कारण न तो निर्माण की प्रगति में है और न कोई उम्मीद दिखती है. यदि भूमि नहीं मिली, तो करोड़ों रुपये वर्ष के अंत में लौट जायेंगे.

प्रति आंगनबाड़ी केंद्र 4.66 लाख होना है खर्च
जिले के लिए कुल 103 आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए आरआइडीएफ 12 के तहत चार करोड़, 79 लाख, 78 हजार रुपये मिले हैं. वहीं दिसंबर तक महज 71 लाख, 99 हजार, 270 रुपये ही खर्च हो पाये हैं.

प्रति आंगनबाड़ी केंद्र 4.66 लाख रुपये खर्च करने तथा उसे बनवाने की जिम्मेवारी भवन निर्माण विभाग की है. इनका टेंडर भी हो गया है. परंतु भूमि की अनुपलब्धता या विवाद सबसे बड़ी बाधा है.

इन स्थानों पर नहीं मिली है जमीन
गड़खा के कुदरबाधा, ताहिरपुर, बगही, रिविलगंज के सेंगर टोला, छपरा शहर की गंडक कॉलोनी, दहियावां, सोनपुर के मिर्चापुर, मांझी के मुबारकपुर शामिल हैं. इसी एकमा प्रखंड के डोमनराय टोला, नगरा प्रखंड के रसूलपुर, जलालपुर के सगड्डी, दिघवारा के इस्मैला, कनकपुर, मढ़ौरा के बड़दहियां, असांव, मांझी में महुई, मकेर में कफशहर, महेश छपरा, बाघाकोल, बनियापुर के पिरौटा, हंसराजपुर, पुछड़ी, मानिकपुर, धनगरहां, हरपुर कराह शामिल हैं.

छपरा सदर प्रखंड के बतानी, बिंदगांवा, अमनौर प्रखंड के तकिया, चांदपुर, ढोरलाही, नर्सिग मानपुर, सोनपुर के बरबट्टा, अकिलपुर, दरियापुर के उच्च माध्यमिक विद्यालय दरियापुर, साहपुर, पानापुर प्रखंड में रसौली, उमवां, भगवानपुर शामिल हैं.

तरैया प्रखंड के लिए चयनित सभी छह आंगनबाड़ी केंद्र यथा आकुचक, मोलनापुर, नारायणपुर, राजाबाड़ा, शहनवाजपुर, पचभिंडा के लिए जमीन ही उपलब्ध नहीं है. यही स्थिति इसुआपुर प्रखंड के टेढ़ा कन्या उच्च विद्यालय में प्रस्तावित आंगनबाड़ी केंद्र की है.

क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण में सबसे बड़ी समस्या भूमि की अनुपलब्धता है. यदि भूमि नहीं मिली, तो इन 49 भवनों के लिए आयी लगभग दो करोड़ से ज्यादा की राशि वित्तीय वर्ष के अंत में लौट जायेगी.


http://prabhatkhabar.com/node/106303


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