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न्यूज क्लिपिंग्स् | CFL बल्ब : केरल के बचाये 2,000 करोड़ रुपये

CFL बल्ब : केरल के बचाये 2,000 करोड़ रुपये

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published Published on Sep 7, 2010   modified Modified on Sep 7, 2010
नयी दिल्ली: एक पैसा बचाने का अर्थ है एक पैसा कमना- इस कहावत को पैमाना बनाए तो केरल सरकार बिजली क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए से कम खर्च से वह फ़ायदा हासिल करने जा रही जो राज्य को 2000 करोड़ से अधिक के निवेश से हासिल होता.

पूरे प्रदेश में बिजली की बचत करने वाले सीएफ़एल बल्ब लगाने के केरल सरकार के अभियान से उर्जा संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि होने का अनुमान है और इसे केंद्रीय बिजली मंत्रालय के बिजली कार्यकुशलता ब्यूरो (बीइइ) के अधिकारियों की सराहना मिल रही है. केरल में सीएफ़एल बल्ब लगाने की 95 करोड़ रुपये की प्रदेशव्यापी योजना से 520 मेगावाट बिजली बचत की उम्मीद है.

बिजली की इस बचत को अगर उत्पादन क्षमता के हिसाब से देखें तो इस क्षमता के संयंत्र के लिए लगभग 2200 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत पड़ती है. केन्द्रीय बिजली मंत्रालय के बिजली कार्यकुशलता ब्यूरो (बीइइ) महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि बीइइ की बचत लैंप योजना के तहत पूरे केरल राज्य में 14 करोड़ सीएफ़एल बल्ब वितरित किये गये. परपंरागत बल्बों की जगह सीफ़एल बल्ब के इस्तेमाल से सालाना लगभग 520 मेगावाट बिजली बचत की उम्मीद है.

केरल सरकार के उर्जा प्रबंधन केन्द्र निदेशक केएम धरेशन उन्नीथन ने कहा कि योजना इस वर्ष मार्च में शुरू की गई और पिछले महीने ही समाप्त हुई है. इस पर 95 करोड़ रुपये का खर्च आया, 40 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने दिये जबकि 55 करोड़ रुपये पावर ट्रेडिंग कारपोरशन से 13. 5 फ़ीसद ब्याज पर लिये गये. उन्नीथन ने दावा किया कि बिजली बचत के लिये सीएफ़एल बल्ब योजना पर अमल से केरल में इस बार बिजली की अधिकतम मांग वाले समय में भी कोई लोड शेडिंग नहीं हुई.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार केरल के 90 लाख परिवारों में से राज्य एनर्जी मैनेजमेंट सेंटर ने इनमें से 70 लाख परिवारों को सीफ़एल बल्ब 15 रुपये प्रति बल्ब की कीमत पर वितरित किये. उर्जा संरक्षण कानून के तहत विभिन्न राज्यों में बिजली के बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिये उर्जा प्रबंधन केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं.

एक अनुमान के अनुसार उर्जा संरक्षण उपायों से देशभर में 25,000 मेगावाट बिजली की बचत की जा सकती है. उर्जा संरक्षण के लिये सरकार बचत लैंप योजना, स्टार रेटिंग कार्यक्रम, इमारतों को उर्जा दक्ष बनाने जैसे कई कार्यक्रम चला रही है. कुछ महीने पहले ही सरकार ने उर्जा क्षमता विस्तार के राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी है.

गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर जारी वैश्विक चिंता के बीच भारत ने 2020 तक कार्बन उत्सर्जन में 2005 के स्तर से 20 से 25 फ़ीसद कमी लाने की प्रतिबद्धता जतायी है. इसी कड़ी में उर्जा संरक्षण उपायों पर जोर दिया जा रहा है. हरियाणा में यमुनानगर, महराष्ट्र में पुणे और आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम शहरों में सीएफ़एल बल्ब लगाकर बिजली की बचत और कार्यकुशलता बढ़ाने के प्रयास विभिन्न चरणों में हैं.

देश में बिजली की आपूर्ति कम पड़ रही है.10वीं पंचवर्षीय योजना में 41,000 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले मात्र 21,200 मेगावाट उत्पादन ही हो पाया.11वीं योजना में 78,577 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था जिसे संशोधित कर 62,375 मेगावाट कर दिया गया. कुल मिलाकर देश में 1,60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है जबकि खपत दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
    
    
    
                                
      


http://www.prabhatkhabar.com/news/47425.aspx


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