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न्यूज क्लिपिंग्स् | देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी: रघुराम राजन

देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी: रघुराम राजन

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published Published on May 1, 2020   modified Modified on May 1, 2020

-द वायर, 

जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन (बंद) हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम सावधानीपूर्वक उठाया जाना चाहिए.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद में उन्होंने कहा कि भारत एक गरीब देश है और संसाधन कम हैं. इसलिए हम ज्यादा लंबे समय तक लोगों को बैठाकर खिला नहीं सकते. कोविड-19 से निपटने के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा, उसके लिए बजट की एक सीमा है.

हालांकि गांधी ने राजन से जब किसानों और प्रवासी श्रमिकों की समस्या पर सवाल किया तो राजन ने कहा कि यही वह क्षेत्र हैं जहां हमें अपनी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना का फायदा उठाना चाहिए. हमें संकट में पड़े किसानों और मजदूरों की मदद के लिए इस प्रणाली का उपयोग करना चाहिए.

इस पर आने वाले खर्च के संबंध में गांधी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. हम उसका प्रबंध कर सकते क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ रुपये की है.

उन्होंने कहा, ‘यदि गरीबों की जान बचाने के लिए हमें इतना खर्च करने की जरूरत है तो हमें करना चाहिए.’

लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर राजन ने कहा, ‘अगर आप लॉकडाउन के दूसरे चरण को लीजिए जिसका मतलब है कि आप अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने में पूरी तरह से सफल नहीं हुए. हमें चीजों को खोलना होगा और स्थिति का प्रबंधन करना होगा. अगर कोराना संक्रमण का कोई मामला आता है तो उसे हम पृथक करें.’

उन्होंने कहा कि भारत में मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के लिए अच्छे रोजगार के अवसर सृजित करना बहुत जरूरी है. यह काम अर्थव्यवस्था में बड़े पैमान पर विस्तार के साथ ही किया जा सकता है. पर उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि कि पिछले कुछ सालों से भारत की आर्थिक वृद्धि दर लगातार गिर रही है.

राजन ने कहा कि रोजगार के अच्छे अवसर निजी क्षेत्र में होने चाहिए, ताकि लोग सरकारी नौकरियों के मोह में ना बैठें. इसी संदर्भ में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग उद्योग का जिक्र किया कि किसी ने सोचा नहीं था कि यह इस तरह एक मजबूत उद्योग बनेगा. उन्होंने कहा कि ‘यह आउटसोर्सिंग क्षेत्र इस लिए पनप और बढ़ सका क्योंकि उसमें सरकार का दखल नहीं था.’

गांधी ने राजन से एक सवाल किया था कि क्या कोविड-19 भारत के लिए कुछ अवसर भी उपलब्ध कराता है? इसके जवाब में राजन ने कहा कि इतना बड़ा संकट किसी के लिए अच्छा नहीं हो सकता लेकिन कुछ तरीके सोचे जा सकते हैं. हमारा प्रयास नई परिस्थितियों के साथ वैश्विक चर्चा को इस तरफ मोड़ने पर होना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा देशों के फायदे की बात हो.

उन्होंने गांधी के इस बात को स्वीकार किया कि निर्णय लेने की शक्तियों का केंद्रीकरण उचित नहीं है. विकेंद्रीकृत और सहभागिता से किया गया निर्णय बेहतर होता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


द वायर, https://thewirehindi.com/119770/corona-virus-lockdown-rahul-gandhi-discussion-with-raghuram-rajan-economy/


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