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न्यूज क्लिपिंग्स् | राहत पैकेज के हकदार किसान भी

राहत पैकेज के हकदार किसान भी

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published Published on Apr 3, 2020   modified Modified on Apr 3, 2020

-आउटलुक,

“किसानों को राहत पैकेज की दरकार है। मध्य वर्ग के लिए ईएमआइ में छूट दी जा सकती है तो किसान तो उससे ज्यादा के हकदार हैं”
देश और दुनिया कोरोनावायरस के संक्रमण से फैलने वाली कोविड-19 महामारी का सामना कर रही है। यह महामारी ऐसे समय फैली है जब देश का किसान खेतों में तैयार रबी की फसल की कटाई के लिए इंतजार कर रहा है। अनुमान है कि इस साल देश में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार होगी। बेहतर उपज का मतलब है किसानों की बेहतर आमदनी लेकिन महामारी के चलते किसानों की उम्मीदों पर आशंका के बादल छा गए हैं। जनवरी के अंत में सामने आई महामारी हर दिन भयावह रूप ले रही है और उसके चलते देश भर में 25 मार्च से 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है। इसके पहले ही दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लॉकडाउन लागू किया गया था। इसका कृषि पैदावार की कटाई और विपणन गतिविधियों पर सीधे असर पड़ा है। हालांकि सरकार ने लॉकडाउन के लिए लागू दिशानिर्देशों में बदलाव करके कृषि उपज और विपणन से जुड़ी गतिविधियों और उनमें काम करने वाले श्रमिकों और मशीनरी की आवाजाही की छूट दे दी है। इसी के चलते चीनी मिलों में उत्पादन चल रहा है और उर्वरक, बीज तथा कीटनाशकों की खरीद-बिक्री जारी है।

इस बीच हमें जमीनी स्थिति को देखने की जरूरत है। देश भर में पैदा स्थिति और महामारी के भय से किसानों की आमदनी सीधे प्रभावित होती दिख रही है। बड़ी संख्या में फरवरी के अंत और मार्च के शुरुआती दिनों में होने वाली आलू की खुदाई अटक गई है। अगर खुदाई हो गई है तो मंडी और कोल्ड स्टोरों में पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं। कीमतों में गिरावट का डर भी किसानों को सता रहा है। फलों और सब्जियों के बाजार तक नहीं पहुंचने का खामियाजा देश के कई हिस्सों में किसानों को भुगतना पड़ रहा है। असर दहलन और तिलहन किसानों पर भी पड़ रहा है, कि उनकी उपज मिलों तक कैसे पहुंचे। मंडियों में सामान्य कामकाज नहीं होने पर किसानों को वाजिब दाम कैसे मिलेंगे। यही नहीं, मार्च के मध्य में शुरू होने वाली गेहूं की सरकारी खरीद अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। उम्मीद है कि 14 अप्रैल तक चलने वाले 21 दिन के लॉकडाउन के खत्म होने के बाद गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो सकेगी। इन परिस्थितियों में सरकारी खरीद की व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। इसके पहले गेहूं की कटाई में देरी से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बात केवल इन किसानों की ही नहीं है। लोगों में फैली भ्रांति के चलते देश का पॉल्ट्री सेक्टर भारी संकट में फंस गया है और इन किसानों को कीमतों में आई भारी गिरावट के चलते नुकसान हो रहा है। इसी तरह संगठित क्षेत्र में दूध की खरीद को छोड़ दें तो असंगठित क्षेत्र में दूध की बिक्री करने वाले किसानों को भी कीमतों में गिरावट का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


हरवीर सिंह, https://www.outlookhindi.com/agriculture/nazariya/farmers-also-entitled-for-relief-package-47162


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