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न्यूज क्लिपिंग्स् | अब महिलाएं होंगी घर की मुखिया! -- यूपीए के खाद्य सुरक्षा बिल में प्रावधान

अब महिलाएं होंगी घर की मुखिया! -- यूपीए के खाद्य सुरक्षा बिल में प्रावधान

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published Published on May 30, 2011   modified Modified on May 30, 2011
यूपीए सरकार के प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल में पुरुषों के बजाये महिलाओं को घर के मुखिया का दरजा मिल सकता है. सरकार रियायती दर पर अनाज देने के लिए महिलाओं को घर का मुखिया मानते हुए उनका चयन करेगी. सरकार की इस कल्याणकारी योजना में यह अनोखा प्रस्ताव बाद में जोड़ा गया है. खाद्य सुरक्षा बिल के प्रस्ताव पर पूर्व में हुई चरचाओं में इस तरह की कोई प्रावधान नहीं था.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल 2011 में अपनी तरह का यह अनोखा कदम उठाते हुए प्रावधान किया गया है कि कोई भी बालिग महिला (18 वर्ष या उससे अधिक) को घर की मुखिया होगी. और उसे चावल, गेहूं और अन्य पोषक आहार रॉशन कार्ड के जरिये रियायती दर पर दिया जायेगा. बिल में प्राथमिकता के आधार पर चयनित परिवारों को प्रतिव्यक्ति सात किलो और सामान्य परिवारों को प्रतिव्यक्ति तीन किलो अनाज प्रति माह रियायती दर पर देने की गारंटी दी गयी है. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति ने देश की 75 फ़ीसदी आबादी को खाद्य सुरक्षा बिल के दायरे में लाने का सुझाव दिया था.

लेकिन 68 प्रतिशत आबादी को सब्सिडी वाला खाद्यान्न पाने का कानूनी अधिकार मिल सकता है. खाद्य मंत्रालय द्वारा तैयार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को यदि मंत्री समूह की आगामी बैठक में मंजूरी मिल जाती है, तो ऐसा संभव हो सकेगा. राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) और रंगराजन समिति की सिफ़ारिशों के विश्लेषण के बाद खाद्य मंत्रालय ने विधेयक का मसौदा तैयार किया है, जिसे अगले सप्ताह खाद्य पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) के समक्ष रखा जायेगा.

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने वर्तमान के प्रति परिवार को 35 किलोग्राम चावल या गेहूं सब्सिडी दर पर देने की वर्तमान व्यवस्था के बजाय व्‍यक्तिगत आधार पर सब्सिडी वाला अनाज उपलब्ध कराने की भी सिफ़ारिश की है. प्रस्तावित बिल के मुताबिक प्राथमिकता वाले परिवारों का चयन ग्रामीण इलाकों में मौजूद 46 फ़ीसदी गरीब परिवारों से और शहरी इलाकों के 26 फ़ीसदी गरीब परिवारों में से किया जायेगा. वहीं, गांवों के 29 फ़ीसदी और शहरों के 22 फ़ीसदी परिवार सामान्य श्रेणी के माने जायेंगे.

इस संबंध में खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में तैयार हो रहा प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल यूपीए-2 का अब तक का सबसे महंगा और उपयोगी कानून साबित होगा. शायद यही वजह है कि प्रस्तावित बिल में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि ओखर रियायती दर पर मिलने वाले अनाज की कीमत क्या होगी. कीमतों के निर्धारण का मामला सरकार के ऊपर छोड़ दिया गया है.

रंगराजन समिति का सुझाव है कि देश में खाद्यान्न भंडार में कमी की स्थिति को देखते हुए सामान्य श्रेणी के लोगों को इसके दायरे में नहीं लाना चाहिए. सूत्रों ने स्पष्ट करते हुए कहा कि व्‍यक्तिगत लोगों को इसके तरह लेने से देश में खाद्य सुरक्षा का दायरा और बढ़ेगा. प्रस्तावित कानून के तहत सरकार का सब्सिडी अनाज पर खर्च का बोझ सालाना 1,00,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जायेगा. वर्तमान में यह राशि 80,000 करोड़ रुपये बैठती है.

सरकार ने 2009 में वादा किया था कि वह कानून लाकर खाद्य सुरक्षा उपल्ब्ध करायेगी.खाद्य मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि यद्यपि बिल का मसौदा तैयार हो गया है, लेकिन लगता नहीं कि यह मौजूदा ढांचे में कानून का रूप ले पायेगा. इसमें मंत्रियों के समूह की बैठक और कैबिनेट में फ़ेरबदल अवश्यसंभावी है. कैबिनेट से पास होने के बाद ही इसे संसद में पेश किया जायेगा. अधिकारी के मुताबिक बिल संसद में पेश होने के मामले में सोनिया गांधी द्वारा दी गयी समयसीमा लांघ सकता है.

लगता है कि यह मानसून सत्र में संसद में पेश नहीं हो सकेगा. फ़िर भी प्रस्तावित बिल में देश की गर्भवती माताओं और नवजात बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान दिया गया है.
- सेंट्रल डेस्‍क -


http://www.prabhatkhabar.com/node/9572


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