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न्यूज क्लिपिंग्स् | अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाथ देसाई ने कहा, बंधुआ मजदूर की तरह हैं घर में काम करनेवाले

अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाथ देसाई ने कहा, बंधुआ मजदूर की तरह हैं घर में काम करनेवाले

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published Published on Dec 19, 2014   modified Modified on Dec 19, 2014
रांची: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद देसाई ने कहा कि अपने घर में काम करनेवालों (हाउसहोल्ड वर्कर) की स्थिति बंधुआ मजदूरों की तरह है. उनके काम की न तो गिनती होती है और न ही उनको इस काम के बदले मजदूरी मिलती है. अपने घर में काम करनेवालों की स्थिति बाजार में काम करनेवालों से पूरी तरह से अलग है. वह बिना किसी शर्त और भुगतान के काम करते हैं.

राष्ट्र के निर्माण और सकल घरेलू उत्पाद में उनका महत्वपूर्ण योगदान है. बावजूद इसके राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में उनके कार्यो की गणना नहीं की जाती है. लॉर्ड देसाई गुरुवार को बीआइटी, मेसरा में 56वें इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स (आइएसएलक्ष्) की वार्षिक कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. मौके पर उन्होंने आइएसएलक्ष् की वार्षिक स्मारिका का भी विमोचन किया.

इन कार्यो को रुपये में नहीं आंका जाता : लॉर्ड देसाई ने कहा कि वह 40 वर्षो से आर्थिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं. अपने घर में काम करनेवाले बगैर किसी भुगतान के काम करते हैं. जिन क्षेत्रों में सरकार सब्सिडी देती है, जैसे वृद्ध व बच्चों की देखभाल, बच्चों की प्राथमिक शिक्षा, पर घरों में किये जानेवाले इन कार्यो को रुपये में नहीं आंका जाता है. इन कार्यो के बदले कामगार को कोई तरजीह नहीं मिलती. वह हमेशा बिना छुट्टी के काम करते हैं. उनके काम का कोई समय तक निर्धारित नहीं है.

24 घंटे सातों दिन काम करने के बदले उनको न तो छुट्टी मिलती है और न ही अर्थलाभ हाता है. यह लैंगिक न्याय के उल्लंघन के साथ ही महिलाओं के मानवाधिकार के हनन का मामला भी है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही अपने घर में काम करनेवालों की यह स्थिति है, बल्कि दुनिया व अन्य हिस्सों में भी उनकी यही स्थिति है. घरों में काम करनेवाले संवेदना और संबंधों की वजह से बूढ़ों और बच्चों की सेवा में लगे रहते हैं. उनके इस काम को उत्पादकता और वेतन के साथ जोड़ना होगा. इस पर पूरी दुनिया में विचार किया जा रहा है.

क्या-क्या कहा

संवेदना व संबंधों की वजह से सेवा में लगे रहते हैं

उनके काम की न गिनती होती है, न ही मजदूरी मिलती है

सकल घरेलू उत्पाद में उनके कार्यो की गणना भी नहीं की जाती

यह महिलाओं के मानवाधिकार के हनन का मामला भी है

फूड प्वाइजनिंग के कारण ज्यादा नहीं बोले

लॉर्ड देसाई मुंबई में फूड प्वाइजनिंग के शिकार हो गये थे. खराब तबीयत के कारण उनका रांची आना मुश्किल था. पर आयोजकों के आग्रह पर वह समारोह में शिरकत करने रांची आये. तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वह विषय पर ज्यादा नहीं बोले. घंटे भर बाद लौट गये.

चुटकी भी ली : चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा : आइएसएलक्ष् की 56वें कांफ्रेंस का उद्घाटन कौन करेगा? यह सवाल आयोजकों के मन में था. उन्होंने जवाब सोचा कि लॉर्ड देसाई हर काम कर सकता है, इसलिए खराब तबीयत में भी मुङो जोर डाल कर सबने बुला ही लिया.


http://www.prabhatkhabar.com/news/ranchi/economist-lord-meghnad-desai-household-workers-bonded-labor/233072.html


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