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न्यूज क्लिपिंग्स् | कैराना मामला : न कारोबार महफूज और न इज्जत

कैराना मामला : न कारोबार महफूज और न इज्जत

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published Published on Jun 14, 2016   modified Modified on Jun 14, 2016
संजीव गुप्ता, पानीपत। उत्तर प्रदेश के कैराना से हिंदुओं के पलायन और उसके पीछे दहशत की कहानी अब परत दर परत सामने आने लगी है। पानीपत में शरण लिए कुछ लोगों की आपबीती इस तरह सामने आई है, जैसे कैराना में कानून-व्यवस्था नहीं, कुछ खास लोगों का राज हो। व्यवसाय चलाने के लिए लाखों की रंगदारी देनी पड़ती है। हिंदू महिलाएं शाम के बाद घर से नहीं निकल सकतीं।

ईश्वर चंद बिल्लू का कैराना में अच्छा-खासा कारोबार था। पेप्सी, पारले और कई बड़ी कंपनियों की एजेंसी थी। पत्नी की मौत हो चुकी है, लेकिन परिवार में दो बेटे मनोज और नितिन, दो बहुएं और उनके दो-दो छोटे बच्चे हैं। कैराना में हिंदुओं पर निरंतर बढ़ते जा रहे हमलों और गुंडाराज के चलते इन्हें रातोंरात कैराना से पलायन पर मजबूर होना पड़ा है। ईश्वर बताते हैं-"अन्य दिनों की तरह 16 अगस्त, 2014 को भी मैं अपने दोनों बेटों के साथ पेप्सी के गोदाम में 25-26 श्रमिकों के साथ गाड़ियों में सामान लोड करा रहा था। सुबह करीब 11 बजे होंगे। बाइकों पर सवार छह सात बदमाश आए और मुझसे 20 लाख रुपये की मांग करने लगे।

उनके हाथों में रिवॉल्वर देख मैंने समय मांगा तो उन्होंने तीन दिन का वक्त दे दिया। यह भी कहा कि अगर पुलिस के पास गए तो हम वहां पहले खड़े मिलेंगे और वहीं गोली मार देंगे। थोड़ी ही देर बात खबर मिली कि दिनदहाड़े भरे बाजार एक व्यापारी को गोली मार दी गई। अगले दिन फिर दो व्यापारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब तो मैं और मेरा पूरा परिवार खाना पीना छोड़ जान बचाने में लग गए।"

बकौल ईश्वर चंद-"तीन दिनों में मैं पुलिस के पास भी गया मगर कोई फायदा नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी के विधायक नाहिद हसन के पास गया पर वहां भी आश्र्वासन मिला, मदद नहीं। मुझे पता था कि मेरी जासूसी हो रही है। इसलिए मैंने चुपचाप बिना किसी को कुछ बताए अपना कीमती सामान दाएं बाएं ठिकाने लगवाया। तीन दिन का अल्टीमेटम पूरा होने से पहले 19 अगस्त की रात को घर व गोदाम पर ताला लगाकर एक सेंट्रो गाड़ी में पूरे परिवार को साथ ले वहां से निकल लिया। पानीपत में पहुंचने के बाद ही राहत की सांस ली।

ईश्वर चंद और उनका बड़ा बेटा मनोज बताते हैं 2013-14 तक कैराना में शांति थी लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद वहां हजारों की संख्या में पहुंचे मुस्लिमों ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ दिया। उनकी आड़ में बदमाशों ने भी हिदुओं को चुन चुनकर निशाना बनाना शुरू कर दिया।

ईश्वर चंद की तरह की अपनी व्यथाकथा सुनाते हैं डॉ. आरके गर्ग। कैराना निवासी होम्योपैथी डॉक्टर आरके गर्ग पानीपत में पिछले छह माह से सनौली रोड़ पर क्लीनिक चला रहे हैं। गर्ग का कहना है-"सपा विधायक की शह पर मुकीम काला गैंग के सदस्य हिदुओं से खूब फिरौती मांग रहे हैं। कैराना में हमारे पड़ोस में पंसारी की दुकान चलाने वाले एक व्यापारी को भी पिछले दिनों फिरौती न देने पर गोली मार दी गई थी। इससे बड़ी बात क्या होगी कि शाम के बाद तो हिंदू महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल सकतीं। दिन में भी उनके साथ किसी पुरुष का रहना जरूरी है।"

 


http://naidunia.jagran.com/national-no-business-and-no-respect-for-hindus-family-in-kairana-757013


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