Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | क्लाइमेट चेंज की चपेट में छत्तीसगढ़, जल संकट और सूखे की मार

क्लाइमेट चेंज की चपेट में छत्तीसगढ़, जल संकट और सूखे की मार

Share this article Share this article
published Published on Sep 13, 2015   modified Modified on Sep 13, 2015
संदीप तिवारी, रायपुर। विकास के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई, शहरीकरण और उद्योगों के प्रदूषण ने पर्यावरणीय संतुलन बिगाड़ दिया है। नतीजतन जलवायु परिवर्तन के कारण छत्तीसगढ़ में जलसंकट के साथ सूखे का खतरा मंडराने लगा है। इस साल बारिश कम होने से त्राहि-त्राहि मची है। आने वाले सालों में बारिश कम होने से अकाल पड़ने की चेतावनी दी गई है। तापमान बढ़ने से वन्य प्राणियों व आम आदमी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा, बीमारी होगी। एनर्जी, माइनिंग और इंडस्ट्रीज पर बुरा असर पड़ेगा।

ये दावा किया गया है हाल में क्लाइमेट चेंज इनोवेशन प्रोग्राम (सीसीआईपी) स्कोपिंग स्टडीज ऑन स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज स्टडी - 2 के तहत द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट (टेरी) यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में। रिपोर्ट इन्वाइरनमेंटल प्लानिंग एंड कोआर्डिनेशन आर्गनाइजेशन भोपाल के सहयोग से बनाई गई है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को भी सौंपा गया है। रिसर्च टीम ने सुझाव दिया है कि समय रहते यहां के लोगों को अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना होगा तभी इस संकट से उबर सकते हैं।

बारिश के दिन सिमटे

पर्यावरणीय असंतुलन का असर राज्य के कई इलाकों में बारिश में भी नजर आ चुका है। कृषि मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 6 से 35 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। बारिश के औसतन दिन 75 के बजाय 45 से 50 में सिमट गए हैं। पिछले चार दशकों में राज्य के महासमुंद में सबसे अधिक औसतन 35 फीसदी बारिश में गिरावट दर्ज की गई है। जगदलपुर इलाके में भरपूर वन होने के कारण सबसे कम औसतन 6 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई है।

कई इलाके में जलवायु परिवर्तन से फसलों पर असर

अर्द्ध जलवायु वाले इलाके कांकेर, बालोद, दुर्ग, धमतरी, कवर्घा, बेमेतरा और महासमुंद बारिश कम होने से अर्द्ध शुष्क में बदल गए हैं। वहीं बिलासपुर, रायपुर, बलौदाबाजार, कोरबा, मुंगेली आदि इलाके में भी अर्द्ध जलवायु धीरे-धीरे अर्द्ध शुष्क में परिवर्तित हो रही है। इसका सीधा असर लंबी अवधि के धान की किस्मों में सफरी, मासुरी, चेप्टी, गुरमटिया आदि के अलावा अनाज, दलहन और तिलहन की फसलों पर भी हो रहा है। यहां अब फसल चक्र में बदलाव करना होगा।

छह राज्यों में एक साथ अध्ययन

रिसर्च टीम ने छत्तीसगढ़ समेत असम, बिहार, केरल, महाराष्ट्र और ओडिशा में अध्ययन किया है। छत्तीसगढ़ में एग्रीकल्चर लाइव स्टॉक एंड फिशरीज, फॉरेस्ट एंड बायोडाइवर्सिटी, वॉटर रिसोर्सेस, अरबन हैबिटेशन, एनर्जी एवं इंडस्ट्री पर अध्ययन किया गया है।

कृषि के पूर्वानुमान का बेहतर साधन नहीं

टीम ने स्पष्ट किया है प्रदेश में खासकर कृषि के लिए पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी स्ट्रांग सिस्टम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान और बारिश के कारण मध्य छत्तीसगढ़ में चावल का उत्पादन लगातार घट रहा है। वनों में आग लगने की वारदात से जैव विविधता नष्ट हो रही है।

ये सुझाव जो हमारे लिए

रिसर्च टीम ने सुझाव दिया है कि जिन इलाकों में जलवायु परिवर्तन का असर है, उन इलाकों के लिए राज्य सरकार को जलवायु के आधार पर फसलों के उत्पादन के लिए अध्ययन कराना चाहिए। जल संग्रहण और उसके रखरखाव के लिए विशेष योजना बनाने की जरूरत है। नहरों और बांधों से पेयजल लीक हो रहा है। जलसंकट से उबरने के लिए गांवों में बिजली सोलर पावर के जरिए दी जा सकती है।

जीवनशैली में बदलाव कैसे हो इस पर अध्ययन हो, शहरों में इकोफ्रेंडली वाहन व्यवस्था हो, जो कि कार्बन या अन्य जहरीले तत्व न छोड़ते हों। प्रदेश में ज्यादातर उद्योग हैं जो कि गर्मी फैलाते हैं। उन्हें पौधे लगाकर कार्बन क्रेडिट देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

रिपोर्ट के पहलुओं पर काम शुरू

राज्य सरकार ने क्लाइमेट चेंज इनोवेशन प्रोग्राम रिपोर्ट के हर पहलू पर गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है। क्लाइमेट चेंज की चुनौती से हर व्यक्ति की भागीदारी से ही निपटा जा सकता है। प्रक्रिया चल रही है। - डॉ. एए बोआज, नोडल ऑफिसर, क्लाइमेट चेंज, छत्तीसगढ़

क्लाइमेट चेंज का असर

क्लाइमेट चेंज का असर सबसे अधिक कृषि पर हो रहा है। लगातार पृथ्वी का तापमान बढ़ने से तापमान असंतुलन और बारिश भी असंतुलित हो गई है। बंगाल की खाड़ी में पहले जैसी हलचल नहीं हो रही है। इससे अब अकाल और सूखे की आशंका आने वालों सालों तक रहेगी। - डॉ. एसआरएस शास्त्री, कृषि मौसम वैज्ञानिक

प्रदूषण सबसे बड़ा कारक

छत्तीसगढ़ समेत सेंट्रल इंडिया में प्रदूषण के कारण हवा में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा दस गुना तक बढ़ गई है, जो सीधे वायुमंडल को गर्म कर रही है। नमी जो बंगाल के खाड़ी या अरब सागर से आ रही है वह बारिश में तब्दील नहीं हो पा रही है । ये नमी दूसरी ओर जा रही है इसके कारण दूर-दराज के इलाके में बारिश हो रही है। स्थानीय स्तर पर खंड वर्षा भी प्रदूषण के कारण ही है। - डॉ . शम्स परवेज, पर्यावरणविद, रविवि

 


- See more at: http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-climate-change-in-chhattisgarh-come-drought-477310#sthash.WPPt4RoN.dpuf


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close