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न्यूज क्लिपिंग्स् | गंगा खनन के मामले ने तूल पकड़ा

गंगा खनन के मामले ने तूल पकड़ा

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published Published on Dec 12, 2011   modified Modified on Dec 12, 2011
सुनील दत्त पांडेय हरिद्वार, 10 दिसंबर। उत्तराखंड में गंगा में खनन का मामला विवादास्पद होता जा रहा है। मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती के आमरण अनशन पर बैठने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें मनाने के लिए गंगा में खनन पर रोक लगा दी। जिससे खनन के क्षेत्र से जुड़े स्टोन क्रेशर मालिकों, मजदूरों और खनन क्षेत्र से जुड़े गांव वालों में जबरदस्त गुस्सा छा गया। खनन से जुड़े लोगों ने राज्य सरकार की जमकर आलोचना करते हुए गंगा नदी में खनन खोले जाने की मांग की और दिल्ली-हरिद्वार राजमार्ग में जाम लगाया और अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। खनन न खोले जाने पर भाजपा को अगले चुनाव में सबक सिखाने की घोषणा भी की है।

खनन खोलो संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतेंद्र सैनी व उपाध्यक्ष मनोज चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने एक साधु के कहने पर गंगा में खनन बंद करके हजारों ग्रामीणों का रोजगार छीन लिया है और सरकार ग्रामीण विरोधी है। सतेंद्र सैनी ने कहा कि उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जनपद के ग्रामीण क्षेत्र के लोग भाजपा को सबक सिखाएंगे। हरिद्वार में चक्का जाम से सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। किसानों, मजदूरों के इस विशाल प्रदर्शन से उत्तराखंड सरकार में खलबली मच गई है और भाजपा में बेचैनी है। उत्तराखंड में आजकल गंगा में खनन को लेकर राजनीति गर्म है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने राज्य की भाजपा सरकार की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि एक साधु शिवानंद सरस्वती के अड़ियल रवैए के आगे राज्य सरकार ने गंगा में खनन व चुगान बंद कर दिया है जिससे हरिद्वार के हजारों किसान-मजदूर व ग्रामीण बेरोजगार हो गए हैं। इनकी रोजी-रोटी पर संकट के बादल छा गए हैं। उन्होंने एलान किया कि यदि राज्य सरकार ने 10 दिसंबर तक गंगा में खनन नहीं खोला तो वे धरना देंगे। युवा कांग्रेस के नेता गवाक्ष जोशी ने आरोप लगाया कि मातृ सदन के साधुओं की उत्तर प्रदेश के खनन माफियाओं से सांठगांठ है। इसीलिएवे उत्तराखंड में गंगा में खनन पर रोक लगवा रहे हैं ताकि उत्तराखंड के लोग उत्तर प्रदेश से रेत बजरी मंगाए।

उत्तराखंड में खासकर हरिद्वार में रेत बजरी के दाम आसमान में पहुंच गए हैं जिससे लोगों को मकान बनाना बहुत खर्चीला पड़ रहा है। उत्तराखंड के राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट ने भी गंगा में खनन बंद करने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि वे जल्दी ही इस मामले में मुख्यमंत्री के सामने अपना पक्ष रखेंगे। मुख्यमंत्री खंडूड़ी ने ऐलान किया था कि गंगा में कुंभ क्षेत्र को छोड़कर खनन बंद नहीं होगा। और अवैध खनन पर रोक रहेगी। परंतु मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती के अनशन को तुड़वाने के लिए राज्य सरकार ने गंगा में खनन पर रोक लगा दी। उससे ग्रामीणों में जबर्दस्त रोष छाया हुआ है और ग्रामीणों के रोष को देखते हुए शिवानंद के आश्रम मातृ सदन की सुरक्षा खतरे में पड़ गई हैं।

मातृ- सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि खननवालों का प्रदर्शन व चक्का जाम जिला प्रशासन व राज्य सरकार के गठजोड़ के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि वे गंगा में खनन नहीं होने देंगे। दिवाकर भट्ट ने कहा कि मातृ सदन वाले सीमा से बाहर जा रहे हैं। पहले उन्होंने कुंभ क्षेत्र में गंगा में खनन बंद करने की मांग की थी जिसे भुवनचंद्र खंडूडीÞ सरकार ने पूरा कर दिया। परंतु अब मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने पूरे गंगा घाटों पर खनन बंद करवा कर ग्रामीणों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा करवा दिया है। जिससे हरिद्वार के लोगों में जबर्दस्त रोष है और लोगों को मोटी कीमतों पर रेत बजरी मिल रही है। जिससे मकान बनाना मुश्किल हो गया है।

खनन से जुड़े विभिन्न संगठनों व मजदूर किसानों ने ऐलान किया है कि वे 10 दिसंबर को मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के हरिद्वार आगमन पर उन्हें एक ज्ञापन देकर गंगा में खनन खोले जाने की मांग करेंगे। खनन से जुड़े विभिन्न संगठनों के सड़क पर आ जाने से मातृ सदन के साधु बचाव की मुद्रा में हैं।


http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/6137-2011-12-10-05-02-00


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