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न्यूज क्लिपिंग्स् | गंगा पुनरुद्घार का कार्य उत्तराखंड से होगा शुरु : उमा भारती

गंगा पुनरुद्घार का कार्य उत्तराखंड से होगा शुरु : उमा भारती

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published Published on Sep 17, 2014   modified Modified on Sep 17, 2014
देहरादून : गंगा पुनरुद्घार के काम को उसके उदगम स्थल उत्तराखंड से शुरु किया जाएगा. इसकी घोषणा केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने किया. उमा ने कहा कि इस मिशन को केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है. उत्तराखंड सरकार ने इस मिशन के तहत विभिन्न कार्यों के लिये केंद्र सरकार को 9478 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पेश किया.

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, अपने दो दिवसीय प्रवास पर उत्तराखंड आयीं केंद्रीय जलसंसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती तथा मुख्यमंत्री हरीश रावत की मौजूदगी में गंगा संरक्षण के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की बैठक में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कि गंगा के पुनरुद्घार का काम उत्तराखण्ड से प्रारम्भ किया जाएगा. केंद्र एवं राज्य सरकारों के सहयोग से ही इस मिशन को पूरा किया जा सकता है.

मंत्री ने बताया कि हाल ही में एक संस्था को गोमुख तथा उसके आगे पानी की टेस्टिंग का काम दिया गया है और इसके लिये 15-20 प्वाइंट निर्धारित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अविरल धारा एवं निर्मल धारा मिशन को पीपीपी मॉडल के आधार पर लिया जाए तथा स्थानीय नगर निकायों को भी इस मिशन से जोडा जाये.

उमा ने कहा कि सीवरेज टरीटमेंट प्लांट के लिए उत्तराखण्ड द्वारा बेहतर शुरुआत की गई है और अन्य राज्यों में भी इसे अपनाया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री रावत को एक ह्यदूरदर्शी व्यक्तिह्ण बताते हुए केंद्र सरकार से पूरे सहयोग का भरोसा दिलाया.

बैठक में अपर सचिव सौजन्या जावलकर ने राज्य में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के बारे में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया. प्रस्तुतिकरण में उन क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी गयी जहां गंगा में अपशिष्ट पदार्थ प्रवाहित होते हैं और बताया गया कि औद्योगिक प्रदूषण का भी प्रभाव गंगा पर होता है.

प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि हरिद्वार सिडकुल में स्थापित सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट टरीटमेंट प्लांट) में तृतीय स्तर का टरीटमेंट का काम होना आवश्यक है, जबकि रुडकी, भगवानपुर, लंढोरा एवं हरिद्वार यूपीएसआईडीसी में सीईटीपी स्थापित किए जाने की जरुरत है.

गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता लक्ष्मण झूला तक ए श्रेणी, जबकि हरिद्वार एवं ऋषिकेश में बी श्रेणी तथा हरिद्वार से नीचे डी श्रेणी की पायी गयी है. नदी के पानी की गुणवत्ता सुधार के लिए 22 कस्बों एवं आबादियों को प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित किया गया है.

दिसम्बर 2014 तक सभी घरों को शौचालयों की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. प्रस्तुतिकरण के अनुसार, गंगा नदी के किनारे सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिये लगभग 7634 करोड रुपए की आवश्यकता होगी, जबकि राज्य के चिन्हित 730 स्थानों पर सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के लिए 219 करोड रुपए, गंगा के किनारे अंत्येष्टि से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए 159 आधुनिक शवदाह गृहों को विकसित करने के लिये 52 करोड़ रुपये और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिये 829 करोड रुपये की जरुरत बताते हुए केंद्र सरकार के सामने कुल मिलाकर लगभग 9478 करोड रुपये की धनराशि का प्रस्ताव पेश किया गया.

मुख्यमंत्री रावत और केंद्रीय मंत्री उमा के बीच कल देर शाम भी एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें रावत ने केंद्र के गंगा स्वच्छता मिशन को राज्य सरकार से पूरा सहयोग दिये जाने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनकी इच्छा इस मिशन में सहभागी बनकर कार्य करने की है.


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