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न्यूज क्लिपिंग्स् | दिखावे से पर्यावरण नहीं सुधरेगा- तवलीन सिंह

दिखावे से पर्यावरण नहीं सुधरेगा- तवलीन सिंह

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published Published on Jan 12, 2016   modified Modified on Jan 12, 2016
जो बात हम दिल्ली वालों के दिल में थी, वह बात अंततः दिल्ली हाई कोर्ट के जज साहब ने कह डाली। दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सम-विषम योजना नाकाम रही है, यह जानने के लिए एक सप्ताह बहुत है। इस दौरान दिल्ली की हवा में प्रदूषण कम नहीं हुआ है। और यह योजना अगर और एक सप्ताह चलती है, तो सार्वजनिक यातायात सेवाएं उसका बोझ उठा पाने में नाकाम होंगी।

दिल्ली की वरिष्ठ नागरिक होने के नाते मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि प्रदूषण को लेकर मुझे अरविंद केजरीवाल से अधिक चिंता है। मुझे वे दिन अच्छी तरह याद हैं, जब राजधानी की हवा इतनी साफ होती थी कि रातों को तारे दिखते थे। अब किसी भी मौसम में शायद ही ऐसी कोई रात गुजरती होगी, जब दिल्ली के आकाश में तारे दिखते हों। दिल्ली में पर्यावरण की समस्या इतनी गंभीर है कि एक-दो छोटे कदमों से इसका समाधान नहीं होने वाला। इसके लिए विशेषज्ञों और पर्यावरण वैज्ञानिकों की मदद चाहिए। दिल्ली सरकार के इरादे चाहे कितने भी नेक हों, समस्या का हल उसके पास नहीं है।

सो बेहतर होता कि इस समस्या को वह उनके हवाले करती, जो इन चीजों के बारे में विशेष जानकारी रखते हों। दुनिया के कई महानगरों की हवा इन्हीं विशेषज्ञों की मदद से साफ हुई है। दो दशक पहले लंदन और न्यूयॉर्क की हवा इतनी प्रदूषित होती थी, जितनी आज दिल्ली की है। जबकि उन दो महानगरों में दिल्ली से तीन गुना अधिक वाहनों की आवाजाही होती है। वहां मेट्रो और बस सेवाएं इतनी अच्छी हैं कि अमीर-गरीब, सब उनका इस्तेमाल करते हैं। ऊपर से वहां हर सड़क के दोनों तरफ इतने चौड़े फुटपाथ होते हैं कि पैदल चलना आसान है।

दिल्ली में पर्यावरण का हाल गलत नीतियों और लापरवाही के कारण बिगड़ा है। पुरानी दिल्ली में कभी ट्राम सेवाएं चलती थीं, जो पता नहीं, क्यों बंद हो गईं! पुरानी दिल्ली में साइकिल रिक्शों को भी कम कर दिया गया है। लंदन और न्यूयॉर्क में आज साइकिल रिक्शे चलते हैं, क्योंकि वे पर्यावरण को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाते। विदेशों में जिनके पास मोटर गाड़ियां हैं, वे भी साइकिल से चलते हैं, क्योंकि वे पर्यावरण बचाने में मदद करना चाहते हैं। दिल्ली की सड़कों पर भी कभी ढेर सारी साइकिलें दिखती थीं, पर यहां मोटर वाहन इतने बढ़ गए हैं अब कि साइकिल वालों की जान को खतरा है। विदेशों में साइकिल वालों के लिए अलग लेन हैं। दिल्ली सरकार ऐसा क्यों नहीं करती? दिल्ली के मुख्यमंत्री ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें सुर्खियों में बने रहने की आदत है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री जब साइकिल से दफ्तर जाते हैं, तो अखबारों में उनकी तस्वीर छपती है। मुख्यमंत्री जब अपने मंत्रियों के साथ कार पूल करते हैं, तो उसकी भी तस्वीर छपती है। दिल्ली में पर्यावरण की समस्या इतनी गंभीर है कि ऐसे दिखावे से समाधान नहीं निकलने वाला।

फिलहाल स्थिति यह है कि सम-विषम योजना से न प्रदूषण कम हुआ है, न ही वाहनों की संख्या घटी है। मेरा अपना हाल यह है कि जिस दिन मेरी गाड़ी दिल्ली की सड़क पर नहीं चल सकती, मैं टैक्सी कर लेती हूं। मेरे दोस्त और जानकार भी यही कर रहे हैं। सो दिल्ली के मुख्यमंत्री को विनम्रता से मेरा सुझाव है कि अपनी शान बढ़ाने के लिए आप जो पैसा इश्तहारों में खर्च कर रहे हैं, वह आप विशेषज्ञों पर खर्च करें, तो अच्छा होगा।


http://www.amarujala.com/news/samachar/reflections/columns/show-off-of-delhi-government-hindi/


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