Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | धान समेत फसलों की 11 नई किस्में विकसित

धान समेत फसलों की 11 नई किस्में विकसित

Share this article Share this article
published Published on Dec 1, 2010   modified Modified on Dec 1, 2010

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने राज्य के मुख्य फसल धान समेत अन्य 11 प्रकार की फसलों की नई किस्में विकसित की हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन नए किस्मों से राज्य में विभिन्न फसलों के पैदावार में बढ़ोतरी होगी।

राज्य में कृषि विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस वर्ष धान सहित दलहनी और तिलहनी फसलों, साग-सब्जियों और उद्यानिकी फसलों की 11 नई किस्में विकसित की है। कई वर्षो के लगातार गहन अध्ययन, प्रयोग और अनुसंधान के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने इन्हें विकसित किया है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की राज्य बीज उप.समिति ने मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए इन किस्मों के इस्तेमाल की अनुशंसा कर इनका अनुमोदन कर दिया है। इनमें धान की दो नई किस्में -इंदिरा बारानी धान-। और इंदिरा महेश्वरी शामिल हैं। इनके अलावा दलहनी फसलों के अंतर्गत इंदिरा चना-।, इंदिरा उड़द-। और इंदिरा कुल्थी-। तथा तिलहनी फसलों के अन्तर्गत इंदिरा तोरिया-। का विकास भी यहां कृषि विश्वविद्यालय में किया गया है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस वर्ष साग-सब्जी वर्ग में जहां मिर्च की एक नई किस्म इंदिरा मिर्च-1 और बरबट्टी की नई किस्म इंदिरा बरबट्टी [लाल] का विकास किया है, वहीं उद्यानिकी फसलों के अन्तर्गत इंदिरा लीची-2, इंदिरा काजू-1 और इंदिरा नारियल-1 का भी ईजाद भी किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि धान की नई विकसित प्रजाति इंदिरा बारानी धान-1 को धान की ही दो अन्य प्रजातियों स्वर्णा और आई.आर. 42253 के वर्ण संकरण की विधि से तैयार किया गया है, जिसका प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 41 क्विंटल 26 किलोग्राम पाया गया है। इंदिरा बारानी धान-। बारानी खेती में उथली-निचली भूमि के लिए काफी उपयोगी पाई गई है। यह नई किस्म सूखे के प्रति मध्यम सहनशील है। इसमें साबुत चावल का प्रतिशत 64. 4 तक पाया गया है। धान की यह नई किस्म मध्यम पतले दाने वाली है।

उन्होंने बताया कि इंदिरा बारानी-1 धान की यह किस्म स्वर्णा धान की तुलना में 25 से 30 दिन पहले पक जाती है। सूखी और बारानी खेती में इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। इस नई प्रजाति के धान में 30 से 35 दिनों तक सूखा सहन करने की क्षमता भी है। इसलिए असिंचित क्षेत्रों के अलावा सामान्य सिंचित परिस्थिति में भी सफलतापूर्वक इसकी खेती की जा सकती है।

धान की दूसरी नई प्रजाति इंदिरा महेश्वरी का विकास धान की अन्य दो किस्मों-महामाया और अभया के संतति अनुक्रम की पद्धति से किया गया है। यह नई प्रजाति प्रति हेक्टेयर 52 क्विंटल 44 किलोग्राम तक पैदावार दे सकती है। इसका उत्पादन आई.आर. 64 धान के मुकाबले 10. 74 प्रतिशत अधिक मिलता है। यह नई प्रजाति ब्लास्ट और गंगई कीड़ों के प्रति प्रतिरोधक भी है। इसका चावल लम्बा और पतला होता है। इसकी मिलिंग का प्रतिशत 68. 10 है। इसमें एमाइलोज और जैल कन्सिसटेन्सी का प्रतिशत मध्यम पाया गया है, जो चावल पकाने के लिए एक अच्छा गुण माना जाता है। उच्च गुणवत्ता के चलते विश्वविद्यालय द्वारा इसे सम्पूर्ण राज्य के धान क्षेत्र में इसके इस्तेमाल की सिफारिश की गई है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/chattishgarh/4_12_6958576.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close