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न्यूज क्लिपिंग्स् | पेयजल संकट का हल खोजेगी सरकार

पेयजल संकट का हल खोजेगी सरकार

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published Published on Apr 8, 2016   modified Modified on Apr 8, 2016
शिमला, 7 अप्रैल (निस)
 
हिमाचल प्रदेश की राजधानी एवं पर्यटन नगरी शिमला में पेयजल संकट ने प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार को चिंता में डाल दिया है। शिमला को पेयजल आपूर्ति करने वाले अधिकांश पेयजल स्रोतों के दूषित हो जाने और इनका पानी पीने योग्य न रहने के चलते अब सरकार को शिमला शहर के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने की चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है। इसी के चलते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज विधानसभा में कहा कि सरकार राजधानी की इस समस्या का स्थायी और अस्थायी दोनों हल ढूंढेगी।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला शहर में पेजयल संकट का युद्ध स्तर पर समाधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निगम शिमला को संपूर्ण शिमला शहर में पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति सुनिश्चित करने हेतु प्रतिदिन 42.00 से 45.00 एम.एल.डी. पानी की आवश्यकता रहती है, जिसके विपरीत वर्तमान में नगर निगम शिमला को प्रतिदिन औसतन 32.00 से 33.00 एम.एल.डी. पानी ही उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने चौथे दिन पानी के वितरण के सवाल पर कहा कि शहर की भौगोलिक स्थिति तथा जल भंडारण टैंक में उचित मात्रा में लेवल न बन पाने के कारण पानी के दबाव में कमी रहती है।

कमेटियों का गठन : मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निगम द्वारा शहर में पानी के रिसाव को रोकने के लिए वार्ड स्तर पर लीकेज खोजने व उसे तुरंत ठीक करने की मुहिम शुरू की गई है। इसके तहत सम्बंधित कनिष्ठ अभियन्ता की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया गया है।

अश्वनी खड्ड से जलापूर्ति बहाल करने के निर्देश

इस बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला शहर के लिए अश्वनी खड्ड से शीघ्र पेयजल आपूर्ति बहाल करने और इस जल स्त्रोत में प्रदूषण नियंत्रित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आज शिमला शहर में पेयजल आपूर्ति के आकलन के लिए बुलाई गई एक आपात बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अश्वनी खड्ड में मिलने वाले सभी जल स्रोतों की सफाई करने की आवश्यकता है क्योंकि ये पानी को प्रदूषित कर रहे हैं। वीरभद्र सिंह ने अश्वनी खड्ड के सहायक चश्मों में प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए शीघ्र प्रभावी कदम उठाकर पेयजल आपूर्ति बहाल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चश्मों के ऊपर उन बस्तियों को एक मुख्य मल निकासी पाइप से जोड़ा जाना चाहिए जहां मल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है, ताकि अश्वनी खड्ड का पानी प्रदूषित न हो सके।


http://dainiktribuneonline.com/2016/04/%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%AF%E0%A4%9C%E0%A4%B2-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%9F-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%


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