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न्यूज क्लिपिंग्स् | बंट रहा सड़ा अनाज ताकि न गिरे गाज - प्रवीन कौशिक

बंट रहा सड़ा अनाज ताकि न गिरे गाज - प्रवीन कौशिक

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published Published on May 30, 2011   modified Modified on May 30, 2011
फरीदाबाद. अफसरों की लापरवाही से हर साल गोदामों में सड़ने वाला अनाज गरीबों को बांटे जाने वाले अनाज में मिलाकर बांटने का गोरखधंधा जिले में धड़ल्ले से चल रहा है। नियमानुसार स्टाक में रखा अनाज खराब होने पर संबंधित अधिकारी को पेनल्टी भरना पड़ती है, मगर चौंकाने वाली बात यह है कि हर साल लाखों रुपए का अनाज खराब होने के बाद भी आज तक किसी भी अधिकारी से पेनल्टी नहीं वसूली गई है।

सूत्रों के अनुसार जिले में फूड एंड सप्लाई विभाग के अफसर स्टॉक में रखा हुआ गेहूं खराब होने पर पेनल्टी भुगतने की बजाय इसको साजिशन गरीबों के अनाज में मिलवाकर बंटवा देते हैं। यहां गरीबों को लगभग 30 हजार क्विंटल गेहूं प्रतिमाह वितरित किया जाता है। चार लाख एपीएल को भी हजारों क्विंटल गेहूं बांटा जाता है।

जिले में किसानों से गेहूं खरीदने के बाद सभी एजेंसियां गेहूं को स्टोर कर देती हैं। इसमें सबसे अधिक फूड एंड सप्लाई विभाग गेहूं की खरीद करता है। फूड एंड सप्लाई विभाग के निरीक्षक की देखरेख में संबंधित गोदाम में गेहूं स्टोर किया जाता है। यदि यहां यह गेहूं खराब हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी निरीक्षक की मानी जाती है। इसमें 1276 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से निरीक्षक को जुर्माना भुगतना होता है।

यदि एक बोरी गेहूं खराब होता है तो इसमें से 60 प्रतिशत निरीक्षक को, 20 प्रतिशत इसके अधीनस्थ अधिकारी को और बाकी 20 प्रतिशत डीएफएससी को जुर्माना देना होता है। ये रुपए सरकार के खाते में जमा कराने होते हैं, लेकिन यहां अफसर इस पेनल्टी से बचने के लिए सड़े हुए अनाज को डिपो होल्डर के पास भिजवा देते हैं और वहां से यह अनाज गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को दे दिया जाता है।

रख ले नहीं तो दिखा तीन माह का रिकॉर्ड

प्रदेश की डिपो होल्डर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट फूलसिंह तेवतिया का कहना है कि यहां अफसरशाही का रौब इस कदर हावी है कि यदि सड़े हुए अनाज को लेने से कोई डिपो होल्डर मना कर देता है तो अफसर उसको धमकी देते हुए कहते हैं कि चुपचाप इस स्टॉक को रख ले, नहीं तो दिखा तीन माह का रिकॉर्ड। ऐसे में डिपो होल्डर चुपचाप सड़े अनाज को ही गरीबों में जबरन बांट देता है। डिपो होल्डर को एक क्विंटल पर 18 रुपए कमीशन मिलता है। इसके अलावा उसको और कुछ भत्ता नहीं दिया जाता। यही कारण है कि डिपो होल्डर भी इस गोरखधंधे में लिप्त हो जाते हैं।

कितना राशन मिलता है कार्डधारकों को

फूड एंड सप्लाई के रिकॉर्ड के अनुसार जिले में 66 हजार बीपीएल हैं, इसके अलावा एएवाई 10 हजार और एपीएल की संख्या चार लाख से अधिक है। बीपीएल को प्रति कार्ड 35 किलोग्राम अनाज प्रति माह 4.70 रुपए के हिसाब से दिया जाता है। इसके अलावा चीनी कभी एक किलो 880 ग्राम तो कभी दौ सौ ग्राम दी जाती है। एएवाई को गेहूं 35 किलोग्राम प्रति कार्ड प्रति माह दिया जाता है।

यह गेहूं 1.95 रुपए के हिसाब से दिया जाता है। एपीएल को 9.40 रुपए के हिसाब से गेहूं दिया जाता है। एपीएल कार्डधारक को कभी दस किलो तो कभी 15 किलोग्राम के हिसाब से प्रतिकार्ड प्रति माह गेहूं दिया जाता है। बीपीएल कार्डधारक को मिट्टी का तेल प्रति कार्ड 8 लीटर प्रति माह दिया जाता है और एएवाई को भी आठ लीटर दिया जाता है।

अफसरों की लापरवाही से होते हैं प्रदर्शन

अफसरों की इस लापरवाही के कारण आए दिन सड़े हुए अनाज को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन मिलीभगत के कारण मामला दबा दिया जाता है। इस मामले की शिकायत प्रदेश की डिपो होल्डर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट फूलसिंह तेवतिया ने आला अधिकारियों, संबंधित मंत्री व सीएम तक की है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। डीसी डॉ. प्रवीण कुमार का कहना है कि मामले की जांच कराई जाएगी और जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

15 लाख कट्टे खुले मैदान में

इस बार जिले में सभी एजेंसियों द्वारा एक लाख 11 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। यह रिकॉर्ड आवक है। जिले में कवर्ड गोदाम की संख्या कम है और इनमें से कई कवर्ड गोदाम में तो दो से तीन वर्षो का स्टाक पड़ा रहता है। इसके अलावा काफी मात्रा में गेहूं का समय पर उठान नहीं हो पाता और गेहूं खुले में रखना पड़ता है। वर्तमान में एनआईटी के कवर्ड गोदाम में 44 हजार कट्टे, मोहना में 80 हजार कट्टे व खेड़ीकलां में एक लाख कट्टे रखने का इंतजाम है। बाकी 15 लाख कट्टे खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं।

http://www.bhaskar.com/article/HAR-OTH-fall-casualty-officers-2144549.html?C3-HAR=


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