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न्यूज क्लिपिंग्स् | बड़े उद्योगों को 50 पैसे प्रति यूनिट सस्‍ती बिजली देने की तैयारी

बड़े उद्योगों को 50 पैसे प्रति यूनिट सस्‍ती बिजली देने की तैयारी

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published Published on Oct 10, 2015   modified Modified on Oct 10, 2015
हरीश दिवेकर, भोपाल। बिजली की उपलब्धता अधिक होने के कारण प्रदेश के बड़े उद्योगों को 50 पैसे प्रति यूनिट सस्ती दर पर बिजली देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए उद्योगों को बिजली खपत कम से कम 5 फीसदी बढ़ाना अनिवार्य होगा। पावर मैनेजमेंट कंपनी (पीएमसी) ने इस संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा है।

दरअसल कंपनी ने अगले कई सालों के लिए बिजली खरीदी का अनुबंध किया हुआ है, लेकिन उसकी तुलना में खपत न होने से उसे हर साल फिजूल में 710 करोड़ का भुगतान करना पड़ रहा है। अगर उद्योग खपत बढ़ाते हैं तो बिजली कंपनी की भरपाई भी होगी और उसे सालाना 108 करोड़ के फायदे की भी उम्मीद है। वित्त महकमे ने पीएमसी के इस प्रस्ताव को हरी झंडी देते हुए इसे मुख्यमंत्री को मंजूरी के लिए भेज दिया है।

सूत्रों की मानें तो जल्द ही यह प्रस्ताव मंजूर कर दिया जाएगा। नोटिफिकेशन से पहले राज्य सरकार को इसकी सूचना राज्य विद्युत नियामक आयोग को देना जरूरी होगा। खरीदी अनुबंध ज्यादा, खपत कम पीएमसी ने गुजरात के खवास और गांधार थर्मल पावर से 250 मेगावाट, महाराष्ट्र के मौदा थर्मल पावर प्रोजेक्ट से 150 मेगावाट का दीर्घकालीन (20 साल) बिजली खरीदी अनुबंध कर रखा है। प्रदेश में बिजली खपत कम होने के कारण पीएमसी बिजली खरीदी नहीं कर पा रहा।

तय शर्तों के अनुसार इन्हें फिक्स चार्ज के पैसे मुफ्त में देना पड़ रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर हाइड्रल प्रोजेक्ट से 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन आवश्यकता न होने से हाइड्रल प्लांट को बंद रखा गया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में बिजली खपत 9 हजार मेगावाट है, जबकि खरीदी 9500 मेगावाट की जा रही है। उद्योगों को ये होंगे फायदे उद्योगों को वर्तमान खपत से कम से कम पांच फीसदी खपत बढ़ाने पर 50 पैसे प्रति यूनिट सस्ती बिजली मिलेगी।

वर्तमान में उद्योगों से शाम 6 से रात 10 बजे तक बिजली खपत पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लिया जाता है, लेकिन उद्योगों की खपत बढ़ाने पर उन्हें इस सरचार्ज से छूट मिलेगी। वह अपनी फैक्ट्री 24 घंटे चला सकेगा। वर्तमान में तय लोड पर कनेक्शन लेने के बाद अधिक उपयोग किए जाने पर उद्योगपति से अतिरिक्त चार्ज लिया जाता है, जो 30 से 100 प्रतिशत तक होता है।

खपत बढ़ाने पर इसमें एक सीमा तक राहत मिलेगी। वर्तमान में उद्योगों को पीक ऑफ में 5.70 रुपए और पीक आवर में 6.50 रुपए में सरचार्ज सहित बिजली मिल रही है। नए प्रस्ताव में बढ़ी हुई खपत पर 50 पैसे प्रति यूनिट की राहत के साथ पीक आवर के सरचार्ज से भी छूट मिलेगी। पिछले वर्ष बिजली कंपनियों ने उद्योगों से 71 करोड़ का अकेला सरचार्ज वसूला था।

अभी 50 बड़े उद्योग राज्य के अलावा बाहर से भी बिजली खरीद (ओपन एक्सेस कर) रहे हैं। उन्हें यह बिजली 6.40 रुपए में मिलती है, ऐसे में राज्य में 50 पैसे यूनिट सस्ती बिजली मिलने से वे राज्य से बिजली खरीदना पसंद करेंगे। उद्योगों के 24 घंटे चालू रहने से उत्पादन बढ़ेगा। इसके साथ वहां काम करने वाले श्रमिकों को भी फायदा होगा।

एक साल में 5388 करोड़ रुपए की बिजली खपत प्रदेश में मध्यम और बड़े उद्योगों की संख्या 3385 है। इनमें सालाना 5388 करोड़ रुपए की बिजली खपत होती है। अति उच्च दाब कनेक्शन वाले 65 उद्योगों में सालाना खपत 268 करोड़ यूनिट। उच्च दाब 33 केवी कनेक्शन वाले 2146 उद्योगों में सालाना खपत 329 करोड़ यूनिट।उच्च दाब 11 केवी कनेक्शन वाले 1174 उद्योगों में सालाना खपत 301 करोड़ यूनिट।

सरकार को लेना है निर्णय

'हमने प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। इसमें अंतिम निर्णय सरकार के स्तर पर लिया जाना है।' - संजय शुक्ला, सीएमडी पावर मैनेजमेंट कंपनी

 


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