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न्यूज क्लिपिंग्स् | मौसम की मार से निपटने के उपाय करे सरकार

मौसम की मार से निपटने के उपाय करे सरकार

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published Published on Feb 28, 2016   modified Modified on Feb 28, 2016
बजट में किसान कई बातों के अलावा मौसम की मार से बचाव के उपाय भी चाहता है। वह बेहतर मौसम अनुमान, फसलों की समय से क्षतिपूर्ति, सीधी सब्सिडी, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती की उम्मीदें रखता है। जानकार भी कहते हैं कि सरकार कृषि और उससे जुड़े सेक्टर में भरपूर निवेश करे ताकि सूखे में स्थितियां नियंत्रण में बनी रहें। एक नजर-

बजट 2016-17: क्या हैं उम्मीदें

नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो
किसानों के संगठन चाहते हैं कि दावों के निपटारे के लिए सरकार नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करे। इसके तहत रिमोट सेंसिंग और मोबाइल आधारित इमेज कैप्चरिंग सिस्टम हो ताकि उपज के आंकड़ों और दावों के निपटान में सुधार हो।

राज्य कोष आधारित बीमा
26.3 करोड़ किसान देश में हैं। इस संख्या का दसवां हिस्सा ही फसल बीमा का लाभ लेता पाता है। इसका कारण है ऊंचा प्रीमियम। लिहाजा सरकारों को पूरा फसल बीमा कवर देना चाहिए।

उर्वरकों पर बड़ी सब्सिडी
2013- 14 में उर्वरक सब्सिडी कुल कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद की करीब 10 फीसदी रही। किसान अब महंगे उर्वरकों के लिए बड़ी सब्सिडी चाहते हैं।

जैविक खेती को बढ़ावा मिले
सरकार सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जैविक खेती विधियों को बढ़ावा दे। इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार होगा। कम उपज के बाद भी आर्गनिक उत्पादों से किसानों को ऊंचे दाम मिलेंगे।

बेहतर मानसून अनुमान
किसान की फसल मौसम पर निर्भर है। इसलिए वह चाहता है कि उसे स्थानीय स्तर पर सटीक मौसम जानकारी मिले। लगातार दो सूखे और मार्च में हुई व्यापक ओलावृष्टि से फसलों को क्षति पहुंची थी।

नगद सब्सिडी मिले
किसान को सब्सिडी का फायदा नहीं मिल पाता है। कृषक सहायक संगठनों ने मौजूदा परोक्ष कृषि कर्ज के बजाय प्रत्यक्ष नगद सब्सिडी का प्रस्ताव दिया है।

क्या होगा इनसे- पैदावार बढ़ेगी, क्षति रुकेगी: विशेषज्ञों के मुताबिक इससे किसान पैदावार बढ़ा पाएंगे और उन्हें फसल क्षति को रोकने में मदद मिलेगी।

क्या कदम उठाए गए हाल में
1. केंद्र सरकार ने पिछले महीने देश की पहली बड़ी फसल क्षति बीमा योजना को हरी झंडी दी। सरकार ने कहा कि इससे किसानों पर प्रीमियम का बोझ घटेगा। मामलों का तेजी से निपटारा होगा।

2. केंद्र ने साल 2016-17 के लिए जूट की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 18.5 फीसदी बढ़ाकर 3,200 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। इससे पहले में कच्ची जूट का एमएसपी 27 हजार रुपये प्रति क्विंटल था।

टर्म लोन की हिस्सेदारी बढ़े
वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में किसानों के कर्ज के मामले में बदलाव की बात हुई। इसमें लघु अवधि के फसल कर्ज की बजाय टर्म लोन की हिस्सेदारी बढ़ाने की वकालत की गई। इसके कारण किसान मशीनीकरण पर अधिक खर्च कर सकेंगे।
- राजू शेट्टी, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और सांसद स्वाभिमानी पक्ष

व्यापक बदलाव की दरकार
1. 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किसानों के लिए स्थायी आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि क्षेत्र में बदलाव की जरूरत है। कृषि में उत्पादकता बढ़ाने पर बल दिया जाना जरूरी है।

2. किसान समूहों का कहना है कि एक दशक में हजारों किसानों ने खुदकुशी की। इसके समाधान के लिए दीर्घावधि योजना की दरकार है।

किसानों पर कर्ज
1. देश के आधे से अधिक किसान परिवार कर्ज के गहरे जाल में फंसे हैं। इनके ऊपर बैंकों और सूदखोरों के लाखों रुपये का कर्ज है।

2. देखा जाए तो देश में पड़े सूखे से देश के विभिन्न क्षेत्रों में चावल, कपास और अन्य फसलों को क्षति पहुंची। फिर कमोडिटी की कम कीमतों ने किसानों की तकलीफों को और बढ़ा दिया।

3. फरवरी के शुरू में बजट पूर्व कृषि संबंधी एक बैठक वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की थी। इसमें उन्होंने माना था कि भारतीय कृषि क्षेत्र संकटग्रस्त है।

ऋण का गणित
- किसानों को तीन लाख रुपये तक का फसल कर्ज सात प्रतिशत ब्याज पर मिलता है। हालांकि, यदि किसान ऋण का भुगतान समय पर करता है, तो प्रभावी ब्याज दर चार प्रतिशत रहती है।

- 2014 में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें आधे से अधिक महाराष्ट्र में थे। ये आंकड़े एनसीआरबी के हैं।

- मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में कृषकों ने खुदकुशी की है।

पिछले साल का बजटः कृषि ऋण का लक्ष्य 8.5 लाख करोड़ किया था।
1. 8.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया था किसानों के लिए एक बड़ी घोषणा करते हुए सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य।

2. 25,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया था ग्रामीण संरचना विकास कोष में।

3. किसानों को प्रभावी व बिना अड़चन कृषि ऋण के जरिये कृषि क्षेत्र को समर्थन के लिए।

4. 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की थी दीर्घावधि के ग्रामीण ऋण कोष के लिए।

5. 45,000 करोड़ रुपये सहकारी ग्रामीण ऋण पुनर्वित्त कोष और 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया था लघु अवधि के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्वित्त कोष के लिए।

सिंचाई और मृदा सेहत पर जोर
1. सिंचाई और मृदा में सुधार के लिए वित्तीय समर्थन की घोषणा भी की गई थी।

2. कृषि मंत्रालय की जैव कृषि योजना ‘परंपरा कृषि विकास योजना' तथा प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना को समर्थन बजट में मिला था।

3. सूक्ष्म सिंचाई जल संभरण कार्यक्रमों व पीएमजीएसवाई के लिए 5,300 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था।

4. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी मृदा हेल्थ कार्ड जारी किया गया था।

साझा बाजार जरूरी
सरकार ने कहा था कि किसान अब स्थानीय व्यापारियों के जाल में नहीं हैं, लेकिन उनकी उपज को अभी तक सर्वश्रेष्ठ अनुमानित मूल्य नहीं मिलता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हम राष्ट्रीय साझा बाजार स्थापित करना चाहते हैं।


http://www.livehindustan.com/news/business/article1-budget-2016-finance-minister-arun-jaitley-farmers-weather--518754.html


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