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न्यूज क्लिपिंग्स् | यूकेलिप्टस की खेती से किसान बन रहे धनवान

यूकेलिप्टस की खेती से किसान बन रहे धनवान

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published Published on Sep 22, 2014   modified Modified on Sep 22, 2014
नवीन गौतम, आदर्श दनोरा (बैतूल)। परंपरागत खेती के चलते गरीबी से ही जूझते रहने को विवश क्षेत्र के किसानों की किस्मत यूकेलिप्टस की खेती ने संवार दी है। वन विभाग की पहल के बाद जब किसानों को अप्रत्याशित मुनाफा होने की जानकारी मिली तो किसानों में भी इसकी खेती की होड़ सी लग गई है। किसानों द्वारा खुद आगे आकर यूकेलिप्टस की खेती की जा रही है।

खेती के सहारे समृद्ध होने की यह ललक बैतूल जिले के पश्चिम वनमंडल की गवांसेन, चिचोली, मोहदा और तावड़ी रेंज के अंतर्गत निवास करने वाले किसानों में देखी जा सकती है। सुखद और सुनहरे भविष्य को लेकर कृषक वर्ग खासे उत्साहित हैं। वन विभाग की पहल पर यूकेलिप्टस नीलगिरी का प्लांटेशन किया जा रहा है।

इसमें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की लागत से 4 वर्ष में कृषक को 3.50 लाख का लाभ होता है। इस के लिए विभाग द्वारा सहायता एवं तकनीकी जानकारी किसानों को उपलब्‍ध कराई जा रही है। भीमपुर, चिचोली, गवांसेन, रतनपुर में किसानों में यूकेलिप्टस के पौधारोपण को लेकर होड़ सी लगी है।

इतने किसान कर चुके हैं

मोहदा परिक्षेत्र के अन्तर्गत लगभग 60 किसानों द्वारा नई तकनीक के प्रयोग से 90 एकड़ भूमि पर प्लांटेशन किया गया। उसी तरह चिचोली परिक्षेत्र में 55 किसान, गवांसेन परिक्षेत्र में 70 किसानों द्वारा यूकेलिप्टस नीलगिरी की खेती करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसमें 180 किसानों द्वारा लगभग 3 लाख 36 हजार पौधों का प्लांटेशन किया जा चुका है। प्रति एकड़ 1 हजार पौधे लगाना सुनिश्चित किया जा रहा है। इसकी कुल लागत 10 से 12 हजार 4 वर्ष की बताई जा रही है।

कंपनी ही खरीदेगी उत्पाद

जिले के लगभग 180 किसानों के लिए बिल्ड कंपनी द्वारा 6 रुपए की दर से प्रति पौधा उपलब्‍ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही 4 वर्ष के बाद वजन के हिसाब से इसी कंपनी द्वारा किसानों का उत्पाद क्रय किए जाने का अनुबंध वन समितियों से किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। महाराष्ट्र की वूड कंपनी द्वारा किसानों का उत्पादन क्रय करने का अनुबंध पूर्व में किया जा चुका है। इससे भविष्य में किसानों का उत्पाद बेचने के लिए बाजार की तलाश नहीं करना होगा।

वन समितियों का सहयोग

किसानों की माली हालत को देखते हुए वन विभाग द्वारा वन समितियों के माध्यम से संबंधित परिक्षेत्र के किसानों को आर्थिक सहायता दी जा रही है। इससे किसान और अधिक रूचि ले रहा है। कुछ किसानों के द्वारा तो स्वयं के व्यय पर भी यूकेलिप्टस का प्लांटेशन किया जा रहा है। कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए सभी किसान कवायद करने में जुट गए हैं।

किसान कहते हैं

मौसम के मिजाज को देखते हुए नई तकनीक से की जाने वाली खेती ही किसान को ऊपर उठा सकती है एवं आत्मनिर्भर बना सकती है।

रामा काकोड़िया, दामजीपुरा

पिछले तीन वर्षों से हमारी फसलें खराब हो रही हैं। परिवार पालना मुश्किल हो रहा है। यूकेलिप्टस से निश्चित ही कृषि एवं आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

संजय आर्य, आदर्श दनोरा

इस नई तकनीक से पारंपरिक खेती के अलावा पड़ित भूमि का उपयोग एवं आमदनी में इजाफा होगा। हम बेहतर भविष्य को लेकर खासे आशान्वित होगी।

रोशन यादव, लक्कड़जाम

वे बोले....

शासन स्तर पर किसानों को नई तकनीक से खेती करने की जानकारी दी जा रही है। इससे किसान एवं पर्यावरण दोनों लाभान्वित होंगे। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

-मानवेन्द्र सिंह जयंत, परिक्षेत्र अधिकारी, चिचोली

कृषकों को जानकारी एवं नई तकनीक से यूकेलिप्टस की खेती करना सिखाया जा रहा है और अधिक से अधिक लोगों को इस तरह की खेती करने की सलाह दी जा रही है।

-एससी प्रधान, परिक्षेत्र अधिकारी, मोहदा


- See more at: http://naidunia.jagran.com/special-story-eucalyptus-cultivation-farmers-are-becoming-richer-188215#sthash.0ZhAd5oM.dpuf


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