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न्यूज क्लिपिंग्स् | लाभार्थियों को सीधे दी जाएगी खाद्य सबसिडी

लाभार्थियों को सीधे दी जाएगी खाद्य सबसिडी

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published Published on Oct 31, 2012   modified Modified on Oct 31, 2012
नई दिल्ली । राशन की दुकानों के जरिए बेचे जाने वाले खाद्यान्न के किसी और जगह स्थानांतरित होने से रोकने के प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह जल्द ही केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों को देने की प्रायोगिक परियोजना शुरू  करेगी। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने यहां राज्यों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने  कहा कि खाद्यान्न के स्थानांतरण और उनमें होने वाली चूकों को दूर करने के अन्य उपायों के अलावा खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए जाने के वैकल्पिक मॉडल पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में जल्द ही प्रायोगिक परियोजना शुरू की जाएगी ताकि बाकी राज्यों में अमल किए जाने से पहले प्रस्तावित वैकल्पिक मॉडल के असर का आकलन किया जा सके। थामस ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस वैकल्पिक मॉडल के बारे में प्रदेश सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी राय मांगी है। इस बीच में प्रायोगिक योजना को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक मॉडल में खाद्यान्न को राशन की दुकानों तक बाजार कीमत पर लाया जाए और खाद्य सब्सिडी लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में भेज दी जाए ताकि खाद्य सब्सिडी का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे और निहित स्वार्थमंद लोगों द्वारा इसका लाभ न लिया जाए।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए सरकार की ओर से दी जाने वाली खाद्य सब्सिडी चालू वित्त वर्ष में 75 हजार करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2011-12 में 72,823 करोड़ रुपए थी। पीडीएस में खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे राशन दुकान के मालिकों के मार्जिन को वहां तक बढ़ाएं ताकि उनका व्यवसाय लाभप्रद होने की स्थिति में हो व ये राशन मालिक राशन दुकान के लिए भेजे जाने वाले खाद्यान्न को कहीं और स्थानांरित करने से बचें। थॉमस ने कहा,‘ मैं खाद्य मंत्रियों से अपने राज्यों में राशन दुकान मालिकों के मौजूदा मार्जिन की समीक्षा करने और उसे संशोधित करने का अनुरोध करुंगा। हाल ही में राज्य सरकारों को एक संसदीय पैनल की रिपोर्ट को लागू करने को कहा गया था। इसमें राशन की दुकानों को आर्थिक रूप से लाभप्रद बनाने और राशन दुकान मालिकों के मार्जिन को बढ़ाने का सुझाव दिया गया था। आम दृष्टिकोण और मीडिया रपटों का हवाला देते हुए थॉमस ने कहा कि बाजार कीमत और पीडीएस दरों के बीच भारी अंतर व राशन दुकान मालिकों का कम मार्जिन गड़बड़ी को बढ़ावा देने का कारण है।
थामस ने कहा कि राशन दुकान मालिकों को ऐसी गतिविधियों में शामिल न होने देने के लिए जरूरी है कि राशन दुकान मालिकों को दिए जाने वाले मार्जिन को बढ़ाते हुए उनकी दुकानों को लाभप्रद बनाया जाए। प्रस्तावित खाद्य विधेयक के बारे में थॉमस ने कहा कि एक संसदीय पैनल की ओर से विधेयक को जांचने परखने की प्रक्रिया पूरा होने की स्थिति में है। उन्होंने कहा,‘हमारी सरकार इस विधेयक को संसद में जल्द से जल्द पारित कराने को इच्छुक है।’
मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक देश के निर्धनतम जिलों को किए जाने वाले अतिरिक्त आबंटन के संदर्भ में उठान बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने पर्याप्त भंडारण सुविधाओं के निर्माण और ग्रामीण भंडारण योजना और नाबार्ड के सहकारी और ग्रामीण आधारभूत ढांचा विकास कोष जैसी दो योजनाओं के अधिकतम इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न स्टाक के संदर्भ में भारत की स्थिति बेहतर है। स्टाक एक अक्तूबर को छह करोड़ 65.3 लाख टन था जबकि जरूरी बफर मानदंड 2.12 करोड़ टन का ही है।

http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/31770-2012-10-31-04-22-11


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