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न्यूज क्लिपिंग्स् | लाल हो रहा गंगा का पानी, सरकार में हडकंप

लाल हो रहा गंगा का पानी, सरकार में हडकंप

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published Published on Nov 29, 2014   modified Modified on Nov 29, 2014
इलाहाबाद। माघ मेला शुरू होने से तकरीबन एक माह पहले ही गंगा का पानी लाल होने के मामले में जल संसाधन नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय भी सक्रिय हो गया है। जानकारों का दावा मानें तो केंद्रीय मंत्री उमा भारती हालात के बारे में खुद संजीदा हो उठी हैं और प्रतिदिन की अद्यतन रिपोर्ट ले रही हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा गंगा प्रदूषण मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) अरुण गुप्ता ने शुक्रवार को लाल पानी की शिकायतों के मद्देनजर गंगा घाट और एसटीपी का दौरा किया।

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती और श्री गुप्ता के बीच देर शाम गंगा के पानी के रंग को लेकर दूरभाष पर भी चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले चार दिन से संगम नगरी से इस बात की जानकारी मिल रही है कि गंगा का पानी लाल हो रहा है।

उन्होंने आश्वस्त कराया कि वह इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई करने जा रही हैं। केंद्रीय मंत्री की इन बातों से तय है कि उन्हें इस बारे में शिकायतें पहले से ही मिल रही हैं। वैसे जानकार गंगा के पानी के रंग बदलने के लिए कानपुर की फैक्टियों के साथ ही शहर के नाले व लचर सीवरेज सिस्टम को भी जिम्मेदार मान रहे हैं।

माघ मेले के ठीक पहले गंगा जल के लाल होने के मामले में गंगा प्रदूषण मामले के एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) की भी निगाह घूम गई। एमिकस क्यूरी द्वारा शुक्रवार को एसटीपी और संगम तट का दौरा किया गया। इस दौरान एसटीपी के पंप बंद मिले और गंगा का पानी प्रदूषित मिला। वह अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेंगे। ऐसे में गंगा के प्रदूषित पानी के मामले में जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

हाईकोर्ट के गंगा प्रदूषण मामले के एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता शुक्रवार को करीब ढाई बजे सलोरी एसटीपी पहुंचे। एसटीपी में शहर के गंदे पानी को संशोधित करने के लिए कुल तीन मशीनों में से एक ही चालू हालत में मिली। नियमानुसार एसटीपी की दो मशीनों को हमेशा चलते रहना चाहिए। एमिकस क्यूरी ने वहां के कर्मचारियों से सवाल किया कि एक ही मशीन क्यों चल रही है, कर्मचारियों ने सफाई दी कि दो मशीनें चलती हैं, मगर तर्को के आगे वह हार गए। एमिकस क्यूरी की तरफ से सवाल किया गया कि आखिर प्रतिदिन कितनी बिजली की खपत होती है, कर्मचारियों का जवाब था कि मशीनों के चलाने में प्रतिदिन 800 यूनिट बिजली खर्च होती है।

इस तरह से महीने में 24 हजार यूनिट बिजली खर्च होती है। श्री गुप्ता ने एसटीपी का निरीक्षण किया तो पाया कि पानी संशोधन के दौरान जहां से छनकर ठोस गंदगी निकलती है, वह स्थान सूखा था। इससे साफ था कि मशीन न के बराबर चलती हैं। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया और वहां से संगम तट पहुंचे। यहां पर उन्हें कहीं हल्का काला और लाल पानी दिखायी दिया। इस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की और मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि वह अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को देंगे। इस पर उचित कार्रवाई होगी। गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने में की जा रही लापरवाही की जानकारी प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भी दी जाएगी।

माघमेला संबंधी कार्यो की निविदा में देर होने के कारण पहले से ही मेले की तैयारियां पिछड़ गई हैं। बची खुची कसर मेला प्रशासन पूरी कर दे रहा है। सुस्त रफ्तार से चल रहा मेला प्रशासन बैरीकेटिंग, विज्ञापन और किराए पर ट्रैक्टर लेने को अभी तक ठेका ही नहीं दे सका है। ऐसे में मेला तैयारियों को झटका लग रहा है। माघ मेला की तैयारियों को लेकर सरकारी विभाग अपना-अपना ठेका उठाते हैं।

मेला में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण को लेकर बैरीकेटिंग लगाने, प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापन और भूमि समतीलकरण समेत अन्य कामों के लिए किराए पर ट्रैक्टर आदि लेने का ठेका मेला प्रशासन उठाता है। इस बार बैरीकेटिंग का लगभग आठ लाख और विज्ञापन का 18 लाख के करीब का ठेका उठना है। ट्रैक्टरों का ठेका प्रति किलोमीटर के हिसाब से उठता है। माघ मेला करीब है लेकिन मेला प्रशासन अभी तक तीनों कार्यो में एक का भी ठेका अब तक नहीं उठा पाया है। जिसके कारण तैयारियां प्रभावित हो रही हैं। मेलाधिकारी डॉ.आरके शुक्ला का कहना है कि ठेका उठाने का कार्य जल्द ही पूरा किया जाएगा।


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