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न्यूज क्लिपिंग्स् | सूबे के 23 लाख किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभ

सूबे के 23 लाख किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभ

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published Published on Nov 27, 2014   modified Modified on Nov 27, 2014
पटना: इस वर्ष राज्य में 23 लाख किसानों ने फसल बीमा कराया है. कितने किसानों को इसका लाभ मिलेगा. इसका फिलहाल आकलन किया जा रहा है. करीब एक महीने बाद इसकी रिपोर्ट तैयार होने की संभावना है.

इसके बाद किसानों को बीमा की राशि का भुगतान देने की प्रक्रिया शुरू होगी. पिछले साल 18 लाख 60 हजार किसानों को फसल बीमा योजना में शामिल किया गया था. इनमें 16 लाख किसानों को इसका लाभ दिया गया था. 2013 में खरीफ के मौसम में ‘फालिन' चक्रवाती तूफान आया था. इस वजह से फसल बीमा का कवरेज करीब 90 फीसदी हुआ था. इस वर्ष मौसम की वजह से फसल का नुकसान कम हुआ है. हालांकि अन्य कारणों से फसलों का नुकसान होने की रिपोर्ट कुछ जिलों से आयी है. इस वजह से इस बार फसल बीमा का लाभ 40-50 फीसदी किसानों को ही मिलने की संभावना है.

दो तरह की फसल बीमा से जुड़े किसान : 31 जिलों में किसानों को ‘मौसम आधारित फसल बीमा योजना' (डब्ल्यूबीसीआइएस) से जोड़ा गया था. ये जिले सारण, मुंगेर, रोहतास, पटना, जमुई, बेगूसराय, नवादा, किशनगंज, नालंदा, औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, वैशाली, पूर्णिया, भोजपुर, बक्सर, सीवान, अरवल, अररिया, कटिहार, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, कैमूर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, बांका, समस्तीपुर, भागलपुर, लखीसराय और शेखपुरा हैं. इन जिलों में 18 लाख 49 हजार किसानों को 17 लाख चार हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को फसल बीमा के तहत शामिल किया गया है. इसके अलावा सात जिलों शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा और खगड़िया में किसानों को एमएनएआइएस (मॉडिफायड नेशनल एग्रीकल्चर इंश्योरेंश स्कीम) के तहत फसल बीमा कराया गया है. इसके तहत चार लाख 54 हजार किसानों के पांच लाख 10 हजार कृषि क्षेत्र में फसल का बीमा किया गया है.

मौसम आधारित बीमा योजना में मुख्य रूप से किसानों को मौसम से फसलों की क्षति होने पर बीमा का लाभ दिया जाता है जबकि एमएनएआइएस के तहत किसानों को फसल कटनी के आधार पर फसल बीमा का लाभ दिया जाता है.

ऐसे होता है आकलन

फसल बीमा के तहत किस जिले के किसानों को इसका लाभ मिलेगा. इसके आकलन का एक तरीका है. मौसम आधारित फसल बीमा योजना के आकलन के लिए सभी प्रखंडों में स्थापित मौसम केन्द्र के माध्यम से बरसात,सूखा व ओलावृष्टि समेत मौसम की अन्य गतिविधियों का हिसाब लगाया जाता है. इस आधार पर तय किया जाता है कि किस प्रखंड में मौसम के कारण कितना नुकसान हुआ. इसमें बाढ़ से होने वाली क्षति को शामिल नहीं किया जाता है. बाढ़ से फसल बरबाद होने पर इसके लिए आपदा के तहत क्षतिपूर्ति दी जाती है. इसके अलावा एमएनएआइएस के तहत शामिल जिलों के प्रखंडों में फसल की कटाई के हिसाब से उत्पादन की दर का अनुमान लगाया जाता है. जिन प्रखंडों में उत्पादन दर कम होता है,वहां इसके किसानों को लाभ दिया जाता है.


सूबे के 23 लाख किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभhttp://www.prabhatkhabar.com/news/bihar/story/201011.html


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