Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
RightBlock | हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा, कैसे गायब हो गये राज्य के 38 पहाड़

हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा, कैसे गायब हो गये राज्य के 38 पहाड़

Share this article Share this article
published Published on Apr 28, 2015   modified Modified on Apr 28, 2015
रांची : राज्य के पांच जिलों से 38 पहाड़ों के गायब होने के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हाइकोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया.

तीन सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने को कहा. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने नोटिस प्राप्त किया. इसके अलावा अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा को एमीकस क्यूरी नियुक्त किया गया. मामले की सुनवाई के लिए 12 मई की तिथि निर्धारित की गयी.

खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड की पहचान पहाड़ों, झाड़-जंगलों व नदियों से है. यदि पहाड़ ही नहीं रहेंगे, तो उसकी प्राकृतिक सुंदरता कैसे बचेगी. चीफ जस्टिस ने प्रभात खबर का जिक्र करते हुए कहा कि रांची आने के बाद वे अंगरेजी अखबार पढ़ना लगभग भूल गये हैं.

प्रभात खबर सहित अन्य हिंदी अखबारों में अच्छी-अच्छी खबरें आ रही हैं. गौरतलब है कि हाइकोर्ट ने प्रभात खबर में पर्यावरण बचाओ मुहिम के तहत प्रकाशित झारखंड के पांच जिलों में 38 पहाड़ गायब होनेवाली खबर को गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर दिया.

लीज 94 का, संचालित 144 पत्थर खदानें

गुमला : गुमला जिले के कई इलाकों में पहाड़ खत्म हो गये हैं. वहीं कुछ क्षेत्रों में पहाड़ का अस्तित्व समाप्त होने वाला है. सबसे बुरा हाल बसिया, पालकोट, डुमरी, कामडारा, रायडीह, बिशुनपुर, जारी व घाघरा प्रखंड का है. कहीं पहाड़ खोखले हो गये हैं, तो कहीं तोड़े गये पहाड़ के कुछ टुकड़े शेष बचे हैं. शहर से सटे करमडीपा व करौंदी में भी पहाड़ खत्म होने लगा है.

कुछ स्थानों पर लीज लेकर पहाड़ों को तोड़ा गया, तो कुछ स्थानों पर पत्थर माफिया सरकारी मुलाजिमों से मिल कर पहाड़ को खा गये. डुमरी प्रखंड का जैरागी गांव. यहां कभी ऊंचे-ऊंचे पहाड़ थे, लेकिन आज पहाड़ की जगह चंद टुकड़े नजर
आते हैं.

यहां अवैध रूप से पहाड़ को तोड़ा गया है. जिले में लीज पर पत्थर की 94 खदानें चल रही हैं. इसके अलावा 50 खदानों में अवैध रूप से पत्थरों का उत्खनन किया रहा है. वहीं जिले में कुल 21 क्रशर संचालकों के पास ही लाइसेंस है. जिले में सैकड़ों क्रशर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं.

शहर से सटे पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में

शहर से सटा करमडीपा गांव. नेशनल हाइवे 23 के किनारे बसा है. सड़क से ही पहाड़ दिखता था. इसकी सुंदरता देखते ही बनती थी. परंतु आज यहां आधा पहाड़ खत्म हो गया है. पहाड़ खोखला होता जा रहा है. बड़े-बड़े गड्ढे भी बन गये हैं.

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में राज्य का पक्ष रखते हुए कहा कि 24 योजनाओं में केंद्र एवं राज्य सरकारों की हिस्सेदारी में संशोधन प्रस्तावित है. इस बिंदु पर उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राज्यों के लिए एक जैसी फंडिंग पैटर्न लागू करना पिछड़े राज्यों के हित में नहीं होगा. शुरू से ही परिपाटी रही है कि पिछड़े राज्यों में जहां गरीबी रेखा से ज्यादा लोग रहते हैं उनके लिए विशेष प्रावधान किया जा रहा है. उसी के अनुरूप झारखंड जैसे राज्यों के लिए 75:25 का अनुपात रखना उपयुक्त होगा.

उन्होंने फंडिंग पैटर्न पर दूसरा सुझाव दिया कि वैसी योजनाएं जिनका सीधा संबंध शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण अथवा स्वच्छ भारत मिशन से है उसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी कम से कम 75 प्रतिशत रखी जाये. केंद्र सरकार की हिस्सेदारी इससे कम होने पर राज्य के गरीबों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

सीएम ने कहा कि साल भर निर्बाध रूप से विकास कार्य चलता रहे इसके लिए केंद्र सरकार राशि विमुक्ति की प्रक्रिया को सरल एवं आसान बनाये. विशेष कर केंद्रांश का 50 प्रतिशत साल के प्रारंभ में ही बिना शर्त विमुक्त कर दिया जाये.

सीएम ने कहा कि उन्होंने अपने राज्य में राज्यांश के लिए ऐसी व्यवस्था लागू कर दी है. राज्यांश का 50 प्रतिशत ऐसी सभी योजनाओं के लिए मुक्त कर दिया है. केंद्रांश की द्वितीय किस्त अक्तूबर माह में विमुक्त कर दी जाये तथा इसके लिए पूर्व के वित्तीय वर्ष के उपयोगिता प्रमाण-पत्र के अलावा और कोई शर्त नहीं रखी जाये.

नीति आयोग की बैठक में सीएम के अलावा मुख्य सचिव राजीव गौबा, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे, सीएम के प्रधान सचिव संजय कुमार, योजना विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार उपस्थित थे.

योजनाएं बंद नहीं करने का आग्रह

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ योजनाओं को केंद्रीय सहायता से हटाया गया है. इनमें से कई झारखंड जैसे पिछड़े एवं उग्रवाद प्रभावित राज्य के लिए अहम हैं जैसे बीआरजीएफ जो राज्य के 24 में से 23 जिलों में चलाया जा रहा है. इसे चालू रखना सरकार की बाध्यता है. उसी प्रकार पुलिस का आधुनिकीकरण तथा नेशनल इ-गवर्नेस प्लान इन योजनाओं को राज्य अपने स्नेतों से चलायेगा.

जिस पर लगभग 850 करोड़ रुपये का सालाना भार राज्य पर पड़ेगा. पहला विकल्प होगा कि इन योजनाओं को पूर्ववत जारी रखा जाये या झारखंड जैसे राज्य के लिए विशेष प्रावधान किया जाये.श्री दास ने कहा कि कालांतर में कॉपरेटिव फेडरलिज्म जो प्रधानमंत्री जी की सोच है, के तहत केंद्र संचालित योजनाओं को सीमित किया जाये, दूसरा प्रत्येक सेक्टर में एक ही अंब्रेला योजना रखी जाये एवं इसके अंतर्गत विभिन्न पहलुओं में प्राथमिकता तय करने की स्वतंत्रता राज्यों को दी जाये. सीएम ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत का इजाफा किये जाने पर केंद्र के प्रति आभार जताया.

http://www.prabhatkhabar.com/news/jharkhand/story/411660.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close