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अपने मजबूत इरादों के साथ, शीला देवी जुडी हैं, गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में।

-विलेज स्कवायर, एक दिन की बात है, फील्ड में विजिट के दौरान एक महिला को लाठी के सहारे कंधे पर थैला लटकाये कहीं जाते देखा। उत्सुकतावश उनसे बात करने का मन किया। फिर देखा तो उन्हें बच्चों ने ”मैडम, मैडम” बोलते हुए घेर लिया। उन्हें ऊंचे स्थान पर बने एक मकान पर चढ़ने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी| फिर उन्होंने ऊपर बंधी घंटी बजायी । सभी बच्चे एक साथ लाईन...

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लॉकडाउन में रिवर्स पलायन के बाद एक बार फिर काम की तलाश में वापस लौटने लगे मजदूर

-गांव कनेक्शन, लॉकडाउन में जो मजदूर किसी तरह परेशानियों को झेलते और जद्दोजहद के बाद अपने गाँव पहुंचे थे, एक बार फिर जहां से आए थे काम की तलाश में फिर से वहीं के लिए लौटने लगे हैं। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार, झाबुआ, अलीराजपुर से मजदूरों का राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में काम के लिए पलायन शुरू हो गया है। ठेकेदार एक बार फिर अपनी जरूरत के लिए...

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वैश्विक आपदा के बहाने ऑनलाइन उच्च शिक्षा देश के गरीब और ग्रामीण वर्ग के बीच असमानता की खाई को और बढ़ाएगी

-द प्रिंट, कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा का दुष्प्रभाव उच्च शिक्षा पर पड़ना स्वाभाविक है. लेकिन इस आपदा को भारत सरकार इलीट समुदायों के लिए ‘अवसर’ बनाने की नीयत से काम कर रही है. आपदा के वक्त वैकल्पिक निर्देशों की आड़ में तमाम विवादित आपत्तिजनक प्रावधानों को लागू किया जा रहा है. उसमें एक नई चुनौती बनकर सामने आई है- ऑनलाइन उच्च शिक्षा. दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में निर्देश दिया कि वह...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों के नाम लिखी चिट्ठी पढ़िए

आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ा. देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनता ने ज़िम्मेदारी सौंपी थी. इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है. ऐसे में आज का यह दिन मेरे लिए, अवसर है आपको नमन करने का, भारत और भारतीय लोकतन्त्र के प्रति आपकी इस निष्ठा को प्रणाम करने...

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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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