नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी लगातार 10वें साल भारत के कुबेर बने हुए हैं। उनकी कुल संपत्ति बढ़कर 38 अरब डॉलर हो गई है। पिछले एक साल में उनकी संपत्ति 67 फीसदी बढ़ी और इसके साथ ही वह एशिया के पांच शीर्ष रईसों में शुमार हो गए। वहीं देश में आर्थिक मंदी के दावे के बाद भी 100 शीर्ष अमीरों की संपत्ति में 26 फीसदी का इजाफा हुआ...
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सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप-- 'मनरेगा को धीमा जहर दे रही है सरकार'
दरम्याना कद- बस इतना-सा कि कुर्सी से पीठ टिकाकर बैठने पर पुश्त से कुछ इंच नीचा ही नजर आता है. आंखों से हल्का पीलापन.. गहरे सांवले रंग के चेहरे पर बरसों से जमे हुए तनाव और आशंका ने अब झुर्रियों का रुप ले लिया है. सूती साड़ी में लिपटी बहुत दुबली देह.. मानो कह रही हो कि काम ना करें तो कैसे खाएं-जीएं ! पल्लू से आधे ढंके माथे से कुछ...
More »आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश
यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
More »रोजगार देनेवाला एफडीआइ आये -- वरुण गांधी
भारत की अर्थव्यवस्था में एक अनोखा अंतर्विरोध दिख रहा है. बीते कुछ दशकों में, खासकर विकासशील देशों में पाया गया है कि मैक्रो इकनॉमिक्स में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए एफडीआइ रामबाण है. ज्यादा एफडीआइ आने का मतलब देश की आर्थिक नीतियों की स्वीकार्यता समझा जाता है और अर्थव्यवस्था की तंदुरुस्ती का संकेतक माना जाता है. पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहने के बाद बीते तीन वर्षों में...
More »विकास की बड़ी जिम्मेदारी है इस आयोग पर-- एन के सिंह
तीन साल पहले योजना आयोग को खत्म करके उसकी जगह एक थिंक टैंक के तौर पर नीति आयोग का गठन किया गया था। आलोचक यह सवाल अब तक उठाते हैं कि क्या यह बदलाव मुनासिब साबित हुआ? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने से पहले यह बताना चाहूंगा कि योजना आयोग के तीन बुनियादी काम थे। पहला, केंद्र और राज्यों के बीच सेतु का काम करना। दूसरा, हमारी विकास संबंधी नीतियों...
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