जिंदगी बचाने का दावा करनेवाली दवा ही जब जिंदगी से खिलवाड़ करने लगे, तो भरोसा किस पर करें? ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बाजार में धड़ल्ले से बिक रही सैकड़ों दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है़ इसमें लोकप्रिय एंटीबायोटिक्स, फिक्स डोजेज कंबीनेशन (एफडीसी) और एंटी डायबिटिक दवाएं भी शामिल हैं. सरकार के इस कदम से होनेवाले नुकसान के मद्देनजर दवा कंपनियां सकते में हैं और उन्होंने अदालत...
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सामान्य बीमारियों के लिए भी लिखनी होगी 3 से 4 दवाएं, मिलेंगी सस्ती
ग्वालियर। बुखार, सर्दी और बदन दर्द जैसी मामूली बीमारियों के लिए भी अब डॉक्टर को पर्चे पर तीन से चार दवाएं लिखनी पड़ेंगी, लेकिन मरीज को इसके बाद भी नुकसान की जगह फायदा ही होगा। टेबलेट जरूर ज्यादा खानी पड़ेंगी, परन्तु यह पहले लिखी जाने वालीं दवाओं से सस्ती ही पड़ेंगी। क्योंकि अब तक कंपनियां कॉम्बीनेशन के नाम पर दवाओं के मनमाने दाम वसूलती थी, जबकि अब केन्द्र सरकार ने...
More »रांची के डॉ मुखर्जी जो पांच रुपये में करते हैं मरीजों का ईलाज !
महंगे ईलाज के इस युग में कुछ फरिश्ते अभी भी है, जो भगवान बनकर गरीबों के ईलाज के लिए तत्पर है। इनके लिए डॉक्टर की उपाधि भगवान का दिया एक तोहफा है जो जरूरतमंदों की भलाई करने के लिए है, ना कि सिर्फ और सिर्फ कमाई करने के लिए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे ही चिकित्सकों में से एक है जिन्होनें अपने पेशे के साथ- साथ सामाजिक कर्तव्य को आज...
More »'नेट न्यूट्रैलिटी' है जरूरी, इंटरनेट पर क्यों हो किसी का एकाधिकार?
भारत में इंटरनेट का उपयोग करनेवालों की संख्या पिछले साल ही 35.4 करोड़ से अधिक हो चुकी थी. इसमें करीब 60 फीसदी इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन पर करते हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, इंटरनेट तक सभी लोगों की पहुंच समान रूप से रहे या किसी कंपनी को अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए अलग-अलग दरें और स्पीड तय करने का एकाधिकार मिले, इस पर इन दिनों जोरदार बहस...
More »रोजगारपरक हो शिक्षा प्रणाली-- मोनिका शर्मा
अवसाद और तनाव की सौगात देने वाली हमारी शिक्षा व्यवस्था अब वाकई चिंतनीय हालात पैदा कर रही है। इस बाबत हाल ही में संसद में सरकार द्वारा पेश किये गए आंकड़े डराने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 8 हजार से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। इतना ही नहीं, सफलता और आगे बढ़ने की ललक और दबाव इतना है कि मनपसंद नौकरी या पेशा न...
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