शिवराज सिंह चौहान संभवतः एक सदाशयी व्यक्ति हैं. व्यापम घोटाले के गहरे दाग के बावजूद, सामान्यतः उन्हें एक अच्छा प्रशासक माना जाता रहा है. यह भी संभव है कि अपने शासन में पुलिस की गोलियों से छह किसानों की नृशंस हत्या से वे वस्तुतः क्षुब्ध हों. मंदसौर में अमन और आम हालात की बहाली के लिए किया गया उनका एकदिनी अनशन उनके समर्थकों के अनुसार एक सद्भावनापूर्ण संकेत था, हालांकि...
More »SEARCH RESULT
कब उदार रहे हैं हम!-- आकार पटेल
नरेंद्र मोदी सरकार पर यह गलत आरोप लगाया जाता है कि वे भारत को एक तरह के उग्र या अनुदार राष्ट्र में बदल रहे हैं. अनुदार का मतलब असहिष्णु तथा अभिव्यक्ति और कर्म की आजादी पर को सीमित करने का समर्थन करना होता है. मैं कहता हूं कि इस सरकार पर अनुदार होने के गलत आरोप लगते हैं, क्योंकि तथ्य बताते हैं कि भारत की सरकार कभी भी बहुत उदार...
More »रोजी बनाम राम- एकै साधे सब सधे--- मुकेश भारद्वाज
सरकार के हर मंच से नोटबंदी को सही बताने के बाद 2016-17 की चौथी तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद दर घट कर 7.1 से 6.1 फीसद पर आ गई। बाजार में तरलता की कमी से मांग घटी और छोटे कारोबारियों की कमर टूट गई। अब जबकि जीएसटी के अमल का समय नजदीक आ रहा है, सरकार जमीनी सच्चाई को नकारते हुए कमजोर अर्थव्यवस्था का ठीकरा...
More »मोदी सरकार के तीन साल-- योगेन्द्र यादव
नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल के तीन बुनियादी सच हैं. इनमें से किसी भी सच से मुंह चुराना यानी आज हमारे देश की राजनीति से मुंह चुराना है. पहला सच है: नरेंद्र मोदी आज पूरे देश में लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं. दूसरा सच है: नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता उनके कामों और उपलब्धियों के कारण नहीं है, बल्कि उनकी छवि पर आधारित है. तीसरा सच है: मोदी की छवि कुछ तो...
More »सामाजिक काम के वित्तीय मापदंड-- वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली
सीएसआर फंड यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड यानी कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व कोष पर पहुंच बढ़ाना फंड खोजते गैर-सरकारी संगठनों की रणनीति का आज एक प्रमुख हिस्सा है। इन्ही संदर्भों में स्थितियां यहां तक पहुंच गई हैं कि कतिपय गैर-सरकारी संगठन अपनी वेबसाइटों में अपनी विशिष्टता यही बताते हैं कि वे कॉरपोरेट घरानों के लिए सीएसआर के काम करने व करवाने में पारंगत है, और इसके लिए उनसे संपर्क किया जाए।...
More »